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32 वर्षों से भोरंज में भाजपा का एक छत्र राज, अब डॉ. धीमान के बागी तेवरों से बढ़ी उलझन

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Published : Oct 8, 2022, 11:23 AM IST

हिमाचल विधानसभा चुनाव 2022 (Himachal assembly elections 2022) को लेकर हमीरपुर की भोरंज विधानसभा क्षेत्र से भाजपा और कांग्रेस ने अपने प्रत्याशी उतार दिए हैं. बता दें इस बार दोनों ही दलों के लिए यह सीट जितना मुश्किल हो सकता है. वर्तमान विधायक कमलेश कुमारी को सरकार ने मजबूती देने के खूब प्रयास किए हैं. यहां भाजपा से बागी हुए पूर्व विधायक डॉ. अनिल धीमान वर्तमान सरकार में हाशिये पर नजर आ रहे हैं. वहीं, कांग्रेस के भी तीन दावेदार इस सीट पर चुनाव लड़ रहे हैं. बता दें कि इस सीट पर भाजपा ने लगातार सात विधानसभा चुनावों में जीत का परचम लहराया है और कांग्रेस को सात आम चुनाव और एक उपचुनाव में हार का सामना करना पड़ा है. पढ़ें पूरी खबर...

BJP has won eight times Bhoranj.
32 वर्षों से भोरंज में भाजपा का एक छत्र राज.

हमीरपुर: जिला हमीरपुर की भोरंज विधानसभा क्षेत्र (Bhoranj Assembly constituency of Hamirpur) में भाजपा ने लगातार सात विधानसभा चुनावों में जीत का परचम लहराया है. यहां पर अब तक के इतिहास में एक दफा हुए उपचुनाव में भाजपा ने ही बाजी मारी है. भोरंज विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस को सात आम चुनाव और एक उपचुनाव में हार का सामना करना पड़ा (Congress faced defeat eight times in Bhoranj) है. यहां पर साल 1990 से 2017 तक भाजपा ने लगातार आठ दफा जीत हासिल की (BJP has won eight times Bhoranj) है. इन आठ जीत में सात जीत दिवंगत भाजपा नेता पूर्व शिक्षा मंत्री आईडी धीमान और उनके बेटे अनिल धीमान के नाम है.

साल 2017 में आईडी धीमान के विधायक रहते देहांत होने पर उनके बेटे को भाजपा ने चुनावी मैदान में उतारा और जीत हासिल की. इसके बाद 2017 में भाजपा ने टिकट बदला और महिला नेत्री कमलेश कुमारी पर दांव चलते हुए फिर जीत का परचम लहराया. यहां कांग्रेस की गुटबाजी के चलते भाजपा ने आसानी से जीत हासिल की है. एससी वर्ग के लिए आरक्षित इस सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के गुरु दिवंगत पूर्व शिक्षा मंत्री का छह दफा लगातार जीत हासिल करने का रिकॉर्ड है.

इस सीट पर पिछले तीन दशकों यानि 32 वर्षों से भाजपा का कब्जा है. इन 32 वर्षों में कांग्रेस को इस सीट पर लगातार सात चुनाव और एक उपचुनाव में हार का सामना करना पड़ा है. कांग्रेस को यहां पर अंतिम दफा 1985 में धर्म सिंह ने जीत दिलाई थी. इस सीट पर 80,347 मतदाता वर्तमान में है जिसमें 38,469 पुरुष और 40,300 महिला मतदाता और 1,544 पुरूष सर्विस वोटर और 34 महिला सर्विस वोटर भी शामिल हैं.

जनसंघ के जमाने से बीजेपी की विचारधारा का रहा है दबदबा: भाजपा के गठन से पहले कांग्रेस ने 1972 और 1982 में यहां पर जीत हासिल की थी. भारतीय जनसंघ ने 1967 में अमर सिंह को टिकट देकर इस सीट पर जीत का परचम लहरा दिया था और बाद में जनता पार्टी के प्रत्याशी अमर सिंह ने 1977 में इस सीट पर जीत हासिल की थी. कुल मिलाकर 1967 से अबतक 11 चुनावों और एक उपचुनाव में से कांग्रेस ने यहां पर महज तीन चुनावों में ही जीत हासिल की है. साल 1990 से लेकर 2012 तक पूर्व शिक्षा मंत्री आईडी धीमान इस सीट पर लगातर छह दफा विधायक चुने गए. भाजपा का दबदबा इस सीट पर तीन दशकों से कायम है.
बेटे
हाशिये पर चले रहे धीमान के तेवर, MLA कमलेश को मिली मजबूती: वर्तमान विधायक कमलेश कुमारी को सरकार में मजबूती देने के खूब प्रयास हुए है. सीएम जयराम ठाकुर ने हमीरपुर जिला में सबसे अधिक दौरे भोरंज विधानसभा क्षेत्र के ही किए हैं. यहां पर विभागीय कार्यालय खोलने में भाजपा ने अपने कार्यालय में कोई कमी नहीं रखी है, लेकिन कांग्रेस नेताओं की मानें तो सीएम महज घोषणाएं करने के लिए चुनावी साल में हमीरपुर आ रहे हैं.

