Asian Para Games 2023 Sumit Antil Javelin Gold: सुमित अंतिल की मां ने बताई संघर्ष की कहानी,12 वीं कक्षा में पैर खोने के बाद भी नहीं मानी हार,पैरा एशियन गेम्स में जीता गोल्ड

Asian Para Games 2023 Sumit Antil Javelin Gold: सुमित अंतिल की मां ने बताई संघर्ष की कहानी,12 वीं कक्षा में पैर खोने के बाद भी नहीं मानी हार,पैरा एशियन गेम्स में जीता गोल्ड
Asian Para Games 2023 Sumit Antil Javelin Gold हरियाणा के पैरा एथलीट सुमित अंतिल ने एक साथ तीन रिकार्ड तोड़े. उन्होंने जेवलिन थ्रो में गोल्ड भी हासिल किया. उनकी जीत पर परिवार वाले खुश हैं. गांव में जश्न का माहौल है. उनकी मां निर्मला देवी ने बताया कि 12 वीं कक्षा में पैर खोने के बाद भी सुमित ने हार नहीं मानी. आखिर आज कई विश्व रिकार्ड उसके नाम है.
सोनीपत:एशियन गेम्स के बाद पैरा एशियन गेम्स में भी हरियाणा के खिलाड़ी गोल्ड जीत रहे हैं. उनकी सफलता पर खिलाड़ियों के गांवों में जश्न का माहौल है. गांव खेवड़ा के लाडले सुमित आंतिल ने भाला फेंक में गोल्ड जीता साथ ही विश्व रिकार्ड भी बनाया. उनके शानदार प्रदर्शन से मां और परिवार में खुशी का माहौल है. मां ने सुमित के हादसे के साथ संघर्ष की कहानी भी बताई.
सुमित ने बनाया रिकार्ड:सुमित आंतिल ने एफ-64 भाला फेंक स्पर्धा में 73.29 मीटर की दूरी तक भाला फेंका. उनका पुराना रिकार्ड 70.83 मीटर तक था. इस बार उससे ज्यादा दूरी तक भाला फेंक कर उन्होंने अपना ही रिकार्ड तोड़ दिया. और नया कीर्तिमान स्थापित किया. सुमित को ये सफलता तीसरे प्रयास में मिली. इसके पहले वे टोक्यो पैरालंपिक में 68.55 मीटर की दूरी तक भाला फेंक चुके हैं. सुमित 2024 पेरिस पैरालंपिक के लिए पहले ही चयनित हो गए हैं.
सीएम ने दी बधाई:हरियाणा के सीएम मनोहरलाल ने सुमित को बधाई दी हैं उन्होंने कहा, 'सुमित का प्रदर्शन स्वर्णिम रहा है. म्हारे वर्ल्ड रिकॉर्डधारी पैरा एथलीट सुमित अंतिल ने एशियन पैरा गेम्स में एक साथ तीन रिकॉर्ड तोड़कर साबित कर दिया है कि वो दुनिया के जेवलिन थ्रो के सबसे बेहतरीन खिलाड़ियों में से एक हैं.' उन्होंने आगे कहा कि सुमित ने 73.29 मी. दूर भाला फेंककर एशियन पैरा गेम्स रिकॉर्ड, वर्ल्ड रिकॉर्ड और एशियाई रिकॉर्ड तोड़ते हुए देश के लिए गोल्ड मेडल जीता है. उनके इस उत्कृष्ट प्रदर्शन से आज पूरा देश गौरवान्वित है.
कब खोया पैर ? सुमित की मां निर्मला देवी ने बताया,' सुमित जब स्कूल जाता था तब वह पहलवानी करता था. उसे पहलवानी का शौक था. 12 वीं क्लास में उसके साथ हादसा हो गया. इसके बाद उसने अपना गेम बदल दिया. भाला फेंक में आकर उसने नए सिरे से तैयारी शुरू की. अपनी मेहनत की बल पर उसने ये सफलता हासिल की है.' उन्होंने आगे बताया कि सुमित ने करीब नौ साल पहले एक सड़क हादसे में एक पैर गंवा दिया था. पर उसने जिंदगी से कभी हार नहीं मानी और हर परिस्थिति का डटकर मुकाबला किया. जब वे सात साल के थे, तब उनके पिता का देहांत हो गया था.
