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Shrikhand Mahadev Yatra 2023: अमरनाथ यात्रा से भी कठिन है ये धार्मिक यात्रा, 35 KM की चढ़ाई, ना घोड़ा, खच्चर, ना पालकी की सवारी

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Published : Jul 5, 2023, 7:17 PM IST

Updated : Jul 7, 2023, 10:32 AM IST

अमरनाथ यात्रा के दौरान लोग खच्चरों का सहारा लेते हैं, लेकिन श्रीखंड महादेव की 35 किलोमीटर की इतनी कठिन चढ़ाई है जिस पर कोई खच्चर, घोड़ा या पालकी नहीं जा सकती है. गौरतलब है कि श्रीखंड महादेव की ऊंचाई 18570 फीट है जो कि अमरनाथ गुफा की ऊंचाई से ज्यादा है. पढ़ें पूरी खबर... (Shrikhand Mahadev trek Registration 2023) (Shrikhand Mahadev Yatra 2023).

Shrikhand Mahadev Yatra 2023
श्रीखंड महादेव की यात्रा.

कुल्लू: 1 जुलाई से अमरनाथ यात्रा शुरू हो चुकी है. माना जाता है कि भोलेनाथ के दर्शन करने से बड़ी से बड़ी बाधा दूर हो जाती है. इसीलिए हर साल भारी संख्या में श्रद्धालु बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए अमरनाथ जाते हैं. अमरनाथ यात्रा को कठिन धार्मिक यात्राओं में से एक माना जाता है लेकिन अमरनाथ यात्रा से भी कठिन हिमाचल में श्रीखंड महादेव की यात्रा होती है. वजह है यहां की चढ़ाई, एक तरफ जहां अमरनाथ की चढ़ाई करीब 13 हजार फीट है वहीं श्रीखंड महादेव की यात्रा के लिए 18 हजार फीट से भी अधिक की ऊंचाई पर जाना पड़ता है. यहां अमरनाथ यात्रा की तरह घोड़े, खच्चर या पालकी की सुविधा नहीं मिलती है, श्रद्धालुओं को करीब 35 किलोमीटर की चढ़ाई पैदल ही करनी पड़ती है. जिसके बाद एक ऊंची शिला के रूप में श्रीखंड महादेव के दर्शन होते हैं.

कहां स्थित है श्रीखंड महादेव और कब से होगी यात्रा शुरू- श्रीखंड महादेव की यात्रा हिमाचल प्रदेश में होती है, जो कुल्लू जिले के निरमंड में है. ये स्थान भी देवों के देव महादेव से जुड़ा है और सावन के महीने में ये विशेष यात्रा होती है. इस बार ये धार्मिक यात्रा 7 जुलाई से 20 जुलाई के बीच होगी. श्रीखंड महादेव पहुंचना का रास्ता बेहद दुर्गम क्षेत्रों से होकर गुजरता है, जोखिम भरे इस सफर में श्रद्धालु करीब 35 किलोमीटर की चढ़ाई चढ़ते हैं. जिसके कारण इसे सबसे मुश्किल धार्मिक यात्राओं में शुमार किया जाता है. इस दौरान ऊंचाई पर ऑक्सीजन की कमी का सामना करना पड़ सकता है. कहा जाता है कि अमरनाथ यात्रा से ज्यादा कठिन यह यात्रा है. कई श्रद्धालुओं की यहां चढ़ाई चढ़ते हुए जान भी चली जाती है. हालांकि इस कठिन चढ़ाई के दौरान कुदरत की खूबसूरती हर पल आपके चारों ओर होगी, सफर के दौरान श्रद्धालुओं को सिंहगाड़, थाचडू, नयन सरोवर, भीमडवारी और पार्वती बाग जैसे सुंदर स्थानों का दर्शन करने का अवसर भी मिलेगा. जाओ गांव से शुरू होने वाला सफर सिंहगाड़, थाचडू, कालीटॉप, भीम डवारी और पार्वती बाग से होता हुआ श्रीखंड महादेव तक पहुंचता है.

Shrikhand Mahadev Yatra 2023
श्रीखंड महादेव. (फाइल फोटो).

