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आईआईटी मंडी के शोधकर्ताओं का दावा, बुरांश की पंखुड़ियों में छिपी है कोरोना की दवा

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Published : Jan 17, 2022, 3:42 PM IST

आईआईटी मंडी के शोधकर्ताओं ने एक शोध किया है. जिसके मुताबिक बुरांश जो कि एक हिमालयी पौधा है इसके फूल की पंखुड़ियों में कोरोना संक्रमण को रोकने के क्षमता (iit mandi research on himalayan plant) है. बुरांश का वैज्ञानिक नाम रोडोडेंड्रोन अर्बारियम (Rhododendron arboreum) है, शोध के मुताबिक बुरांश की फाइटोकैमिकल युक्त पंखुड़ियों में वायरस की गतिविधि रोकने (buransh flowers prevent corona infection) और वायरस से लड़ने के गुण है.

बुरांश की पंखुड़ियों में छिपी है कोरोना की दवा.

मंडी: बीते करीब दो साल से दुनिया कोरोना की चपेट में है. शोधकर्ता इस वायरस की प्रकृति समझने और संक्रमण रोकने के नए-नए तरीकों की खोज करने में जुटे हैं. दुनियाभर में भले कोरोना टीकाकरण का दौर भी चल रहा हो लेकिन वैज्ञानिक इस वायरस पर काबू पाने के लिए तरह-तरह की रिसर्च कर रहे हैं. इस बीच भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी (IIT Mandi) और नई दिल्ली के इंटरनेशनल सेंटर फॉर जेनेटिक इंजीनियरिंग एंड बायोटेक्नोलॉजी (ICGIB) के शोधकर्ताओं के हाथ एक कामयाबी लगी है.

शोधकर्ताओं ने हिमालयी पौधे ‘बुरांश’ की पंखुड़ियों में फाइटोकैमिकल्स की पहचान की है. जिनसे कोरोना संक्रमण के इलाज की संभावना (buransh flowers prevent corona infection) जताई जा रही है. आईआईटी मंडी के शोधकर्ताओं के मुताबिक बुरांश जो कि एक हिमालयी पौधा (himalayan plant buransh )है इसके फूल की पंखुड़ियों में कोरोना संक्रमण को रोकने के (iit mandi research on himalayan plant) क्षमता है. बुरांश (Rhododendron) का वैज्ञानिक नाम रोडोडेंड्रोन अर्बारियम (Rhododendron arboreum) है, शोध के मुताबिक बुरांश की फाइटोकैमिकल युक्त पंखुड़ियों में वायरस की गतिविधि रोकने और वायरस से लड़ने के गुण है.

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बुरांश पर शोध करते शोधकर्ता.

इसे लेकर शोधकर्ताओं की जो भी रिसर्च है वो ‘बायोमोलेक्यूलर स्ट्रक्चर एंड डायनेमिक्स’ नामक जर्नल में हाल में प्रकाशित हुई है. इस टीम की अगुवाई आईआईटी मंडी के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. श्याम कुमार मसकपल्ली, डॉ. राजन नंदा और ICGIB, दिल्ली की डॉ. सुजाता सुनील ने किया. इसके अलावा शोध-पत्र के सह-लेखक डॉ. मनीष लिंगवान, फलक पहवा, अंकित कुमार, दिलीप कुमार वर्मा, योगेश पंत, शगुन, बंदना कुमारी और लिंगराव वी.के. कामतम हैं.

डॉ. श्याम कुमार मसकपल्ली के मुताबिक इलाज के विभिन्न एजेंटों का अध्ययन किया जा रहा है, पौधों से प्राप्त रसायन फाइटोकैमिकल्स से विशेष उम्मीद है क्योंकि उनके बीच गतिविधि में सिनर्जी है और प्राकृतिक होने के चलते विषाक्त करने की कम समस्याएं पैदा होती है. हम बहु-विषयी दृष्टिकोण से हिमालयी वनस्पतियों से संभावित अणुओं की तलाश कर रहे हैं.

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बुरांश फूल का अर्क.

हिमालयी बुरांश जिसका वैज्ञानिक नाम रोडोडेंड्रोन अर्बारियम (Rhododendron arboreum) है. इस हिमालयी फूल की पंखुड़ियां का सेवन स्थानीय आबादी स्वास्थ्य संबंधी कई लाभों के लिए विभिन्न रूपों में करती है. इस शोध के तहत आईआईटी मंडी और आईसीजीईबी के वैज्ञानिकों ने वायरस रोकने के मद्देनजर विभिन्न फाइटोकैमिकल्स युक्त अर्क का वैज्ञानिक परीक्षण शुरू किया. बुरांश की पंखुड़ियों से फाइटोकैमिकल्स निकाले गए और इसके वायरस रोधी गुणों को समझने के लिए जैव रासायनिक परीक्षण और कम्प्युटेशनल सिमुलेशन का अध्ययन किया गया.

आईसीजीआईबी दिल्ली की डॉ. रंजन नंदा के मुताबिक हिमालयी वनस्पतियों से प्राप्त रोडोडेंड्रोन अर्बारियम पंखुड़ियों के फाइटोकैमिकल्स का प्रोफाइल तैयार और परीक्षण किया और इसमें कोविड वायरस से लड़ने की उम्मीद दिखी है. इन पंखुड़ियों के गर्म पानी के अर्क में प्रचुर मात्रा में क्विनिक एसिड और इसके डेरिवेटिव पाए गए. मोलेक्युलर गतिविधि के अध्ययनों से पता चला है कि ये फाइटोकैमिकल्स वायरस से लड़ने में दो तरह से प्रभावी हैं.

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आईआईटी मंडी के शोधकर्ता.

डॉ. सुजाता सुनील बताया कि फाइटोकैमिकल प्रोफाइलिंग, कंप्युटर सिमुलेशन और इन विट्रो एंटी-वायरल एसेज़ के मेल से यह सामने आया है कि खुराक के अनुसार बुरांश की पंखुड़ियों के अर्क ने कोविड-19 वायरस को बनने से रोका है. शोधकर्ताओं ने प्रायोगिक परीक्षण कर यह भी दिखाया कि पंखुड़ियों के अर्क की गैर-विषाक्त खुराक से 6 कोशिकाओं में कोविड का संक्रमण रुकता है (ये कोशिकाएं आमतौर पर वायरस और बैक्टीरिया संक्रमण के अध्ययन के लिए अफ्रीकी हरे बंदर के गुर्दे से प्राप्त होती हैं) जबकि खुद कोशिकाओं पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है.

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