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हथिनी कुंड बैराज पर फिर हुई पानी की कमी, रोकी गई उत्तर प्रदेश की सप्लाई

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Published : Feb 20, 2021, 5:42 PM IST

हथिनी कुंड बैराज पर यमुना में पानी की लगातार हो रही कमी हो रही है जिससे सिंचाई और पीने के पानी की समस्या पैदा हो सकती है. पानी की कमी के चलते हाईडल प्रोजेक्ट की सभी बिजली यूनिट भी बंद हो गई है.

हथिनी कुंड बैराज सप्लाई बंद
हथिनी कुंड बैराज पर फिर हुई पानी की कमी, रोकी गई उत्तर प्रदेश की सप्लाई

यमुनानगर: हथिनी कुंड बैराज पर यमुना में पानी की लगातार हो रही कमी से आने वाले दिनों में सिंचाई और पीने के पानी के लिए दिक्कतें पैदा हो सकती हैं. पानी की कमी के चलते उत्तर प्रदेश की सप्लाई काफी दिनों से रुकी हुई है. जब जब यमुना में पानी कम होता है तब तक उत्तर प्रदेश की सप्लाई बंद की जाती है. पानी की कमी के चलते हाईडल प्रोजेक्ट की सभी बिजली यूनिट भी बंद हो गई है.

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बता दें कि यमुनानगर में हथिनी कुंड बैराज से 5 राज्यों को पानी की सप्लाई होती है. जिसमें दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश शामिल है. इस समय यमुना में हथिनी कुंड बैराज पर मात्र 1600 क्यूसेक पानी बह रहा हैै. जिसमें से सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के मुताबिक 352 क्यूसेक यमुना में पशु पक्षियों के लिए छोड़ा जाता है. सिंचाई विभाग के अधीक्षक अभियता आर. एस. मित्तल ने बताया कि कई सालों बाद ऐसी नौबत आई है जब यमुनाा में सीजन में पानी इतनी कमी आयी है. उन्होंने बताया कि इन दिनो बैराज पर पानी लगभग 3000 क्यूसेक रहता है जो आज मात्र 1600 क्यूसेक है. उन्होंन बताया कि इतने कम पानी के कारण उत्तर प्रदेश की सप्लाई बंद की हुई है.

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यमुनानगर में ही हाइडल प्रोजेक्ट यूनिट कार्यरत है जो पानी पर ही आधारित है. यहां लगभग 50 मेगावाट बिजली तैयार होती है. इन हाइड्रो प्रोजेक्ट की इकाइयों को चलाने के लिए 5400 पानी की जरूरत रहती है, लेकिन पिछले काफी समय से हथिनी कुंड बैराज पर इतना पानी ही नहीं है. जिसके चलते इन सभी इकाइयों को बंद किया हुआ है. जिससे करोड़ों रुपए की बिजली का उत्पादन नहीं हो सका है.

ये है पानी की कमी का कारण

पानी की कमी प्राकृतिक कारण है, पहाड़ी इलाकों में पिछले सीजन में ना ज्यादा बरसात हुई ना ज्यादा बर्फ पड़ी. बीते सीजन में एक बार भी यमुना में बाढ़ जैसी बात नहीं हुई. मात्र 52000 क्यूसेक पानी इस सीजन में यहां दर्ज किया गया. जबकि इससे पहले आठ लाख, 10लाख तक पानी डिस्चार्ज किए जाने का रिकार्ड है. पर्यावरण विशेषज्ञों ने बदलते इन हालात पर गहरी चिंता व्यक्त की है.

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