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आज भी स्वतंत्रता सेनानी को याद है आजादी का संघर्ष, आजाद हिंद फौज में थे सिपाही

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Published : Aug 14, 2020, 10:01 PM IST

Updated : Aug 15, 2020, 9:48 AM IST

Hari Ram Shastri
हरि राम शास्त्री

स्वतंत्रता सेनानी हरि राम शास्त्री ने आजाद हिंद फौज में काम किया है. हरिराम के अनुसार अंग्रेजों की गुलामी का दंश झेल रहे हिन्दुस्तानियों को नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने एक नई दिशा दिखाकर आजादी की लड़ाई के लिए तैयार किया था.

सुजानपुर: भारत को स्वतंत्र हुए 73 साल पूरे हो गए हैं. 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों से भारत आजाद हुआ था. इस आजादी के लिए कई स्वतंत्रता सेनानियों ने अपनी जान की कुर्बानी दी है. आज इन कुर्बानियों का नतीजा है कि आज हम एक आजाद देश में रह रहे हैं. स्वतंत्रता सेनानियों की वीर गाथा से आज के युवाओं को प्रेरणा लेनी चाहिए.

ऐसे ही स्वतंत्रता सेनानी है हमीरपुर जिला के हरिराम शास्त्री. हरिराम शास्त्री ने आजाद हिंद फौज में काम किया है. हरिराम के अनुसार अंग्रेजों की गुलामी का दंश झेल रहे हिन्दुस्तानियों को नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने एक नई दिशा दिखाकर आजादी की लड़ाई के लिए तैयार किया था. आजाद हिन्द फौज के सिपाही हमीरपुर जिला के हरि राम शास्त्री की आज भी स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पुरानी यादें ताजा हो जाती है.

वीडियो रिपोर्ट.

हरि राम शास्त्री बताते हैं कि किसी तरह से अंग्रेजों के जुल्मों के खिलाफ आवाज बुलंद करके अंग्रेजों आजाद हिन्द फौज ने काम किया. उन्होंने कहा कि यह सब आंखों के सामने घूमने लगता है. बड़सर उपमंडल के गांव नोहल डाकघर ब्याड के 105 वर्षीय हरिराम शास्त्री स्वतंत्रता संग्राम के दिनों की बातों को जब भी याद करते है तो इनके मन में एक दर्द सा छलकता है. बता दें कि स्वतंत्रता सेनानी हरि राम के परिवार में उनकी पत्नी लौकी देवी, दो बेटे और चार बेटियां हैं.

हरि राम शास्त्री ने बताया कि वह पाकिस्तान के लाहौर में शिक्षा ग्रहण कर रहे थे. इसी दौरान सत्याग्रह के आंदोलन में भी हिस्सा लिया था जिस कारण कई दिनों तक अंग्रेजों ने उन्हें जेल में डाल दिया था. उन्होंने बताया कि उन्होंने जेल में सत्याग्रह किया था और अंग्रेजों की प्रताड़ना के बाद उन्हें जेल से रिहा किया गया था. उन्होंने बताया कि सत्याग्रह आंदोलन के दौरान उन्होंने अंग्रेजों हिन्दुस्तान छोड़ दो का नारा देकर अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष किया था.

स्वतंत्रता सेनानी हरि राम शास्त्री के बेटे सुखदेव शर्मा ने बताया कि उनके पिता सुभाष चंद्र बोस के सभी आंदोलन में शामिल रहे हैं. उन्होंने कहा कि उनके पिता ने देश के लिए अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी है. उन्होंने बताया कि उनके पिता ने पहले स्वतंत्रता सेनानी की पेंशन भी स्वीकार नहीं की थी. इसके बाद साल 2002 में प्रदेश सरकार ने उन्हें फिर चिट्ठी भेजी जिसके बाद हरि राम शास्त्री ने पेंशन लेना शुरू कर दिया.

स्थानीय ग्रामीण ने बताया कि स्वतंत्रता सेनानी हरि राम शास्त्री के ऊपर सभी गांव वासियों को गर्व है. उन्होंने कहा कि देश भक्ति का जज्बा हरि राम शास्त्री में आज भी कूट कूट कर भरा हुआ है. गौरतलब है कि स्वतंत्रता सेनानी हरिराम शास्त्री की गाथा का जिक्र स्वतंत्रता संग्राम के सूरमें किताब में भी किया गया है जिसमें देश भर के स्वतंत्रता सेनानियों की जीवनी दी गई है. हमीरपुर के हरिराम शास्त्री ने स्वतंत्रता दिवस पर देश वासियों को बधाई दी है.

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Last Updated :Aug 15, 2020, 9:48 AM IST
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