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हिमाचल अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के प्रदेश स्तरीय सम्मेलन में बनी आंदोलन की रणनीति

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Published : Jul 25, 2021, 7:39 PM IST

बिलासपुर में अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के फेडरल हाउस का आयोजन किया गया. जिसमें प्रदेश के 10 जिलों से महासंघ के पदाधिकारियों ने शिरकत ही. इस दौरान महासंघ की मान्यता को लेकर सरकार के निर्णय के खिलाफ रणनीति बनाई गई. साथ ही, महासंघ की 56 सूत्रीय मांगों पर कोई उचित कदम नहीं उठाने को लेकर सरकार के खिलाफ रोष जताया है.

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फोटो.

बिलासपुर: हिमाचल प्रदेश अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ (एनआर ठाकुर गुट) ने प्रदेश सरकार की ओर से महासंघ की मान्यता को लेकर लिए गए निर्णय के खिलाफ आंदोलन का बिगुल बजा दिया है. प्रदेश सरकार की ओर से यदि महासंघ की मान्यता को लेकर अपना निर्णय नहीं बदला तो कर्मचारी आगामी विधानसभा उपचुनाव के साथ ही लोकसभा उपचुनावों में सरकार के खिलाफ खड़े होंगे.

राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय बिलासपुर में रविवार को हिमाचल प्रदेश अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ (एनआर गुट) का फेडरल हाउस का आयोजन किया गया. जिसमें ऊना, लाहौल स्पीति के छोड़ प्रदेश भर से 10 जिलों के महासंघ प्रधान के साथ ही महासचिव सहित अन्य पदाधिकारियों ने शिरकत की. महासंघ प्रदेश अध्यक्ष एनआर ठाकुर के साथ ही, राष्ट्रीय राज्य कर्मचारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष विपिन डोगरा ने विशेष रूप से शिरकत की.

इस दौरान सरकार को विधानसभा चुनावों के दौरान और भाजपा सरकार के कार्यकाल में महासंघ की ओर से सौंपे गए 56 सूत्रीय मांग पर कोई भी उचित कदम नहीं उठाने को लेकर सरकार के खिलाफ रोष जताया. प्रदेश अध्यक्ष एनआर ठाकुर ने कहा कि प्रदेश सरकार अपने चार वर्ष के कार्यकाल में कर्मचारियों की मांगों को पूरा करने में असफल रही है. हालांकि कुछ घोषणा मुख्यमंत्री ने की, लेकिन वह अपनी मनमर्जी से की है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की ओर से कर्मचारियों को बिना पूछे ही व्यक्ति विशेष को मान्यता दे दी गई. जोकि सही निर्णय नहीं है.

उन्होंने कहा कि सरकार को अपना निर्णय बदलना चाहिए. अन्यथा आगामी भविष्य में इसका खामियाजा सरकार को भुगतना पड़ेगा. राष्ट्रीय राज्य कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष विपिन डोगरा ने कहा कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर द्वारा अपने निर्वाचन क्षेत्र के व्यक्ति को महासंघ का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है जोकि दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को इस ओर कर्मचारियों द्वारा चुने गए कर्मचारी नेताओं को प्राथमिकता देनी चाहिए थी न कि व्यक्ति विशेष को प्राथमिकता मिलनी चाहिए थी. सरकार इस निर्णय पर पुर्नविचार करे.

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