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हिमाचल में ओपीएस और आउटसोर्स पर चल रहा मंथन, पीटरहॉफ में CM जयराम ने अधिकारियों के साथ की चर्चा

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Published : Feb 28, 2022, 7:40 PM IST

राजस्थान सरकार ने ओल्ड पेंशन स्कीम (old pension scheme in Rajasthan) लागू करने की पहल कर दी है. इस समय हिमाचल में एनपीएस कर्मचारी भी इसी मांग को लेकर आंदोलनरत हैं. कर्मचारी वर्ग भी इसी मांग को प्रमुखता से उठा रहा है. ऐसे में प्रदेश सरकार भी इस मुद्दे पर अधिकारियों के साथ मंथन कर रही है.

discussion on old pension scheme
सीएम जयराम ठाकुर

शिमला: ओल्ड पेंशन स्कीम (old pension scheme) और आउटसोर्स पर मंथन का दौर जारी है. राज्य अतिथि गृह पीटरहॉफ में सोमवार को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर अपने अधिकारियों के साथ चर्चा की. मंथन का यह दौर कई दिनों से चल रहा है. अब 3 मार्च को कैबिनेट बैठक और 4 मार्च को पेश होने वाले बजट में ही खुलासा हो पाएगा कि आउटसोर्स और ओपीएस के मुद्दे पर सरकार के रुख अपनाती है.


बजट पेश करने से पहले भाजपा संगठन व सरकार के तौर पर सुपर एक्टिव मोड में है. चुनावी साल में जयराम सरकार पर कई दवाब हैं. राजस्थान सरकार ने ओल्ड पेंशन स्कीम (old pension scheme in Rajasthan) लागू करने की पहल कर दी है. इस समय हिमाचल में एनपीएस कर्मचारी भी इसी मांग को लेकर आंदोलनरत हैं. कर्मचारी वर्ग भी इसी मांग को प्रमुखता से उठा रहा है. ऐसे में इस पर सरकार कोई पहल कर सकती है. इसके अलावा नए जिलों का शिगुफा भी उठ रहा है. ये भी संभव है कि कुछ क्षेत्रों का पुनर्गठन के लिए विचार किया जा सकता है.

बजट भाषण में कुछ ऐसी घोषणाएं हो सकती हैं, जिससे आम जनता को लाभ हो. किसानों के लिए और युवाओं के लिए घोषणा की जा सकती है. चुनावी साल को ध्यान में रखकर विपक्ष को भी चौंकाते हुए फैसले लिए जाने के आसार हैं. वहीं, एक महत्वपूर्ण सूचना ये है कि सीएम जयराम ठाकुर के नेतृत्व में सभी फैसलों को लिए जाने के लिए हाईकमान की हरी झंडी है.

भाजपा अध्यक्ष सुरेश कश्यप का कहना है कि पार्टी में संगठन व सरकार के स्तर पर तालमेल अहम है. भाजपा एक निश्चित रणनीति के तहत काम करने वाली पार्टी है. चुनावी साल में संगठन व सरकार मिलकर मिशन रिपीट को सफल बनाने के लिए काम कर रहे हैं, लेकिन हिमाचल के बजट का अधिकांश हिस्सा कर्मचारियों के वेतन और पेंशनर्स की पेंशन अदा करने में खर्च हो जाता है. इधर, हिमाचल सरकार ने नए वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू कर कर्मचारियों व पेंशनर्स को और अधिक वित्तीय लाभ दिए हैं. इससे भी सालाना कम से कम साढ़े छह हजार करोड़ रुपये का बोझ खजाने पर और पड़ेगा. वहीं, सरकार ने बिजली बिलों में भी राहत दी है. उसके बाद आसार हैं कि सरकार किसानों के लिए भी कोई ऐलान कर सकती है.

वहीं, अगर कर्ज की बात करें तो 18 मार्च 2021 को बजट सेशन में सुरेश भारद्वाज ने कर्ज का ठीकरा भी कांग्रेस सरकार पर फोड़ा और कहा कि पूर्व में प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व वाली सरकार ने 2012 में जब सत्ता छोड़ी थी, तो प्रदेश पर 28,760 करोड़ रुपए का कर्ज था. बाद में कांग्रेस सरकार के समय यह 47,906 करोड़ रुपये हो गया. सुरेश भारद्वाज ने कहा कि नियमों के अनुसार प्रदेश सरकार 2018-19 में मार्केट लोन 5,737 करोड़ ले सकती थी, लेकिन सरकार ने कुल 4,120 करोड़ कर्ज लिया.


अगले वित्तीय वर्ष में बाजार लोन की सीमा 9187 करोड़ रुपये थी और सरकार ने केवल 6000 करोड़ रुपये ही लिए. यही नहीं, जयराम सरकार ने तीन साल में वीरभद्र सिंह सरकार के समय लिए गए 19,199 करोड़ के कर्ज में से एक बड़ा अमाउंट वापस भी लौटाया है. उन्होंने कहा कि मौजूदा बिल में भी 2019-20 के अधिक खर्च को रेगुलर करने का प्रावधान है. वर्ष 2012 से 2017 तक पांच साल के अंतराल में कांग्रेस ने 18,787 करोड़ का कर्ज लिया था.

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