हिमाचल ने लगाए ऐसे पौधे, प्रदूषण का निकला दम और पर्यावरण को मिली ताजा सांस

author img

By

Published : Sep 22, 2021, 7:23 PM IST

पर्यावरण को मिली ताजा सांस
पर्यावरण को मिली ताजा सांस ()

हिमाचल प्रदेश को कार्बन क्रेडिट के लिए एशिया का सर्वोत्तम राज्य होने का गौरव प्राप्त है,लेकिन पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण को कम करने वाला अनूठा अभियान 'पापा' के नाम से है. पापा यानी पॉल्यूशन अबेटिंग प्लांट्स अभियान. इसके तहत प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने संबंधित विभागों और एजेंसियों के साथ मिलकर अपेक्षाकृत प्रदूषित इलाकों में ऐसे पौधे रोपे, जिन्होंने न केवल प्रदूषण को कम किया ,बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी मदद की.

शिमला: वैसे तो हिमाचल प्रदेश को कार्बन क्रेडिट के लिए एशिया का सर्वोत्तम राज्य होने का गौरव प्राप्त है, लेकिन इस पहाड़ी राज्य ने पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण के खिलाफ कई ऐसे अभियान चलाए जिससे देश के अन्य राज्य सीख ले सकते हैं. ऐसे ही एक अभियान की चर्चा से पहले यह बताना जरूरी है कि कार्बन क्रेडिट हासिल करने वाला हिमाचल एशिया का पहला राज्य कैसे बना. कार्बन क्रेडिट यानी वातावरण से कार्बन को कम करने में उल्लेखनीय काम करने के लिए हिमाचल को 6 साल पहले विश्व बैंक से इनाम के तौर पर 1.93 करोड़ रुपए की राशि भी मिली थी. हिमाचल प्रदेश अपने फॉरेस्ट कवर एरिया को 33 प्रतिशत तक बढ़ाने की योजना पर काम कर रहा है अभी यह 27 फीसदी है.

हाल ही में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद शिमला आए तो विधानसभा के विशेष सत्र में नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने उनके समक्ष यह मांग उठाई कि पर्यावरण बचाने के लिए हिमाचल के प्रयासों को पुरस्कृत किया जाना चाहिए. हिमाचल में पेड़ की टहनी तक काटने पर प्रतिबंध है. फिलहाल यहां पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण को कम करने वाले एक अनूठे अभियान की चर्चा जरूरी है. यह अभियान "पापा" के नाम से है. पापा यानी पॉल्यूशन अबेटिंग प्लांट्स अभियान. इस अभियान के तहत प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने संबंधित विभागों और एजेंसियों के साथ मिलकर अपेक्षाकृत प्रदूषित इलाकों में ऐसे पौधे रोपे, जिन्होंने न केवल प्रदूषण को कम किया, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी मदद की.

हिमाचल में इस अभियान के तहत 2 लाख के करीब विशेष किस्म के पौधे रोपे गए. यही नहीं वायु को शुद्ध करने वाले पौधे लगाने में इंडस्ट्रियल सेक्टर ने भी अपनी भूमिका निभाई. औद्योगिक घरानों ने कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी यानी सीएसआर के तहत रकम खर्च कर इस अभियान में भागीदारी जताई. हिमाचल में इस अभियान की शुरुआत मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने की थी. वर्ष 2018 में मंडी जिले के सुंदरनगर से यह अभियान शुरू हुआ था. इस अभियान में इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन बॉयोरिसाेर्स पालमपुर ने मदद की थी. तीन साल के अंतराल में दो लाख पौधे ऐसे लगाए गए जो पर्यावरण को शुद्ध करते थे और कुछ बीमारियों में भी लाभदायक थे. ऐसे पौधों में हवा को शुद्ध करने की क्षमता थी, जिससे दमे के मरीजों को लाभ मिला था.

