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सुजानपुर से मिली हार का दर्द हो या अनुराग का भविष्य में CM बनना, बेबाक इंटरव्यू ETV BHARAT पर

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Published : Sep 1, 2021, 7:46 PM IST

Updated : Sep 1, 2021, 9:47 PM IST

प्रो. प्रेम कुमार धूमल पर्वतीय राज्य हिमाचल प्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री रहे हैं. उनके दोनों कार्यकाल में भाजपा ने सत्ता के पांच साल पूरे किए. एक बार गठबंधन के साथ और एक बार पूर्ण बहुमत के साथ. वे हमीरपुर से सांसद रह चुके हैं. वे नेता प्रतिपक्ष भी रहे हैं और हिमाचल भाजपा के अध्यक्ष का पद भी संभाल चुके हैं. मतलब उन्हें सभी तरह का अनुभव प्राप्त है. प्रो. धूमल की छवि गंभीर और अध्ययनशील राजनेता की मानी जाती है. प्रोफेसर धूमल एक गर्वित पिता भी हैं और उनके पुत्र अनुराग ठाकुर केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं. ठाकुर के पास सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के साथ खेल मंत्रालय की भी जिम्मेदारी है. ईटीवी भारत के रीजनल एडिटर सचिन शर्मा से बात करते हुए प्रो. धूमल ने अपने नए-पुराने कई अनुभवों को साझा किया और अपनी भावी योजनाओं के बारे में जानकारी दी. आप भी इस रोचक बातचीत को सुनिए..

FORMER CM PREM KUMAR DHUMAL, पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल
डिजाइन फोटो.

सवाल: हिमाचल में भाजपा को मजबूत करने में आपका अहम योगदान है. दो बार मुख्यमंत्री रहते हुए विकास के कई काम आपके कार्यकाल में हुए. आपको सड़कों वाले मुख्यमंत्री के रूप में जाना जाता है. आपने पूरे हिमाचल में सड़कों के नेटवर्क को पहुंचाया है. अब वर्तमान मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के नेतृत्व वाली सरकार के अब तक के कामकाज को आप कैसे देखते हैं?

जवाब: वर्तमान सरकार के कार्यकाल में कोरोना महामारी का बड़ा संकट रहा. लगभग 2 साल इस कार्यकाल के विकास से ज्यादा कोरोना को रोकने में लोगों को बचाने में लग गए. सरकार को जितना समय मिला सरकार ने अच्छा काम किया है. कोरोना के कारण बहुत सारा समय इसमें लग गया. जिससे विकास की गति धीमी पड़ गई.

वीडियो.

सवाल: छोटा पहाड़ी राज्य होने के नाते हिमाचल प्रदेश के पास सीमित आर्थिक संसाधन हैं. केंद्रीय सहायता पर निर्भर हिमाचल पर कर्ज का भी भारी बोझ है. हिमाचल के विकास के लिए विशेष औद्योगिक पैकेज दिलाने में आपकी अहम भूमिका रही है. क्या आप हिमाचल को कर्ज से उबारने के लिए केंद्र से टोटल बेल आउट पैकेज दिए जाने की जरूरत पर जोर देते हैं ? या फिर हिमाचल को आर्थिक समृद्धि के रास्ते पर ले जाने के लिए आपकी नजर में और भी कोई उपाय हैं?

जवाब: 'मैं मानता हूं कि हिमाचल जैसा छोटा राज्य केवल अपने संसाधनों के आधार पर न विकास कर सकता है और न आगे बढ़ सकता है. केंद्र का सहयोग और समर्थन हमेशा चाहिए और मैं कहना चाहूंगा कि एक समय ऐसा आया था कि जब कांग्रेस सरकार ने हमारा विशेष राज्य का दर्जा वापस ले लिया था. जिसके कारण संसाधनों पर काफी दुष्प्रभाव पड़ा था.

