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आईआईटी मंडी और एम्स में करार, संयुक्त शोध कार्यों पर रहेगा जोर

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Published : Dec 2, 2021, 4:58 PM IST

MOU signed between IIT Mandi and AIIMS Bilaspur
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (Indian Institute of Technology Mandi)मंडी ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) बिलासपुर से शोध और शैक्षिक कार्यों के लिए सहयोग करार किया है.संस्थानों ने एक सहयोग करार (एमओयू) पर (MOU SIGN IN MANDI)हस्ताक्षर कर संयुक्त शोध कार्यों और ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता जाहिर की.

मंडी: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (Indian Institute of Technology Mandi)मंडी ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) बिलासपुर से शोध और शैक्षिक कार्यों के लिए सहयोग करार किया है. दोनों संस्थानों ने एक सहयोग करार (एमओयू) पर (MOU SIGN IN MANDI)हस्ताक्षर कर संयुक्त शोध कार्यों और ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता जाहिर की. इस एमओयू पर प्रो. अजीत चतुर्वेदी, निदेशक आईआईटी मंडी, डॉ. वीर सिंह नेगी, निदेशक, एम्स बिलासपुर, डॉ. वेंकट कृष्णन, डीन (एसआरआईसी) आईआईटी मंडी ने हस्ताक्षर किए. इस दौरान उप. चिकित्सा अधीक्षक एम्स डॉ. विक्रांत कंवर भी मौजूद रहे.


सहयोग करार पर आईआईटी मंडी के निदेशक प्रोफेसर अजीत के चतुर्वेदी ने कहा कि आईआईटी मंडी और एम्स बिलासपुर के बीच इस सहयोग (Agreement between IIT Mandi and AIIMS)करार के तहत हम चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में मिल कर काम करने और उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए उत्साहित , जिसका पूरे समाज का बेहतर जन-जीवन होगा. उन्होंने कहा कि सहयोग करार के तहत दोनों संस्थानों की योजना संयुक्त शोध परियोजनाओं पर काम करने की कोशिश की और भविष्य में अल्पकालिक शिक्षा कार्यक्रमों का संचालन कर हम शोधकर्ताओं और विद्यार्थियों को अन्य संस्थान जाने और साथ मिलकर काम करने का अवसर प्रदान करेंगे.

इस सहयोग करार के तहत संयुक्त शोध और शैक्षिक गतिविधियों में चिकित्सा विज्ञान और प्रौद्योगिकी से संबंधित विभिन्न डोमेन के अहम् कार्य होंगे जिनमें मेडिकल इमेजिंग, डिजिटल पैथोलॉजी, पॉइंट-ऑफ-केयर टेस्टिंग डिवाइस, बायोइनफॉर्मेटिक्स, एंडोक्राइनोलॉजी, बायोमैटिरियल्स, टेलीमेडिसिन आदि शामिल होंगे. आईआईटी मंडी में सहयोग करार पर हस्ताक्षर के कार्यक्रम में दोनों संस्थानों ने उद्योग जगत के भागीदारों के सहयोग से टेक्नोलॉजी के ट्रांसलेशन के भावी विस्तार पर भी चर्चा की ,ताकि यह सुनिश्चित हो कि शोध के लाभ पूरे समाज के जन-जीवन तक पहुंचे.

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