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अब पीठ पर नहीं ढोने पड़ेंगे ऑक्सीजन सिलेंडर, NIT हमीरपुर के 2 स्टूडेंट ने तैयार की इलेक्ट्रिक ट्रॉली

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Published : Aug 29, 2022, 4:32 PM IST

Updated : Aug 29, 2022, 5:30 PM IST

electric trolley to carry oxygen cylinder, NIT हमीरपुर के 2 छात्रों ने इलेक्ट्रिक ट्रॉली तैयार की है जिसका इस्तेमाल अस्पतालों में ऑक्सीजन सिलेंडर ढोने के लिए होगा. यह इलेक्ट्रिक ट्रॉली एक घंटे में सात किलोमीटर का सफर तय कर सकती है. जिसे एक स्कूटर की तरह एक्सीलेटर देकर चलाया जा सकता है. पढ़ें पूरी खबर..

electric trolley to carry oxygen cylinder
इलेक्ट्रिक ट्रॉली

हमीरपुर: कोविड काल में जीवनदायिनी ऑक्सीजन के महत्व का अंदाजा सबको हो गया है. संकट काल के इस दौर में अस्पतालों में ऑक्सीजन की सप्लाई और इसकी उपलब्धता को लेकर कई तरह की दिक्कतें पेश आई थीं. अस्पताल में ऑक्सीजन सिलेंडर को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने में भी बेहद परेशानियों का सामना करना पड़ा था. ऐसे में मामूली सी लगने वाली दिक्कत कई दफा कई जिंदगियों पर भारी पड़ गई थी.

दो भाइयों ने बनाई इलेक्ट्रिक ट्रॉली: ऑक्सीजन सिलेंडर का वजन बहुत ज्यादा होता है जिसकी वजह से अस्पताल में एक मंजिल से दूसरी मंजिल तक ले जाने में कड़ी मशक्कत कर्मचारियों को करनी पड़ती है. ऐसे (NIT Hamirpur students made electric trolley) में एनआईटी हमीरपुर में पढ़ाई कर रहे दो सगे भाइयों रजत और अमन ने ऑक्सीजन सिलेंडरों के लिए इलेक्ट्रिक ट्रॉली बनाकर मिसाल पेश की है. अक्सर अस्पतालों में ऑक्सीजन सिलेंडर मरीजों तक पहुंचाने में बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. इसी समस्या से निजात दिलाने के लिए एनआईटी हमीरपुर सायंत्रिक विभाग में पढ़ाई कर रहे दो भाइयों ने यह काम किया है.

वीडियो.

1 घंटे में 7 KM का सफर, कंट्रोलिंग करना भी आसान: एनआईटी के छात्र रजत ने बताया कि इस ट्रॉली को चलाना बेहद ही आसान है. जिस तरह स्कूटर में रेस दी जाती है उसी तरह इसमें भी वैसा ही करना है. उन्होंने बताया कि कि जिला प्रशासन के सहयोग से आईओ 2 ट्रॉली को बनाना संभव हो पाया है. रजत की मानें तो यह इलेक्ट्रिक ट्रॉली (electric trolley to carry oxygen cylinder) एक घंटे में सात किलोमीटर का सफर तय कर सकती है. जिसे एक स्कूटर की तरह एक्सीलेटर देकर चलाया जा सकता है. इलेक्ट्रिक ट्रॉली में पुरुषों सहित महिलाएं भी आसानी से ऑक्सीजन सिलेंडर ले जा सकती हैं.

25 दिनों में किया था डिजाइन तैयार: छात्र रजत ने बताया कि ट्रॉली के डिजाइन को बनाने में 25 दिन का समय लगा था जिसके बाद टौणी देवी अस्पताल में इसका ट्रायल भी किया गया था. वहीं, अब इसका नया वर्जन विकसित किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि इस ट्रॉली को बनाने में करीब 75 से 77 हजार रूपये का खर्चा आया है. उन्होंने बताया कि अभी सिंगल डिजाइन तैयार हुआ है इस वजह से कीमत अधिक है लेकिन जैसे ही प्रोडक्शन ज्यादा होगी तो कीमत में कमी आएगी.

NIT Hamirpur students prepared electric trolley
फोटो.

मुख्यमंत्री स्टार्टअप योजना में किया शामिल: बता दें कि मुख्यमंत्री स्टार्टअप योजना के (CM Startup Scheme) तहत भी दोंनों छात्रों के द्वारा बनाई गई इलेक्ट्रिक ट्रॉली को शामिल किया है ताकि इसका लाभ मिल सके. छात्र रजत ने बताया कि कोरोना काल में ऑक्सीजन के सिलेंडरों को लाने और ले जाने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा था. इस समस्या से (electric trolley to carry oxygen cylinder) निजात पाने के लिए जिला प्रशासन द्वारा एनआईटी को आइडिया दिया गया था कि ऐसी ट्रॉली विकसित की जाए जिससे ऑक्सीजन सिलेंडर को मरीजों तक लाने ले जाने में सुविधा मिल सके. समस्या को हल करने के लिए दोनों भाइयों ने इलेक्ट्रिक ट्रॉली का निर्माण किया है. इस प्रोजेक्ट को अब इंडस्ट्री विभाग द्वारा सीएम स्टार्टअप योजना के अंतर्गत लिया जा चुका है.

डीसी हमीरपुर ने लिया जायजा: उपायुक्त हमीरपुर देवश्वेता बनिक ने एनआईटी संस्थान में इस इलेक्ट्रिक ट्रॉली के सिद्धांत तथा संचालन विधि का जायजा लिया और दोनों छात्रों को उपकरण बनाने पर बधाई दी. उपायुक्त हमीरपुर देवश्वेता बनिक ने बताया कि (DC hamirpur on electric trolley) एनआईटी के 2 छात्रों ने ऑक्सीजन सिलेंडर एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए बैटरी से चलने वाली ट्रॉली बनाई है. जिसका उन्होंने ने जायजा लिया है. उपायुक्त ने बताया कि इस प्रोजेक्ट को अब इंडस्ट्री विभाग द्वारा सीएम स्टार्टअप योजना के अंतर्गत लिया जा चुका है. उपायुक्त ने ट्रॉली का निर्माण करने के लिए एनआईटी के छात्रों की प्रशंसा की और उन्हें बधाई दी.

NIT Hamirpur students prepared electric trolley
फोटो.

मरीजों को तुरंत ऑक्सीजन की सुविधा मिलेगी: वहीं, प्रोफेसर आरके जरयाल ने बताया कि एनआईटी हमीरपुर के दो छात्रों ने बैटरी से चलने वाली ट्रॉली बनाई है. जिससे बड़े- बड़े गैस सिलेंडरों को आसानी से यहां से वहां ले जाया जा सकता है. उन्होंने बताया कि आईसीयू में भर्ती मरीजों को तुरंत ऑक्सीजन की सुविधा मिल सके इसके चलते ही आईओ 2 बनाया है. उन्होंने बताया कि इस प्रोडक्ट को मुख्यमंत्री स्टार्टअप योजना के तहत भी लिया गया है जिससे आगामी दिनों में इसका फायदा होगा.

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Last Updated : Aug 29, 2022, 5:30 PM IST
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