विधायक कमलेश कुमारी की अगर बात करते तो उन्हें जयराम सरकार में मजबूत करने के प्रयास खूब हुए हैं. भाजपा के प्रदेश संगठन में पद हासिल करने के साथ सरकार में विधायक कमलेश कुमारी का रुतबा तो बढ़ा, लेकिन पूर्व मंत्री आईडी धीमान के बेटे पूर्व विधायक डॉ. अनिल धीमान वर्तमान सरकार में हाशिये पर नजर आ रहे हैं. सरकार और संगठन में अनदेखी से आहत डॉ. अनिल धीमान भाजपा से बागी होकर चुनाव लड़ने का ऐलान भी कर चुके हैं.

कांग्रेस और भाजपा दोनों में गुटबाजी एक बड़ी चुनौती: भोरंज विधानसभा क्षेत्र में भाजपा और कांग्रेस दोनों में गुटबाजी बड़ी चुनौती होगी. एक तरफ कांग्रेस यहां पर तीन दशक से गुटबाजी की वजह से जीत हासिल नहीं कर पाई है तो वहीं, भाजपा की राह भी इस बार मुश्किल नजर आ रही है. भाजपा में हाशिये पर चल रहे पूर्व विधायक अनिल धीमान यहां पर आजाद प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं. ऐसे में आगामी चुनावों में भाजपा की यहां पर जीत आसान नहीं होंगी. कांग्रेस की तरफ से यहां पर तीन प्रत्याशी सक्रिय है जो कि पिछले चुनावों में पार्टी टिकट पर चुनाव और उपचुनाव लड़ चुके हैं. इस रेस में कांग्रेस नेता प्रेम कौशल, सुरेश कुमार और नेत्री प्रोमिला देवी शामिल हैं. दोनों ही दलों को यहां पर बागियों को संतुष्ट कर गुटबाजी से पार पाना होगा तभी जीत की राह आसान हो पाएगी.

धूमल और अनुराग ठाकुर का भी है विधानसभा क्षेत्र: पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर का भोरंज गृह विधानसभा क्षेत्र है. पिता धूमल और पुत्र अनुराग भी इस विधानसभा क्षेत्र से ही ताल्लुक रखते हैं, हालांकि धूमल परिवार ने एक भी दफा इस सीट से चुनाव नहीं लड़ा है. साल 2012 में इस विधानसभा क्षेत्र का नाम मेवा से बदल कर भोरंज कर दिया गया था.

मेवा से भोरंज बनने तक धीमान का जलवा, नहीं जीता कोई निर्दलीय: पूर्व शिक्षा मंत्री आईडी धीमान ने इस सीट पर लगातर छह दफा जीत हाासिल कर रिकॉर्ड कायम किया है. साल 1990 में उन्होंने रिकॉर्ड 11,924 मतांतर से जीत हासिल की जो अभी तक रिकॉर्ड है, हालांकि सबसे कम मतों से जीत हासिल करने का भी रिकॉर्ड आईडी धीमान के नाम ही है. 1990 में 11,924 मतों से जीतने वाले आईडी धीमान तीन वर्ष बाद 1993 में महज 447 मतों से जीत हासिल कर पाये थे. धीमान का यह रिकॉर्ड अभी तक कायम हैं. इस विधानसभा क्षेत्र में अभी तक कोई निर्दलीय जीत हासिल नहीं कर पाया है. विधानसभा के डिलिमिटेशन के बाद मेवा सीट को भोरंज नाम से जाने जाना लगा.