मैं धन्यवाद देना चाहूंगा पीएम मोदी का जिन्होंने सत्ता में आने के बाद शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में कमेटी का गठन किया और उस कमेटी की सिफारिश आते ही, हिमाचल प्रदेश को विशेष श्रेणी का दर्जा वापस लौटाया था, जबकि उस समय प्रदेश में कांग्रेस सरकार थी, लेकिन पीएम मोदी ने भेदभाव नहीं किया और हिमाचल प्रदेश को विशेष श्रेणी का दर्जा वापस लौटाया था. जिसमें अगर केंद्र से हमें 100 रुपये मिलते हैं तो उसमें से 90 रुपये उसमें अनुदान होते हैं और 10 रुपये एक ऋण के तौर पर होते हैं. कोरोना के दौरान भी केंद्र से 400 करोड़ रुपये 50 साल के लिए ब्याजमुक्त प्रदेश को सहायता दी गई. वहीं, कोरोना से लड़ने के लिए केंद्र ने बहुत संसाधन दिए.

बाकि रही बात हमारे शासनकाल की तो पीएम मोदी आज स्वच्छता अभियान चला रहे हैं जिसमें हमने 1999 में पॉलीथिन और प्लास्टिक को बैन कर दिया था. वहीं, हजारों करोड़ की मदद हमें केंद्र के माध्यम से वर्ल्ड बैंक द्वारा दी गई थी.

हिमाचल में पर्यटन को बढ़ावा देना होगा. इसमें धार्मिक पर्यटन हो या साहसिक पर्यटन. हमें अरबी कल्चर को विकसित करना होगा. हिमाचल में पंजाब जैसा गर्म क्षेत्र भी है और सबसे ठंडा स्थान भी हिमाचल में है. इसका अर्थ है कि हर प्रकार की जड़ी बूटियां यहां पैदा हो सकती हैं.

सवाल: हिमाचल देवभूमि के साथ-साथ वीरभूमि भी है. भारतीय सेना में 'हिमालयन रेजीमेंट' आपका मूल विचार रहा है. इस संदर्भ में हिमाचल विधानसभा से प्रस्ताव पारित कर भी केन्द्र सरकार को भेजे गए हैं. वर्तमान पीएम नरेंद्र मोदी जी से भी आपके नजदीकी रिश्ते हैं. क्या निकट भविष्य में आप हिमालयन रेजीमेंट का सपना साकार होते देख रहे हैं ?

जवाब: हमने तो कहा था कि हिमाचल रेजीमेंट बने. जैसा पंजाब रेजीमेंट, जाट रेजीमेंट, बिहार रेजीमेंट, कुमाऊं रेजीमेंट, गढ़वाल रेजीमेंट, मद्रास रेजीमेंट राज्यों के नाम से होती थीं, लेकिन फिर केंद्र ने निर्णय लिया कि राज्यों के आधार पर रेजीमेंट नहीं बनेंगी. डोगरा रेजीमेंट है जिसमें हमारे अधिकतर जवान जाते हैं. आपने सही कहा हिमाचल वीरभूमि है. कारगिल युद्ध में चार परमवीर चक्र मिले थे. जिसमें हिमाचल के दो जवान कैप्टन विक्रम बत्रा और संजय कुमार भी शामिल थे. इसी को लेकर हम कई बार आग्रह करते रहे, जिसके बाद हमने कहा कि अगर हिमाचल रेजीमेंट नहीं तो हिमालयन रेजीमेंट बने.

अब अगर कभी पाकिस्तान या चीन के साथ हमारा युद्ध होता है तो दोनों देश पहाड़ पर ही लड़ेंगे. और ऐसे में जो पहाड़ी क्षेत्र के जवान हैं वो इन हालातों में ज्यादा सही तरीके से मुकाबला कर पाएंगे. इसलिए मैंने कहा था कि हिमाचल के बजाए हिमालयन रेजीमेंट इसको कर दिया जाए जिसमें जम्मू कश्मीर, हिमाचल, उत्तराखंड, सिक्किम और जितने भी पहाड़ी राज्य हैं वहां से लोग इस रेजीमेंट में भर्ती हों.