श्रीखंड महादेव से जुड़ी पौराणिक कथा- ये यात्रा भगवान शिव को समर्पित है, 18 हजार से भी अधिक ऊंचाई पर एक बहुत ऊंची शिला है. जिसके दर्शन के लिए हर साल हजारों श्रद्धालु इस यात्रा को करते हैं. कुल्लू के रहने वाले पंडित रवि शर्मा बताते हैं कि ये यात्रा कई सालों से चली आ रही है. मान्यता है कि भगवान शिव से वरदान प्राप्त करने के बाद भस्मासुर महादेव को भी भस्म करना चाहता था. तब भगवान शिव यहीं पर आकर छिपे थे, जिसके बाद भगवान विष्णु के मोहिनी अवतार ने भस्मासुर को उसके हाथों ही भस्म करवा दिया. भस्मासुर के अंत के बाद भगवान शिव गुफा से निकले, मान्यता है कि महादेव यहां एक शिला रूप में मौजूद है. कहते हैं भस्मासुर का का आतंक देख मां पार्वती की आंखों में आंसू आ गए थे, जिससे एक सरोवर बन गया. जिसे आज पार्वती बाग के नाम से जाना जाता है. इस सरोवर की एक धार यहां से 25 किलोमीटर दूर निरमंड के देव ढांक तक गिरती है.

श्रीखंड महादेव की एक कहानी महाभारत काल से भी जुड़ती है. कुल्लू के पंडित हरिकृष्ण बताते हैं कि पांडव अपने 12 वर्ष के वनवास के दौरान यहां पहुंचे थे. उन्होंने अपना कुछ वक्त यहां बिताया था. यहां आज बड़ी बड़ी शिलाओं को काटकर रखा गया है और कुछ गुफाएं भी मौजूद हैं. कहते हैं कि ये पांडु पुत्र भीम का कारनामा था. जिसके निशान आज भी यहां मिलते हैं. यही वजह है कि यहां एक स्थान भीमडवार कहलाता है. मान्यता है कि यहां एक राक्षस रहता था जो यहां आने वाले भक्तों को मार देता था. भीम ने ही उस राक्षस का वध किया था और उसी राक्षस के खून के कारण यहां की जमीन लाल हो गई है.

Shrikhand Mahadev Yatra 2023
श्रीखंड महादेव की यात्रा.

पंजीकरण जरूरी, 18 से 60 साल के लोग ही कर सकते हैं यात्रा- कुल्लू जिले के निरमंड विकासखंड के तहत आने वाले श्रीखंड महादेव की ऊंचाई 18570 फीट है. इस यात्रा के लिए बकायदा रजिस्ट्रेशन करवाना पड़ता है. 7 जुलाई से शुरू होने वाली यात्रा के लिए अब तक 4 हजार लोगों ने रजिस्ट्रेशन करवाया है. कुल्लू प्रशासन के निर्देशों के मुताबिक यात्रा में 18 से 60 साल तक की उम्र के लोग ही हिस्सा ले सकते हैं. ऑफलाइन के साथ-साथ shrikhandyatra.hp.gov.in पर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन भी करवाया जा सकता है. रजिस्ट्रेशन फीस 250 रुपये रखी गई है. प्रशासन की ओर से बेस कैंप और मेडिकल कैंप भी बना दिए गए हैं. इस यात्रा में किसी भी तरह की नशीली चीजों को ले जाने की अनुमति नहीं होगी. श्रद्धालुओं को अपना मेडिकल सर्टिफिकेट भी लाना होगा, ऑनलाइन आवेदन के वक्त भी इसे जमा कर सकते हैं जिससे मेडिकल कैंप में उनका वक्त बर्बाद नहीं होगा. ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन आने वाले श्रद्धालुओं के लिए पंजीकरण और मेडिकल चेकअप की सुविधा भी होगी.

Shrikhand Mahadev Yatra 2023
श्रीखंड महादेव की यात्रा पर जाने वाले ध्यान दें.

