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हरियाणा शिक्षा विभाग की नई पॉलिसी, दिल्ली की तर्ज पर मिलेगी प्राइमरी स्कूल के छात्रों को शिक्षा

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Published : May 29, 2023, 12:52 PM IST

हरियाणा शिक्षा विभाग ने प्राइमरी स्कूल के छात्रों के लिए नई पॉलिसी (Haryana Education Department New policy) बनाई है. जिसके तहत प्राइमरी स्कूल के विद्यार्थियों को मोबाइल से दूर रखकर व्यावहारिक ज्ञान दिया जाएगा. छोटे बच्चों के होमवर्क को भी कम किया गया है.

Haryana Education Department New policy
हरियाणा शिक्षा विभाग की नई पॉलिसी
दिल्ली की तर्ज पर प्राइमरी स्कूल के छात्रों को मिलेगा व्यवहारिक ज्ञान

यमुनानगर: हरियाणा के प्राइमरी स्कूलों में छात्रों को भारी भरकम होमवर्क से निजात देने की तैयारी शिक्षा विभाग ने कर ली है. अब कम होमवर्क के साथ व्यवहारिक ज्ञान में बढ़ोतरी की जाएगी. इसका रोडमैप शिक्षा विभाग की तरफ से जारी कर दिया गया है. छात्रों को मोबाइल से दूर रखा जाएगा और घर के बढ़े बुजुर्गों के पास बैठकर अच्छी शिक्षा ग्रहण करनी होगी.


हरियाणा का शिक्षा विभाग ना सिर्फ मॉर्डन एजुकेशन की तरफ ध्यान दे रहा है बल्कि व्यवहारिक शिक्षा ग्रहण करने के लिए प्राइमरी स्कूल के छात्रों को प्रेरित कर रहा है. इसके लिए हरियाणा शिक्षा विभाग ने एक नई पहल की है, जिससे छोटे बच्चे ना सिर्फ बेहतर शिक्षा ग्रहण करेंगे. बल्कि वास्तविक सच्चाई से बेहतर तरीके से अवगत होंगे. हरियाणा शिक्षा विभाग ने इस संबंध में हाल ही में एक नोटिफिकेशन जारी किया है.

पढ़ें : 1585 सरकारी स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं की कमी से संबंधित वायरल पोस्ट पूरी तरह निराधार: स्कूल शिक्षा विभाग

जिसके तहत प्राइमरी स्कूल के छात्रों का होमवर्क ना सिर्फ कम होगा. बल्कि स्कूल के छोटे बच्चे पारंपरिक तरीकों को बेहतर तरीके से अपनाएंगे. शिक्षा विभाग की तरफ से जो गाइडलाइन जारी कि गई है. उसमें साफ तौर पर कहा गया है कि छात्र मोबाइल का 1 दिन का व्रत रखेंगे और दादा-दादी के पास बैठकर पुरानी कहानियां भी सुनेंगे. हरियाणा के सभी स्कूलों में यह नोटिफिकेशन पहुंच गया है.

होमवर्क कम मिलने से बच्चे भी खुश: प्राइमरी स्कूल के छात्र भी इस मुहिम को लेकर काफी खुश नजर आए. छात्रों का कहना है कि हर साल हमें गर्मी की छुट्टियों में होमवर्क का बोझ दिया जाता है. लेकिन इस बार की छुट्टियां कुछ अलग रहने वाली हैं. क्योंकि होमवर्क कम दिया जाएगा और बड़े बुजुर्गों के साथ ज्यादा समय व्यतीत करने का मौका मिलेगा. आज के दौर में बच्चे मोबाइल के ज्यादा करीब हो रहे हैं. खेलकूद की बात छोड़िये वे घर से बाहर घूमने तक से कतराते हैं.

इनोवेटिक काम पर फोकस: ऐसे में हरियाणा सरकार की ये पहल वाकई काबिले तारीफ है. यमुनानगर सरकारी स्कूल के अध्यापक राजेश कुमार का कहना है कि इस बार छात्रों को होमवर्क की बजाए इनोवेटिक काम दिया जाएगा.उन्होंने बताया कि छात्रों को दाल, मसाले, बीज जैसे तमाम नाम ना सिर्फ याद करने हैं बल्कि उनके बारे में जानकारी भी जुटानी है. हांलाकि ये पॉलिसी प्राइवेट स्कूलों पर लागू नहीं होगी. सिर्फ सरकारी स्कूल के अध्यापक और छात्रों पर इसे अप्लाई किया जाएगा.

पढ़ें : हरियाणा शिक्षा विभाग की बोर्ड परीक्षा परिणाम बेहतर बनाने की कवायद, इन स्कूलों के टीचर की होगी ट्रेनिंग

मोबाइल नहीं, पारंपरिक चीजों पर देंगे ध्यान: हरियाणा के शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर का कहना है कि स्कूली विद्यार्थी दादा-दादी के पास बैठकर बातें करेंगे और ये भी जानने की कोशिश करेंगे कि उनकी शादी में कौन सी मिठाई बनाई गई थी. शिक्षा मंत्री ने कहा कि मोबाइल को छुट्टियों के दौरान दूर रखा जाएगा ताकि वो पारंपरिक चीजों की तरफ ध्यान लगा सके. दिल्ली की शिक्षा नीति की इसलिए तारीफ होती है क्योंकि दिल्ली सरकार ने बच्चों के लिए कुछ हटके सोचा और उसे धरातल पर उतारा.

