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बंजर जमीन पर शुरू की लेमन ग्रास की खेती, 15 सौ रुपये लीटर बिक रहा तेल

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Published : Aug 8, 2020, 5:11 PM IST

लेमन ग्रास गर्म इलाकों में भारी मात्रा में उगाया जा सकता है, लेकिन हिमाचल के निचले क्षेत्रों के कई गांव इसके लिए अनुकूल माने गए हैं. इसकी खासियत यह है कि एक बार लगा देने के बाद साल में तीन बार कटाई करके इससे तेल निकाला जा सकता है.

Farmer planted Lemon grass on land in Kngra
फोटो

ज्वालामुखी/कांगड़ाः जिला के चौकाठ गांव में बंजर हुई भूमि को एक किसान ने अपनी मेहनत व लगन से एक बार फिर सोना उगलने के लायक बना दिया है. प्रगतिशील किसान अनिल ने पांच कनाल भूमि पर लेमन ग्रास उगाकर उससे तेल निकालना शुरू किया है. जिसकी कीमत बाजार में 1500 रूपये प्रति लीटर मिल रही है.

यहीं, नहीं अपनी कामयाबी से खुश अनिल ने गांव के 35 लोगों के साथ मिलकर किसान बागवान औषधीय एवं सौगन्ध सहकारिता समिति चौकाठ का गठन भी कर दिया है. इस समय क्षेत्र के सभी 35 किसान लगभग 80 कनाल भूमि पर लेमन ग्रास की खेती करके अच्छी आजीविका कमा रहे हैं.

वीडियो रिपोर्ट

किसान अनिल कुमार ने बताया कि आवारा जानवरों की वजह से उसने अपनी खेती योग्य उपजाऊ भूमि बंजर छोड़ दी थी. उसी वक्त जैव प्रौद्योगिकी संस्थान पालमपुर की ओर से भारत सरकार से स्वीकृत रोमा मिशन प्रोजेक्ट के तहत सुगन्धित पौधों, लेमन ग्रास से तेल निकाल कर किसानों की आर्थिक प्रगति के लिए ट्रेनिंग दी जा रही थी. जिसमें अनिल ने लेमन ग्रास की खेती करने की बारीकियां सीखी. साथ ही शुरू में एक कनाल भूमि पर यह सुगन्धित घास उगाया. जिसे अब 5 कनाल भूमि पर उगाया जा रहा है. समिति के 35 किसान 80 कनाल भूमि पर इस घास की पैदावार करके तेल निकालकर आय अर्जित कर रहे हैं.

क्या है लेमन ग्रास-

लेमन ग्रास गर्म इलाकों में भारी मात्रा में उगाया जा सकता है, लेकिन हिमाचल के निचले क्षेत्रों के कई गांव इसके लिए अनुकूल माने गए हैं. इसकी खासियत यह है कि एक बार लगा देने के बाद साल में तीन बार कटाई करके इससे तेल निकाला जा सकता है.

इससे बनने वाला तेल कॉस्मेटिक उद्योग के लिए शैम्पू, साबुन, क्रीम बनाने के लिए प्रयोग में लाया जाता है. इसके अलावा लेमन टी व आयुर्वेदिक उद्योगों में भी औषधीय गुणों के कारण इसकी भारी मांग है.

विदेशों में इसका उपयोग आईसक्रीम इत्यादि बनाने के लिए सुगन्ध के तौर पर किया जाता है. किसानों के लिए इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इस घास की फसल के नजदीक जानवर फटकते भी नहीं हैं. तेज सुगन्ध के कारण मच्छर या जहरीले जानवर नजदीक नहीं आ सकते.

बता दें कि कोरोना संक्रमण के कारण पिछले दिनों में सेनेटाइजर बनाने के लिए भी स्थानीय उद्योगों ने चौकाठ में बने लेमन ग्रास के तेल की भारी मांग रखी. जिसे अनिल व सोसाइटी के साथ जुड़े लोगों ने पूरा किया.

वहीं, डॉ. राकेश राणा, वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक, जैव प्रौद्योगिक संस्थान पालमपुर ने बताया कि जैव प्रद्योगिक संस्थान ने पूरे देश में इस तरह की 51 यूनिट स्थापित की हैं. लेमन ग्रास व जंगली गैंदा फूल से निकलने वाले तेल की बाजार में काफी मांग है.

लेमन ग्रास 1500 रुपय प्रति लीटर तो जंगली गैंदा से निकलने वाले तेल की कीमत 5000 रुपये प्रति लीटर है. जंगली जानवरों की दिक्कत के चलते अपनी भूमि बंजर छोड़ चुके किसानों के लिए लेमन ग्रास व जंगली गैंदा की पैदाबार बेहद लाभदायक है.

हिमाचल प्रदेश में ज्वालामुखी के चौकाठ को मिलाकर 30 के करीब प्रोसेसिंग यूनिट लगाए गए हैं. जहां से किसान अपने खेतों का घास से तेल निकाल सकता है. उसमें किसान का खर्चा केवल ईंधन का रहता है, जबकि संस्थान किसानों से कुछ नहीं लेता है.

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