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सवाल: ये दुखद है कि कांग्रेस के कद्दावर नेता वीरभद्र सिंह अब हमारे बीच नहीं हैं, प्रदेश की राजनीति में कांग्रेस की इस रिक्तता को आप कैसे देखते हैं और चिर राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी से आपके रिश्तों को आप कैसे बयां करेंगे ?

जवाब: वीरभद्र सिंह हमारे प्रदेश के कद्दावर नेता थे. उनसे मेरी कोई तुलना नहीं है. वो राज परिवार से थे और मैं फौजी और किसान परिवार से हूं, लेकिन विचारधारा के मतभेद हमारे बीच हमेशा रहे, फिर भी हमारे बीच कोई व्यक्तिगत मतभेद नहीं रहे. विधानसभा के बाहर हम हमेशा दिल खोलकर मिलते थे.

मुझे याद है कि जब मैं पहली बार मुख्यमंत्री बना उससे पहले मैं संसद में होता था. चुनाव जीतने के बाद जब मैं जाखू मंदिर में माथा टेककर वापस आ रहा था तो रास्ते में वीरभद्र सिंह खड़े थे. मैं उनके घर गया और उनके साथ चाय पी. फिर उसके बाद मुझसे मिलने जब सीएम हाउस आए तो मैंने कहा बैठिए जी. तो उन्होंने कहा कि पहले आप बैठिए मुख्यमंत्री जी. तो मैंने कहा कि आप बैठिए आप मुझसे काफी सीनियर हैं. तो उन्होंने कहा कि नहीं-नहीं मुख्यमंत्री का अपना रूतबा होता है.

2012 में जब वो मुख्यमंत्री बने तो उनका मैसेज मुझे आया कि मैं मिलना चाहता हूं. मैंने कहा मुख्यमंत्री आना चाहते हैं तो आएं, उस समय मैं मुख्यमंत्री के आवास में ही रहता था, क्योंकि मुझे नया मकान अभी मिला नहीं था.

वीरभद्र सिंह विशेष तौर पर मुझसे मिलने आए और कहा कि मैं तो इस आवास में रहता नहीं हूं. अगर आप मुख्यमंत्री के आवास ओकओवर में ही रहना चाहते हैं तो आप यहीं रहिए. मकान शिफ्ट क्यों करना है. अगर कोई मेरी ही पार्टी का मुख्यमंत्री होता तो भी वो ऐसे ऑफर नहीं करता. हमारे विचारधारा के मतभेद थे, लेकिन एक दूसरे का मान सम्मान बहुत था. मैं उनको सीनियर लीडर नहीं अपना बड़ा भाई कहता हूं.

सवाल: भाजपा ने अगले विधानसभा चुनावों के लिए हिमाचल में 'मिशन रिपीट' का नारा दिया है. आपके समय में भी मिशन रिपीट का नारा बुलंद हुआ था. उस समय भाजपा की पोजीशन हिमाचल में काफी मजबूत थी और मिशन रिपीट संभव होता भी दिख रहा था. लेकिन आपकी सरकार रिपीट नहीं कर पाई. हालांकि भाजपा से कांग्रेस को कड़ी टक्कर मिली थी. क्या इस बार आप अपने उस सपने को साकार होता हुआ देख रहे हैं?

जवाब: सही कहा आपने कि 1990 में विधानसभा के चुनाव हुए तो मैं उस समय पहली बार सांसद बना हुआ था. चुनाव के बाद शिमला में हमारी पार्टी की तरफ से मैं था और कांग्रेस की तरफ से वीरभद्र सिंह थे जो उस समय चुनाव जीतकर आए थे. तो दूरदर्शन पर डिस्कशन था तो हमसे पूछा गया कि आपकी सरकार रिपीट नहीं हुई.

मैंने कहा कि ये परंपरा बन गया है कि एक बार एक जीतता है और दूसरी बार दूसरा. उन्होंने कहा कि जब आपको पता था कि हारेंगे तो क्यों लड़े? तो मैंने कहा कि हमने सोचा था कि हम इतिहास बदल देंगे. इस बार हमारा टारगेट है कि बीजेपी की सरकार रिपीट हो और इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं.