उल्लेखनीय है कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने शिमला में सचिवालय स्थित मंत्रियों और अफसरों के कमरों सहित अन्य महत्वपूर्ण विभागों के कार्यालयों में इंडोर प्लांट्स लगाए. ये पौधे 18 किस्म की प्रजातियों के थे. इसमें से एक प्लांट स्नेक प्लांट के तौर पर जाना जाता है इससे हवा में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ती है. स्पाइडर प्लांट से धूल से होने वाली एलर्जी में लाभ मिलता है. इसके अलावा पर्यावरण को शुद्ध करने वाले पौधों में घृतकुमारी, एरेका पाम, बांस पाम, चांदनी, चाइनीज सदाबहार, गुलदाउदी, वॉर्नक ड्रेसेनागेरबेजा डेजी, गोल्डन पोथोस, लिली, फिलोड्रेंड्रन, रेड एज्ड ड्रेसेना, रेफिस पाम, रबर प्लांट, स्नेक प्लांट, स्पाइडर प्लांट, वीपिंग फिग का नाम शामिल है.

प्रदेश के औद्योगिक इलाकों में आठ शहर ऐसे हैं जहां प्रदूषण अधिक है उन आठ शहरों में इस अभियान के तहत एक लाख पौधे लगाए गए. इन प्रदूषित शहरों में डमटाल, कालाअंब, नालागढ़, सुंदरनगर, बद्दी, परवाणू, पांवटा व ऊना प्रमुख हैं. ये शहर लंबे समय से औद्योगिक प्रदूषण की मार झेल रहे. एक सर्वे के अनुसार देश में जो 94 शहर औद्योगिक प्रदूषण का शिकार हैं उनमें हिमाचल के ये 8 शहर भी शामिल हैं. अभियान की समीक्षा भी समय-समय पर की जाती है. खुद मुख्यमंत्री कार्यालय इस अभियान की सफलता की समीक्षा रिपोर्ट तलब करता है.

ये भी पढें : सुरेश भारद्वाज ने केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर से की मुलाकात, इन मुद्दों पर हुई चर्चा

हिमाचल सरकार ने "पापा"अभियान में अर्जुन, बहेड़ा, जामुन, सिरिस, नीम, मुश्की कपूर, महानीम, करंज, बेल, कचनार, अमलतास, आंवला, सहजन, हरसिंगार, चाइना रोज, जटरोपा, पीत कनेर, सफेद चमेली, रात की रानी, कपूर, तुलसी, घृतकुमारी, स्पाइडर प्लांट, रोजमेरी, कड़ी पत्ता व बसूंटी शामिल है. इसके अलावा कुछ प्लांट ऐसे हैं, जिन्हें दफ्तरों और बड़े परिसरों में लगाया जा सकता है. इन इंडोर प्लांट्स में स्पाइडर प्लांट, गोल्डन पोथोस, पीस लिल्ली, चाइनीज सदाबहार, ऐलोवेरा, गेरबेरा जेड़ी, गुलदाउदी, इंग्लिश आइवी, स्नेक प्लांट, रेफिस पाम, एरेका पाम शामिल हैं. कांगड़ा जिले का डमटाल औद्योगिक क्षेत्र प्रदूषण से बुरी तरह से प्रभावित था. वहां इस अभियान में वन विभाग की मदद ली गई और करीब 12 हेक्टेयर भूमि में पौधे रोपे गए.

वन विभाग ने कुछ समय तक इन पौधों की देखभाल का जिम्मा उठाया था. वन मंत्री राकेश पठानिया ने कहा कि हिमाचल प्रदेश ने वनों के संरक्षण के जरिए पर्यावरण को बचाने में अहम योगदान दिया. हिमाचल सरकार फॉरेस्ट कवर एरिया को 33 फीसदी तक करने का लक्ष्य लेकर चली है. हिमाचल ने ग्रीन कवर एरिया बढ़ाने में भी शानदार काम किया. हर साल हिमाचल का फॉरेस्ट कवर एरिया बढ़ रहा . मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अगुवाई में प्रदूषण के खिलाफ एक अनूठा अभियान शुरू किया गया. इस अभियान में पॉल्यूशन अबेटिंग प्लांट्स लगाए गए. इससे देश के अपेक्षाकृत अधिक प्रदूषित शहरों में पर्यावरण बचाने में मदद मिली.

ये भी पढें : हिमाचल के ये कैबिनेट मंत्री करते हैं गाय की सेवा, 18 साल से चल रही गोशाला में पल रहे हजारों गोवंश

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.