दोनों ही दलों में कई टिकार्थी, आजाद भी मैदान में: भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों के लिए भोरंज में कई टिकार्थी मैदान में है. भाजपा विधायक के लिए पूर्व विधायक अनिल धीमान चुनौती हैं तो वहीं, कांग्रेस के तीन चेहरे यहां पर सक्रिय हैं. कांग्रेस का टिकट जिस प्रत्याशी को यहां पर मिलेगा उसे अन्य दोनों नेताओं को साथ लेकर चलना भी चुनौती होगी. यहां पर कांग्रेस नेता सुरेश कुमार नेशनल लेवल पर एआईसीसी के एससी विभाग के समन्वयक हैं. वह हिमाचल कांग्रेस चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष सुक्खू के करीबी माने जाते हैं. ऐसे में उनकी दावेदारी भी मजूबत है हालांकि वह इस विधानसभा क्षेत्र में तीन दफा टिकट मिलने के बावजूद जीत हासिल नहीं कर पाए हैं.

वहीं, दूसरे उम्मीदवार प्रेम कौशल हैं जो वर्तमान में हिमाचल कांग्रेस के प्रवक्ता हैं. प्रेम कौशल भी एक दफा यहां से कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं. कांग्रेस नेत्री प्रोमिला देवी पर कांग्रेस ने उपचुनाव में विश्वास जताया था जब प्रेम कौशल का टिकट यहां पर पक्का माना जा रहा था. यहां पर तीनों कांग्रेसी नेताओं को एक दिशा देना कांग्रेस के लिए चुनौती होगी. जिला परिषद के तीसरी दफा सदस्य चुने गए पवन धीमान भी फील्ड में सक्रिय हैं. माना जा रहा है कि वह भी चुनाव में उतर सकते हैं.

ये हैं जीत हार के आंकड़े:

साल 1967- जीत मतांतर 3910
भारतीय जनसंघ के ए सिंह 6,933 मत लेकर विजेता बने.
कांग्रेस के प्रत्याशी आर फूल को 3,023 मत प्राप्त हुए.
साल 1972- जीत मतांतर 3159
कांग्रेस के प्रत्याशी धर्म सिंह 7173 मत लेकर विजय बने.
आजाद प्रत्याशी रूप सिंह फूल 4014 मत लेकर दूसरे स्थान पर रहे.
भारतीय जनसंघ के प्रत्याशी अमर सिंह को 2274 मत प्राप्त हुए.
साल 1977- जीत मतांतर 1021
जनता पार्टी प्रत्याशी अमर सिंह 8,533 मत लेकर विजयी बने.
कांग्रेस प्रत्याशी धर्म सिंह को 7,512 मत प्राप्त हुए.
साल 1982- जीत मतांतर 1890
कांग्रेस प्रत्याशी धर्म सिंह 11,814 मत लेकर विजयी बने.
बीजेपी प्रत्याशी अमर सिंह को 9,924 मत प्राप्त हुए.
साल 1985- जीत मतांतर 1925
कांग्रेस प्रत्याशी धर्म सिंह 13,437 मत लेकर विजय बने.
भाजपा प्रत्याशी मेला सिंह को 11,512 मत प्राप्त हुए.
साल 1990- जीत मतांतर 11924
भाजपा प्रत्याशी आईडी धीमान को 20,832 मत लेकर विजेता बने.
कांग्रेस प्रत्याशी धर्म सिंह को 8,908 मत प्राप्त हुए.
साल 1993- जीत मतांतर 447
भाजपा प्रत्याशी आईडी धीमान को 17,134 मत लेकर विजेता बने.
कांग्रेस प्रत्याशी नीरज कुमार को 16, 687 मत प्राप्त हुए.
साल 1998- जीत मतांतर 5417
भाजपा प्रत्याशी आईडी धीमान को 19,949 मत लेकर विजेता बने.
कांग्रेस प्रत्याशी प्रेम कौशल को 14,532 मत प्राप्त हुए.
साल 2003- जीत मतांतर 1329
भाजपा प्रत्याशी आईडी धीमान 22,778 मत लेकर विजेता बने.
कांग्रेस प्रत्याशी सुरेश कुमार को 21,449 मत प्राप्त हुए.
साल 2007- जीत मतांतर 10375
भाजपा प्रत्याशी आईडी धीमान 24,421 मत लेकर विजेता बने.
कांग्रेस प्रत्याशी सुरेश कुमार को 14,046 मत प्राप्त हुए.
साल 2012- जीत मतांतर 10415
भाजपा प्रत्याशी आईडी धीमान 27,323 मत लेकर विजेता बने.
कांग्रेस प्रत्याशी रमेश चंद को 16,908 मत प्राप्त हुए.
साल 2017- जीत मतांतर 6892
भाजपा प्रत्याशी कमलेश कुमारी 27961 मत लेकर विजयी बनी.
कांग्रेस प्रत्याशी सुरेश कुमार को 21069 मत प्राप्त हुए.


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