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नई शिक्षा नीति से होगा 21वीं सदी के युवाओं का कौशल उन्नयन- गोविंद सिंह ठाकुर

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Published : Sep 30, 2021, 7:20 PM IST

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फोटो.

बिलासपुर एक निजी होटल में गुरुवार को राष्ट्रीय शिक्षा नीति संवाद एवं हितधारक विचार-विमर्श विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला आयोजन हुआ. कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए शिक्षा मंत्री गोविंद ठाकुर ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति देशभर के शिक्षाविदों, बुद्धिजीवियों के सुझावों का समावेश हैं, जो समाज को एक नई दिशा प्रदान करेगी. हिमाचल प्रदेश नई शिक्षा नीति को कार्यान्वित करने वाला देश का पहला राज्य बनने का प्रयास कर रहा है.

बिलासपुर: नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारतीय परम्पराओं, ज्ञान और संस्कृत मूल्यों पर आधारित है. यह नीति वर्तमान व भावी पीढ़ी को एक सु-संस्कृत मानव बनाने में पूरी तरह सक्षम है, जिससे एक समृद्ध समाज की परिकल्पना साकार होगी. यह बात शिक्षा, कला, भाषा एवं संस्कृति मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने बिलासपुर के एक निजी होटल में गुरुवार को आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में कही.

राष्ट्रीय शिक्षा नीति संवाद एवं हितधारक विचार-विमर्श विषय पर समग्र शिक्षा राज्य परियोजना के तहत डाईट जुखाला ने एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन कराया था. कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए शिक्षा मंत्री गोविंद ठाकुर ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति देशभर के शिक्षाविदों, बुद्धिजीवियों के सुझावों का समावेश है जो समाज को एक नई दिशा प्रदान करेगी. उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश नई शिक्षा नीति को कार्यान्वित करने वाला देश का पहला राज्य बनने का प्रयास कर रहा है.

उन्होंने कहा कि बच्चों के लिए नई शिक्षा नीति से स्कूलों में खुशी का वातावरण तैयार होगा. यह बच्चों को मानसिक तनाव से बाहर निकालने में सहायक सिद्ध होगी. उन्होंने कहा कि हर जिले में राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर कार्यशालाओं का आयोजन किया जा रहा है. यह शिक्षा नीति 21वीं सदी के युवाओं का कौशल उन्नयन सुनिश्चित करेगी, जिससे वह रोजगारोन्मुख बन सके. गत वर्ष 8 सितम्बर को राज्य टास्क फोर्स का गठन किया जा चुका है.

शिक्षा की मूल भावनाओं और उद्देश्यों पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि भारत में शिक्षा पर संवाद दुनिया का सबसे बड़ा संवाद है. नई शिक्षा नीति को जल्द से मूल रूप देने के लिए सभी को काम करना है. नीति बन चुकी है अब इसके कार्यान्वयन को लेकर केवल सुझाव ही दिए जा सकते हैं, जिसमें शिक्षक की भूमिका अहम है.

इस मौके पर विशिष्ट अतिथि के रुप में खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले मंत्री राजिन्द्र गर्ग ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर गहन विचार-विमर्श करने के लिए जिला के शिक्षाविद मौजूद हैं, जो इसे लागू करने के लिए अपना सर्वोच्च योगदान देंगे ताकि बच्चों को सांस्कारिक शिक्षा के साथ-साथ बेरोजगारी और अन्य ज्वलंत सामाजिक समस्याओं से निजात पाने में बल मिलेगा.

उन्होंने कहा कि छात्र, छात्राओं को प्रारंभिक समय से ही व्यावसायिक शिक्षा का ज्ञानवर्धन होना चाहिए, जिससे वे शिक्षा पूर्ण करने के बाद अपनी आजिविका कमाने में सक्षम बन सकें. मां के गर्भकाल से ही शिशु को राष्ट्रीयता के साथ ज्ञान की धारा से जोड़ना ही इस शिक्षा नीति का उद्देश्य है. उन्होंने महाभारत काल का उदाहरण देते हुए कहा कि पुरातन काल में भी गर्भ से ही शिक्षा का ज्ञान दिया जाता था. पुरानी नींव के स्थान पर नई नींव रखी जानी चाहिए. भारत ने बहुत कुछ दुनिया को दिया है जिसमें से हम बहुत कुछ भुल चुके है जिसे नई शिक्षा नीति के द्वारा सहेजने की आवश्यकता है.

महामंत्री उत्तर क्षेत्र विद्याभारती एवं राष्ट्रीय संयोजक देश राज शर्मा ने प्रमुख स्रोत व्यक्ति के रुप में भाग लेते हुए कहा कि 11 पन्नों की नई शिक्षा नीति का उद्देश्य बच्चों के व्यवहार में परिवर्तन लाना तथा उन्हें अच्छा इंसान बनाना और इस नीति को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाना व बच्चों के लिए सीखने और सीखाने की कला को विकसित करना है.
हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. एसके सोनी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में बदलाव के बारे में जानकारी होना आवश्यक है. इस कार्यशाला में 10 समूहों द्वारा नई शिक्षा नीति पर चर्चा कर कार्यशाला को सार्थक बनाते हुए अपने-अपने सुझाव रखे. इस कार्यशाला 100 प्रतिभागियों ने भाग लिया.

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