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हिमाचल में 50 से अधिक स्थानों पर अर्ली अलर्ट सिस्टम तैनात, लैंडस्लाइड से पहले ही मिलेगी जानकारी

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Published : Jul 1, 2022, 3:21 PM IST

हिमाचल में लैंडस्लाइड (Landslides in Himachal) से पहले ही अब लोगों को जानकारी मिल जाएगी. इसके लिए प्रदेश में 50 स्थानों पर अर्ली अलर्ट सिस्टम लगाया गया है. हिमाचल आपदा प्रबंधन के प्रधान सचिव ओंकार शर्मा ने कहा कि बरसात के मौसम को लेकर संबंधित विभाग के अधिकारियों के साथ बैठकें कर ली गई हैं. उन्होंने कहा कि मानसून को लेकर प्रदेश में एसडीआरएफ की बटालियन भी अलर्ट पर है.

Early alert system installed in himachal
हिमाचल में 50 से अधिक स्थानों पर अलर्ट सिस्टम.

शिमला: आईआईटी मंडी तो तैयार किया किया गया अर्ली अलर्ट सिस्टम प्रदेश के 50 स्थानों पर लगाया गया (Early alert system installed in himachal) है, जिसकी मदद से लैंडसाइड आने से पहले ही स्थानीय लोगों को जानकारी मिल जाएगी और जानमाल का नुकसान कम से कम होगा. प्रधान सचिव आपदा प्रबंधन ओंकार शर्मा ने कहा कि सरकार ने पहले ही जिलाधीश और सभी संबंधित विभाग के अधिकारियों के साथ बरसात के मौसम को लेकर बैठकें कर ली हैं और अधिकारियों से तैयारियों की रिपोर्ट की ले ली है.

एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की बटालियन अलर्ट पर: प्रधान सचिव ओंकार शर्मा (Himachal Disaster Management Principal Secretary Onkar Sharma) ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में एसडीआरएफ की बटालियन भी अलर्ट पर है. इसके अलावा एनडीआरएफ से भी पूरी मदद ली जा रही है ताकि आपदा के समय तुरंत प्रभावित स्थान पर पहुंचा जा सके और मदद की जा सके. एसडीआरएफ को सभी आवश्यक उपकरण भी उपलब्ध करवा दिए गए हैं प्रदेश में कुछेक स्थानों पर बाढ़ की आशंका भी बनी रहती है ऐसे में इन स्थानों पर साइन बोर्ड इत्यादि लगा दिए गए हैं ताकि लोग बाढ़ की संभावना के समय इन स्थानों से दूर रहें.

हिमाचल आपदा प्रबंधन के प्रधान सचिव ओंकार शर्मा. (वीडियो)

मौसम विभाग द्वारा जारी अलर्ट का पालन करें पर्यटक: प्रधान सचिव ओंकार शर्मा ने कहा कि मौसम विभाग समय-समय पर अलर्ट (Early alert system) जारी करता रहता है. ऐसे में पर्यटकों को उसका पालन करना आवश्यक है. उन्होंने कहा कि भारी बारिश के दिनों में ऐसे स्थानों पर न जाएं. जहां बाढ़ आने की संभावना अधिक हो बारिश के दिनों में पर्यटकों को नदी नालों से दूरी बनाए रखनी चाहिए. ओंकार शर्मा ने कहा कि जिला प्रशासन के आदेशों का पालन करना बेहद आवश्यक है. ऐसे स्थान जहां पर जिला प्रशासन जाने से मना करता है, वहां पर्यटकों को नहीं जाना चाहिए.

अवैज्ञानिक तरीके से भूमि कटान है लैंडस्लाइड का मुख्य कारण: अधिकांश लैंडस्लाइड का मुख्य कारण (Main cause of landslide) पहाड़ों का गलत तरीके से कटान है. कंस्ट्रक्शन वर्क के दौरान अवैज्ञानिक तरीके से जमीन का कटान कर दिया जाता है, जिससे बरसात के मौसम में लैंडस्लाइड आते हैं. ओंकार शर्मा ने कहा कि पीडब्ल्यूडी सहित सभी विभागों के अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि डीपीआर बनाते समय इस बात का खास ध्यान रखा जाए जमीन की अवैज्ञानिक तरीके से खुदाई न हो. पहाड़ी प्रदेश होने के कारण सड़क निर्माण, भवन निर्माण और अन्य आधारभूत ढांचे के लिए खुदाई करनी पड़ती है, लेकिन अगर यह खुदाई अवैज्ञानिक तरीके से की जाती है तो लैंडस्लाइड का मुख्य कारण बनती है.

बरसात से हर वर्ष होता है करोड़ों का नुकसान: पिछली बरसात से अकेले लोक निर्माण विभाग को ही करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ था. सड़कों, पुलों व सरकारी भवनों को 140 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान पहुंचा. इसके अलावा जल शक्ति विभाग को 75 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. बरसात से कुल 214 करोड़ रुपये के नुकसान का आंकलन था. राज्य आपदा प्रबंधन की ओर से गत 13 जून 2021 से लेकर 18 जुलाई 2021 तक बरसात से हुए नुकसान की रिपोर्ट जारी की गई थी.

इसके अलावा बरसात और सड़क दुर्घटनाओं में अब तक 152 लोगों की जान गई थी. इसके अतिरिक्त 339 मवेशियों व पक्षियों की मौत हुई. भारी बारिश के कारण कांगड़ा जिला में कुछ लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा था. प्रदेश में 40 पक्के मकान और 19 कच्चे मकान ध्वस्त हुए. कई स्थानों पर 41 पक्के मकानों और 219 कच्चे मकानों को आंशिक तौर पर नुकसान हुआ था. कई स्थानों पर बारिश से सात दुकानों व 218 गौशालाओं को नुकसान पहुंचा. प्रदेश में इस बार मानसून 13 जून को प्रवेश कर गया था. कुछ दिन मानसून की सक्रियता से प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में बारिश हुई.

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