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ताबो में सेब दिवस एवं किसान मेले में पहुंचे राज्यपाल, बोले- लाहौल स्पीति के किसानों से सीख लेने की जरूरत

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Published : Oct 6, 2022, 3:52 PM IST

Himachal Governor Rajendra Vishwanath Arlekar
ताबो में सेब दिवस एवं किसान मेले में हिमाचल के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर.

डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्योगिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय के लाहौल-स्पीति स्थित कृषि विज्ञान केंद्र, ताबो में सेब दिवस एवं किसान मेले में मुख्यातिथि के तौर पर उपस्थित राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर उपस्थित हुए. इस दौरान राज्यपाल ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि लाहौल स्पीति में प्राकृतिक खेती कर रहे किसानों के अनुभवों से अन्य किसानों को भी प्रेरणा लेनी चाहिए. (farmers in Lahaul Spiti)

लाहौल स्पीति: डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्योगिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय के लाहौल-स्पीति स्थित कृषि विज्ञान केंद्र, ताबो में सेब दिवस एवं किसान मेले में राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर मुख्यातिथि के तौर पर उपस्थित हुए. इस दौरान उन्होंने कहा कि लाहौल स्पीति में प्राकृतिक खेती (Natural Farming in Lahaul Spiti) को जिस तरह किसान ने आज भी सहेजा हुआ है, वह हम सब के लिए गर्व की बात है. (Rajendra Vishwanath Arlekar addresses farmers in Lahaul Spiti)

राज्यपाल ने कहा कि कुल्लू दशहरा (International Kullu Dussehra) के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भुंतर में उनसे प्रदेश में प्राकृतिक खेती के बारे में जानकारी मांगी. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने उनसे इस दिशा में विशेष प्रयास करने को कहा ताकि हिमाचल प्राकृतिक कृषि के मामले में देश के अन्य राज्यों में अग्रणी भूमिका के तौर पर नजर आए. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री प्राकृतिक खेती को लेकर काफी सकारात्मक है. उन्होंने किसानों आगे आकर भावी पीढ़ी को भी इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करने का आह्वान किया. (PM Modi in International Kullu Dussehra)

राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा कि प्राकृतिक खेती कर रहे किसानों के अनुभवों से अन्य किसानों को भी प्रेरणा लेनी चाहिए. उन्होंने आश्वासन दिया कि जो किसान प्राकृतिक कृषि के लिए आगे आएंगे उन्हें प्रदेश सरकार और प्रशासन भी हर संभव मदद करेगी. इस अवसर पर, राज्यपाल ने 40 लाख की लागत से बने आदर्श खाद्य प्रसंस्करण इकाई का लोकार्पण किया. इस इकाई में सेब से बने उत्पाद और यहां पर होने वाली फसलों से उत्पाद तैयार किए जाएंगे. (farmers in lahaul spiti)

इस इकाई के माध्यम से स्वयं सहायता समूहों, कृषि के क्षेत्रों में काम करने वाले किसानों को काफी लाभ मिलेगा. यहां अब कम समय में बेहतर उत्पाद तैयार करके बाजार तक पहुंचा पाएंगे. राज्यपाल ने केंद्र का निरीक्षण भी किया और सेब की फसल के बारे में जानकारी प्राप्त की. राज्यपाल ने इस मौके पर ‘पिती शिंगमा’ पुस्तक का विमोचन भी किया.

इससे पहले, डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्योगिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजेश्वर चंदेल ने राज्यपाल का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि फसलों में उपयोग होने कीटनाशकों से स्वास्थ्य और वातावरण दोनों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है. उन्होंने कहा कि कीटनाशकों के उपयोग के लिए दिए जाने वाले आकर्षक विज्ञापन अधिक नुकसान करते हैं. क्योंकि किसान आकर्षित होकर इसका उपयोग करने लगते हैं. उन्होंने अपील की कि पारम्परिक फसलों और कृषि पद्धति को अपनाएं तभी हम प्राकृतिक खेती और वातावरण को सहेज सकते हैं.

कार्यक्रम में चिचिम गांव के प्रगतिशील किसान कालजांग ने अपने अनुभव साझा किए. उन्होंने कहा कि वे प्राकृतिक तरीके से मशरूम, ढींगरी का उत्पादन कर रहे हैं, जिसमें कृषि केंद्र ताबो का उन्हें सहयोग मिल रहा है. रंगरिक गांव की प्रगतिशील किसान छेरींग ने स्पीति की स्थानीय बोली में अपना अनुभव साझा किया. वहीं, लरी गांव के किसान सुबोध ने सेब के फसल के बारे में जानकारी दी. कार्यक्रम में प्रगतिशील किसानों को सम्मानित भी किया गया.

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