सवाल: कोरोना ने पूरे विश्व को गहरे जख्म दिए हैं. भारत और हिमाचल में भी स्थितियां नाजुक हुई थीं. कोरोना संकट से निपटने में केंद्र व हिमाचल सरकार के काम को आप कैसे आंकते हैं ? हालांकि हिमाचल वैक्सीन की फर्स्ट डोज का तय लक्ष्य हासिल करने के करीब है, लेकिन क्या आप मानते हैं कि हिमाचल का स्वास्थ्य ढांचा और विकसित करने की जरूरत है, या फिर इतना ही पर्याप्त है?

जवाब: हिमाचल सरकार ने यथाशक्ति बहुत अच्छा काम किया, लेकिन आप मानेंगे कि देश और विश्व कोरोना की महामारी के लिए तैयार नहीं था. अमेरिका जैसे बड़े देशों के कदम लड़खड़ा गए, लेकिन हिमाचल को केंद्र से काफी मदद मिली और अस्पतालों में जितनी भी जरूरतें थीं सब पूरी हुईं. देखिए हिमाचल के स्वास्थ्य ढांचे को काफी विकसित करने की जरूरत है. हिमाचल में 9 मेडिकल कॉलेज हैं जो ये दर्शाता है कि केंद्र और प्रदेश सरकार मिलकर स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत करने में लगी है.

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सवाल: मौजूदा मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को आप उनके पहले कार्यकाल में कितना सफल पाते हैं ? क्या समय-समय पर वे आपके अनुभव का लाभ लेने का प्रयास करते हैं और क्या आप भी सरकार को संवेदनशील मामलों पर सलाह देते हैं ? धूमल जी, इंटरव्यू अब अपने आखिरी पड़ाव पर आ गया है. मैं आपसे अब अपने आखिरी दो लेकिन बेहद महत्वपूर्ण सवाल पूछना चाहता हूं.

जवाब: देखिए जो भी मुख्यमंत्री होता है उसकी अपनी सोच और विजन होता है उसमें दखल देना उचित नहीं होता और देना भी नहीं चाहिए. जहां मुख्यमंत्री को आवश्कता महसूस होती है वे बात करते हैं. जितनी बात पूछते हैं उतनी हम बता देते हैं.

सवाल: आप 2017 में हिमाचल में पार्टी की तरफ से सीएम का चेहरा थे. पार्टी हाईकमान आपकी अपनी सीट से हार के बाद भी आपको सीएम बना सकता था, क्योंकि भाजपा को हिमाचल में सत्ता दिलाने में आपका हमेशा अहम योगदान रहा है. क्या इस घटनाक्रम के बाद आपके मन में कहीं कोई राजनीतिक टीस तो नहीं रह गई है ? या फिर आप पार्टी को बुलंदी पर देखकर और अपनी अभी तक की राजनीतिक पारी से संतुष्ट और खुश हैं ?

जवाब: टीस ये थी कि मेरी सीट बदली हुई थी और मैं एक दिन भी अपने चुनाव क्षेत्र में प्रचार नहीं कर सका था. जिस दिन चुनाव प्रचार का अंतिम दिन था तो मुझे एक-दो चुनाव क्षेत्रों में जाना पड़ा और जब मैं अपने चुनाव क्षेत्र में पहुंचा तो पांच बज चुके थे. जहां मेरा व्यक्तिगत संपर्क होना चाहिए था वो नहीं हो पाया, लेकिन जिस विधानसभा सीट से 2 हजार वोटों से हारा था वहीं, लोकसभा चुनाव में हमने 25 हजार वोटों की बढ़त हासिल की थी.

सवाल: आपके पुत्र अनुराग ठाकुर ने अपने अभी तक के राजनीतिक जीवन में बहुत ऊंचाइयां छूई हैं. क्या आप निकट भविष्य में उन्हें हिमाचल का सीएम बनते हुए देखते हैं ?

जवाब: ये काम हाईकमान का होता है. कोई भी पिता होगा वो अपने बेटे द्वारा ऊंचा पद पाने पर खुश ही होगा.

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Last Updated :Sep 1, 2021, 9:47 PM IST
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