प्रशासन की तैयारी: श्रीखंड महादेव यात्रा के लिए जिला प्रशासन ने भी तैयारियां पूरी कर ली हैं. कुल्लू पुलिस के द्वारा इस बार श्रीखंड महादेव यात्रा को 6 सेक्टरों में बांटा गया है. जिसमें 70 पुलिसकर्मी सुरक्षा व्यवस्था में तैनात रहेंगे. प्रशासन ने सिंहगाड में पंजीकरण बूथ बनाया है. इसके अलावा स्थापित किया गया है. इसके साथ ही श्रद्धालुओं का मेडिकल चेकअप किया जाएगा. यहां पर भी पुलिस जवान तैनात रहेंगे. इसके अलावा थाचडू, कुंशा, भीम डवारी, पार्वती बाग बेस कैंप में भी पुलिस की व्यवस्था रहेगी. कुल्लू पुलिस के द्वारा इसके लिए पूरी तैयारियां कर ली गई हैं. रास्तों की मरम्मत की जा रही है और जगह-जगह अस्थायी टॉयलेट्स भी बनाए गए हैं. प्रशासन ने थाचडू, कुंशा, भीम डवारी, पार्वती बाग में बेस कैम्प बनाए हैं. जहां श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए टैंट लगाए गए हैं. भंडारे के साथ-साथ स्वास्थ्य सुविधाएं भी यहां उपलब्ध होती हैं. श्रद्धालु अपने साथ लाए टैंट का इस्तेमाल भी करते हैं. इस यात्रा पर श्रद्धालुओं को जत्थों में रवाना किया जाता है ताकि उनके रहने और खाने-पीने से लेकर अन्य व्यवस्थाएं की जा सकें.

Shrikhand Mahadev Yatra 2023
श्रीखंड महादेव. (फाइल फोटो).

37 लोग गंवा चुके हैं जान- श्रीखंड महादेव की यात्रा सबसे कठिन यात्राओं में से एक है. यही वजह है कि शारीरिक और मानसिक रूप से फिट लोगों को ही इसकी इजाजत दी जाती है. कुल्लू प्रशासन से मिली जानकारी के मुताबिक साल 2010 से अब तक करीब 36 लोगों की यात्रा के दौरान मौत हो चुकी है. श्रीखंड यात्रा के दौरान कई जगह पर ऑक्सीजन की कमी हो जाती है. जिसके चलते श्रद्धालु अपनी जान गंवा सकते हैं. ऐसे में अगर कोई व्यक्ति शुगर, बीपी, सांस लेने जैसी किसी गंभीर बीमारी से ग्रस्त हैं. तो वे इस यात्रा पर बिल्कुल भी ना जाएं. वहीं मेडिकल कैंप में पहले सभी श्रद्धालुओं का के स्वास्थ्य की जांच की जाएगी और फिट पाए जाने के बाद ही उन्हें आगे जाने की इजाजत दी जाती है. हालांकि ऐसे हालात से निपटने के लिए डॉक्टर से लेकर रेस्क्यू टीम मौजूद होती है, लेकिन कई बार हालात पर किसी का बस नहीं चलता.

Shrikhand Mahadev Yatra 2023
7 जुलाई से शुरू होने वाली यात्रा के लिए अब तक 4 हजार लोगों ने रजिस्ट्रेशन करवाया है.

इस यात्रा के लिए रूट तय होता है लेकिन कई बार कुछ लोग प्रशासन के आदेश के बावजूद गलत रास्तों से यात्रा के लिए निकल पड़ते हैं और रास्ता भटकने पर अपनी जान जोखिम में डालते हैं. प्रशासन की नजर ऐसे लोगों पर भी रहती है जो बिना पंजीकरण या फिर कोई अन्य रूट लेकर इस यात्रा पर जाते हैं. दो दिन पहले ही प्रशासन की अनुमति के बगैर यात्रा शुरू होने से पहले ही श्रीखंड महादेव के निकले एक श्रद्धालु की मौत हो गई है. प्रशासन के दिशा निर्देश के बावजूद चोरी छिपे लोग ऐसे कदम उठाते हैं.

यात्रा के दौरान इन बातों का ध्यान रखें- श्रीखंड महादेव पहुंचने के लिए शिमला जिले के रामपुर और कुल्लू जिले के निरमंड से होकर बागीपुल और जाओ तक छोटी गाड़ियों, बसों आदि से पहुंचा जा सकता है. जहां से आगे करीब 35 किमी. की दूरी पैदल तय करनी होती है. इस यात्रा के लिए शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से स्ट्रॉन्ग होना जरूरी है. यात्रा के दौरान गर्म कपड़े, जूते, छाता, रेनकोट आदि अपने साथ रखें. इस यात्रा को पूरा करने के लिए करीब 3 दिन का समय लगता है और उसके बाद यात्री वापस बेस कैंप पहुंचते हैं. जगह-जगह रेस्क्यू टीम और पुलिस जवान श्रद्धालुओं की मदद करने के लिए भी तैनात रहते हैं.

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Last Updated :Jul 7, 2023, 10:32 AM IST
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