हरियाणा सरकार ने भी उसी रास्ते को चुना है. जिससे छात्र बेहतर शिक्षा के अलावा जीवन जीने की शैली से वाकिफ हो सके. हांलाकि फिलहाल तो यह एक पहल भर है और नतीजों का छुट्टियों के बाद पता चलेगा कि छात्रों ने अपने बुजुर्गों और अध्यापकों की बातों पर कितना गौर किया. क्योंकि छात्रों को गर्मियों की छुट्टियों के बाद इन सब बातों के बारे में बताना भी है.

दिल्ली की तर्ज पर प्राइमरी स्कूल के छात्रों को मिलेगा व्यवहारिक ज्ञान

यमुनानगर: हरियाणा के प्राइमरी स्कूलों में छात्रों को भारी भरकम होमवर्क से निजात देने की तैयारी शिक्षा विभाग ने कर ली है. अब कम होमवर्क के साथ व्यवहारिक ज्ञान में बढ़ोतरी की जाएगी. इसका रोडमैप शिक्षा विभाग की तरफ से जारी कर दिया गया है. छात्रों को मोबाइल से दूर रखा जाएगा और घर के बढ़े बुजुर्गों के पास बैठकर अच्छी शिक्षा ग्रहण करनी होगी.


हरियाणा का शिक्षा विभाग ना सिर्फ मॉर्डन एजुकेशन की तरफ ध्यान दे रहा है बल्कि व्यवहारिक शिक्षा ग्रहण करने के लिए प्राइमरी स्कूल के छात्रों को प्रेरित कर रहा है. इसके लिए हरियाणा शिक्षा विभाग ने एक नई पहल की है, जिससे छोटे बच्चे ना सिर्फ बेहतर शिक्षा ग्रहण करेंगे. बल्कि वास्तविक सच्चाई से बेहतर तरीके से अवगत होंगे. हरियाणा शिक्षा विभाग ने इस संबंध में हाल ही में एक नोटिफिकेशन जारी किया है.

पढ़ें : 1585 सरकारी स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं की कमी से संबंधित वायरल पोस्ट पूरी तरह निराधार: स्कूल शिक्षा विभाग

जिसके तहत प्राइमरी स्कूल के छात्रों का होमवर्क ना सिर्फ कम होगा. बल्कि स्कूल के छोटे बच्चे पारंपरिक तरीकों को बेहतर तरीके से अपनाएंगे. शिक्षा विभाग की तरफ से जो गाइडलाइन जारी कि गई है. उसमें साफ तौर पर कहा गया है कि छात्र मोबाइल का 1 दिन का व्रत रखेंगे और दादा-दादी के पास बैठकर पुरानी कहानियां भी सुनेंगे. हरियाणा के सभी स्कूलों में यह नोटिफिकेशन पहुंच गया है.

होमवर्क कम मिलने से बच्चे भी खुश: प्राइमरी स्कूल के छात्र भी इस मुहिम को लेकर काफी खुश नजर आए. छात्रों का कहना है कि हर साल हमें गर्मी की छुट्टियों में होमवर्क का बोझ दिया जाता है. लेकिन इस बार की छुट्टियां कुछ अलग रहने वाली हैं. क्योंकि होमवर्क कम दिया जाएगा और बड़े बुजुर्गों के साथ ज्यादा समय व्यतीत करने का मौका मिलेगा. आज के दौर में बच्चे मोबाइल के ज्यादा करीब हो रहे हैं. खेलकूद की बात छोड़िये वे घर से बाहर घूमने तक से कतराते हैं.

इनोवेटिक काम पर फोकस: ऐसे में हरियाणा सरकार की ये पहल वाकई काबिले तारीफ है. यमुनानगर सरकारी स्कूल के अध्यापक राजेश कुमार का कहना है कि इस बार छात्रों को होमवर्क की बजाए इनोवेटिक काम दिया जाएगा.उन्होंने बताया कि छात्रों को दाल, मसाले, बीज जैसे तमाम नाम ना सिर्फ याद करने हैं बल्कि उनके बारे में जानकारी भी जुटानी है. हांलाकि ये पॉलिसी प्राइवेट स्कूलों पर लागू नहीं होगी. सिर्फ सरकारी स्कूल के अध्यापक और छात्रों पर इसे अप्लाई किया जाएगा.

पढ़ें : हरियाणा शिक्षा विभाग की बोर्ड परीक्षा परिणाम बेहतर बनाने की कवायद, इन स्कूलों के टीचर की होगी ट्रेनिंग

मोबाइल नहीं, पारंपरिक चीजों पर देंगे ध्यान: हरियाणा के शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर का कहना है कि स्कूली विद्यार्थी दादा-दादी के पास बैठकर बातें करेंगे और ये भी जानने की कोशिश करेंगे कि उनकी शादी में कौन सी मिठाई बनाई गई थी. शिक्षा मंत्री ने कहा कि मोबाइल को छुट्टियों के दौरान दूर रखा जाएगा ताकि वो पारंपरिक चीजों की तरफ ध्यान लगा सके. दिल्ली की शिक्षा नीति की इसलिए तारीफ होती है क्योंकि दिल्ली सरकार ने बच्चों के लिए कुछ हटके सोचा और उसे धरातल पर उतारा.

हरियाणा सरकार ने भी उसी रास्ते को चुना है. जिससे छात्र बेहतर शिक्षा के अलावा जीवन जीने की शैली से वाकिफ हो सके. हांलाकि फिलहाल तो यह एक पहल भर है और नतीजों का छुट्टियों के बाद पता चलेगा कि छात्रों ने अपने बुजुर्गों और अध्यापकों की बातों पर कितना गौर किया. क्योंकि छात्रों को गर्मियों की छुट्टियों के बाद इन सब बातों के बारे में बताना भी है.

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