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शिक्षा निदेशक के आदेश का विरोध, राज्य विकलांगता सलाहकार बोर्ड के विशेषज्ञ सदस्य ने कही ये बात

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Published : Nov 21, 2021, 2:23 PM IST

शिक्षा निदेशक द्वारा स्कूल लेक्चरर पदों पर भर्ती (Recruitment for the post of School Lecturer) के लिए हाल ही में निकाले गए विज्ञापन पर उमंग फाउंडेशन (Umang Foundation) ने सख्त एतराज जताया है. इसमें कहा गया है कि 60 प्रतिशत से अधिक विकलांगता वाले दृष्टिबाधित और बधिर व्यक्ति स्कूल लेक्चरर नहीं बन सकते. प्रो. अजय श्रीवास्तव (Pro. Ajay Srivastava) ने राज्य विकलांगता आयुक्त (State Disability Commissioner) से इसकी शिकायत करते हुए कहा कि दोषी अफसरों के खिलाफ जांच (investigation against the guilty officers) बैठाकर कड़ी कार्रवाई की जाए.

Ajay Srivastav
अजय श्रीवास्तव

शिमला: हिमाचल प्रदेश राज्य विकलांगता सलाहकार बोर्ड (Himachal Pradesh State Disability Advisory Board) के विशेषज्ञ सदस्य और उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रो. अजय श्रीवास्तव (Umang Foundation President Prof. Ajay Srivastav) ने कहा है कि राज्य के शिक्षा निदेशक (state education director) ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले की धज्जियां उड़ाते हुए 60 प्रतिशत से ज्यादा दिव्यांगता वाले दृष्टिबाधित एवं बधिर व्यक्तियों (visually impaired and deaf persons) के स्कूल लेक्चरर बनने पर रोक लगा दी है. जबकि सुप्रीम कोर्ट ने इस साल फरवरी में एक फैसले में कहा था की दृष्टिबाधित और बधिर व्यक्तियों के जज बनने में भी विकलांगता बाधा नहीं हैं. वे आईएएस अधिकारी (ias officer) और विश्वविद्यालय में प्रोफेसर समेत अन्य उच्च पदों पर भी कार्य कर रहे हैं. अदालत का यह भी कहना था कि ऐसे मामलों में आधुनिक तकनीक (modern technology) का सहारा किया जाना चाहिए.

शिक्षा निदेशक द्वारा स्कूल लेक्चरर पदों पर भर्ती (Recruitment for the post of School Lecturer) के लिए हाल ही में निकाले गए विज्ञापन पर उमंग फाउंडेशन (Umang Foundation) ने सख्त एतराज जताया है. इसमें कहा गया है कि 60 प्रतिशत से अधिक विकलांगता वाले दृष्टिबाधित और बधिर व्यक्ति स्कूल लेक्चरर नहीं बन सकते. प्रो. अजय श्रीवास्तव (Pro. Ajay Srivastava) ने राज्य विकलांगता आयुक्त (State Disability Commissioner) से इसकी शिकायत करते हुए कहा कि दोषी अफसरों के खिलाफ जांच (investigation against the guilty officers) बैठाकर कड़ी कार्रवाई की जाए. यदि ऐसा नहीं किया गया तो वे हाईकोर्ट में जनहित याचिका (Public interest litigation) दायर करेंगे. उन्होंने शिकायत में लिखा है कि शिक्षा निदेशक का फरमान बिल्कुल गैरकानूनी, मनमाना (illegal, arbitrary) और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का खुला उल्लंघन है. केंद्र या राज्य सरकार के किसी भी कानून अथवा नियम में इस तरह के भेदभाव पूर्ण प्रावधान (discriminatory provision) नहीं है.

प्रो. अजय श्रीवास्तव (Pro. Ajay Srivastava) ने कहा कि केंद्र सरकार ने स्कूल कॉलेज और विश्वविद्यालय के शिक्षकों से लेकर आईएएस तक के पद भी 40% से 100% विकलांगता वाले व्यक्तियों के लिए चिन्हित किए हैं. शिक्षा निदेशक (education director) इनमें कोई बदलाव नहीं कर सकते. भारतीय प्रशासनिक सेवा (Indian Administrative Service) और भारतीय विदेश सेवा (Indian Foreign Service) और भारतीय राजस्व सेवा (Indian Revenue Service) में भी 100% विकलांगता वाले व्यक्ति चुने गए हैं. अजय श्रीवास्तव ने कहा कि शिक्षा विभाग ने दिव्यांग व्यक्तियों (persons with disabilities) को अंकों में सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों की तुलना में 5% की रियायत भी नहीं दी है. इससे पहले भी शिक्षा विभाग दिव्यांग व्यक्तियों के साथ भेदभाव और अन्याय करता रहा है.

उन्होंने बताया कि इस वर्ष फरवरी में सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति वाईवी चंद्रचूड़ (Supreme Court Justice YV Chandrachud), न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी (Justice Indira Banerjee) और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना (Justice Sanjiv Khanna) की खंडपीठ ने एक मामले में फैसला दिया था कि जिला न्यायालय में जज बनने के लिए विकलांगता की सीमा निर्धारित (limit of disability) नहीं की जा सकती. कोर्ट का यह भी कहना था कि चयन पर रोक लगाने की बजाय विकलांग व्यक्तियों को आधुनिक उपकरण और यंत्र (modern tools and equipment) देकर उनकी क्षमताओं का लाभ उठाना चाहिए. प्रो. अजय श्रीवास्तव (Pro. Ajay Srivastava) ने राज्य विकलांगता आयुक्त (State Disability Commissioner) से कहा है कि इस मामले में संज्ञान लेकर तुरंत उक्त विज्ञापन को रद्द किया जाए और दोषी अधिकारियों के खिलाफ जांच के आदेश दिए जाएं. ताकि भविष्य में कोई भी अफसर विकलांग व्यक्तियों के साथ अन्याय न कर सके.

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