Shardiya Navratri 2022: नवरात्रि का चौथा दिन, मां कुष्मांडा की पूजा से मिलेगी रोगों से मुक्ति

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Published : Sep 28, 2022, 7:29 PM IST

Updated : Sep 29, 2022, 11:37 AM IST

Shardiya Navratri 2022

शारदीय नवरात्रि 2022 पर माता दुर्गा के अलग-अलग रूपों के दर्शन, पूजन का क्रम जारी है. शारदीय नवरात्र के चौथे दिन मां कुष्मांडा के साधना आराधना का दिन है. मां कुष्मांडा को ब्रह्मांड की देवी माना जाता है, सौरमण्डल की अधिष्ठात्री देवी मां कुष्मांडा ही हैं. मां कुष्मांडा की पूजा-अर्चना से कष्टों से मुक्ति मिलती है और रोग का नाश होता है. (Shardiya Navratri 2022) (navratri 2022 puja vidhi)

कुल्लू: देश भर में शारदीय नवरात्रि के त्योहार (Durga Puja 2022 Date) में भक्त देवी के 9 रूपों की आराधना कर रहे हैं. शारदीय नवरात्रि 2022 (Shardiya Navratri 2022) का आज चौथा दिन है. नवरात्रि के चौथे दिन माता कुष्मांडा की पूजा-अर्चना की जाती है. देवी कूष्मांडा का वाहन सिंह है. मां कुष्मांडा की आठ भुजाएं हैं. इसलिए उन्हें अष्टभुजा के नाम से भी जाना जाता है. मां अपने भक्तों के कष्ट और रोग का नाश करती हैं. कुष्मांडा की पूजा उपासना करने से भक्तों को सभी सिद्धियां मिलती हैं इसके साथ ही व्यक्ति के आयु और यश में में बढ़ोतरी होती है.

माता कुष्मांडा का स्वरूप: मां की हंसी और ब्रह्माण्ड को उत्पन्न करने के कारण ही इन्हें कुष्मांडा देवी कहा जाता है. जिस समय सृष्टि नहीं थी चारों ओर अंधकार था, तब देवी ने अपनी हंसी से ही ब्रह्माण्ड की रचना की थी. इसलिए यही सृष्टि की आदि-स्वरूपा आदि शक्ति हैं. मां के सात हाथों में कमण्डल, धनुष बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र और गदा हैं. आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जपमाला है. मां का निवास सूर्यमंडल के भीतर माना जाता है. जहां कोई भी निवास नहीं कर सकता. मां कुष्मांडा की पूजा अर्चना से सभी प्रकार के रोग और परेशानियां समाप्त हो जाती हैं. मान्यता है मां कूष्मांडा कम सेवा और भक्ति से प्रसन्न हो जाती हैं. मां के इस स्वरूप की पूजा (navratri 2022 puja vidhi) से आयु, यश, बल, और स्वास्थ्य में वृद्धि होती है.

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ऐसे करें माता कुष्मांडा की पूजा: नवरात्रि के चौथे दिन सुबह उठकर स्‍नान कर हरे रंग के वस्‍त्र धारण (significance of navratri festival) करें. सबसे पहले कलश और उसमें उपस्थित सभी देवी देवताओं की पूजा करें. मां की फोटो या मूर्ति के सामने घी का दीपक जलाएं और उन्‍हें तिलक लगाएं. इसके बाद देवी कुष्मांडा की पूजा करें. पूजा शुरू करने से पहले हाथों में फूल लेकर देवी को प्रणाम करते हुए 'सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च। दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्मांडा शुभदास्तु मे' मंत्र का जाप (navratri puja mantra) करें. इसके बाद शप्तशती मंत्र, उपासना मंत्र, कवच और उसके बाद आरती करें. मां की आरती कर ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान दें. इसका विशेष लाभ मिलेगा.

मां कुष्मांडा को लगाएं ये भोग: माता कुष्मांडा को मां को हरी इलायची, सौंफ और कुम्‍हड़े का भोग लगाएं. पौराणिक ग्रंथों के अनुसार माता कुष्मांडा को पीला रंग बहुत प्रिय है. देवी कूष्मांडा को पीला कमल बहुत पसंद है. नवरात्रि के चौथे दिन देवी को पूजा में पीले रंग के वस्त्र, पीली चूड़ी, पीली मिठाई अर्पित करें.

कुष्मांडा देवी का मंत्र:

या देवी सर्वभूतेषु, मां कूष्मांडा रूपेण प्रतिष्ठितता।

नमस्‍तस्‍यै नमस्‍तस्‍यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

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Last Updated :Sep 29, 2022, 11:37 AM IST
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