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दिवाली के बाद पराली ने जहरीली की आबोहवा, सिरसा से सामने आए पराली जलाने के 166 मामले

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Published : Nov 1, 2019, 10:14 PM IST

दिवाली के बाद पराली ने जहरीली की आबोहवा

सिरसा में अभी तक पराली जलाने के 166 मामले दर्ज किए गए हैं. वहीं किसानों की माने तो पराली जलाने के अलावा उनके पास कोई साधन नहीं है. पराली जलाने से उनकी अगली फसल गेहूं की पैदावार अच्छी होती है.

सिरसा: दिवाली के बाद से दिल्ली ही नहीं बल्कि हरियाणा की आबोहवा भी दूषित हो गई है. पहले जहां लोगों ने जमकर पटाखे फोड़े अब किसान पराली भी जला रहे हैं. जिससे लोगों पर दोहरी मार पड़ रही है. अगर बात सिरसा की करें तो जिले में प्रदूषण के स्तर में इजाफा हुआ है.

सिरसा में पराली जलाने के 166 मामले
कृषि विभाग के उपनिदेशक बाबूलाल ने बताया कि अभी तक सिरसा में पराली जलाने के 166 मामले सामने आए है. जिनमें से पराली जलाने वाले किसानो की पहचान की जा रही है और उसके बाद विभाग के नियमों के अनुसार कार्रवाई की जाएगी.

सिरसा में पराली जला रहे किसान
पराली जलाने वाले किसान भागा राम ने कहा कि पराली जलाने के अलावा उनके पास कोई साधन नहीं है. पराली जलाने से उनकी अगली गेहूं के फसल की पैदावार अच्छी होती है. उन्होंने कहा कि सरकार पराली जलाने से रोकती तो है, लेकिन उन्हें पराली की जगह कोई दूसरा विकल्प नहीं देती है.

सिरसा में पराली जला रहे किसान

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दूषित हवा में सांस लेना हुआ दूभर
वहीं किसानों और सरकार के बीच आम जनता पिस रही है, जो हर बार की तरह इस बार भी पराली से निकलने वाले धुएं से परेशान है. डॉक्टर्स की मानें तो जब पराली का धुआं हवा में मिलता है तो ठंडे तापमान के साथ स्मॉग बना देता है. स्मॉग की स्थिति में सांस की बीमारी होती है और अस्थमा रोगियों को सावधान रहना जरूरी है, क्योंकि स्मॉग उनके लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकता है. नेत्र विशेषज्ञ भी ऐसे माहौल में विशेष सावधानी बरतने की हिदायत देते हैं.

Intro:एंकर - दीपावली पर लोगो द्वारा पठाखे जलाने बाद अब खेतो में किसानो द्वारा पराली जलाने से आम लोगो का जीना मुहाल हो गया है। आसमान पर धुआँ धुआँ छा गया है और लोगो का सांस लेना भी मुश्किल हो गया है। डॉक्टर्स की मानें तो पटाखों का धुआं जब हवा में मिलता है तो ठंडे तापमान के साथ स्मॉग बना देता है। स्मॉग की स्थिति में सांस की बीमारी या अस्थमा रोगियों को सावधान रहना जरूरी है क्योंकि स्मॉग उनके लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकती है। नेत्र विशेषज्ञ भी ऐसे माहौल में विशेष सावधानी बरतने की हिदायत देते हैं।

Body:वीओ 1- किसान भागा राम ने बड़ी ही बेबाकी से कहा कि पराली जलाने के इलावा उनके पास कोई साधन नहीं है पराली जलाने से उनकी अगली फसल गेहूं की पैदावार अच्छी होती है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा पराली नहीं जलाने
पर किसानो को किसी प्रकार का मुआवजा नहीं देती। उन्होंने कहा कि दिवाली पर पठाखे जलाने से भी इतना प्रदूषण हुआ है सरकार पठाखो पर रोक क्यों नहीं लगाती तो किसानो पर कार्रवाई क्यों की जाती है।

बाइट भागा राम , पराली जलाने वाला किसान

वीओ 2 - सिरसा शहर वासियों का कहना है कि दिवाली के पटाखों , पराली और वाहनों के धुएँ के कारण सिरसा में आजकल स्मॉग की स्थिति बनी हुई है जिसकी वजह से बच्चों और बुजुर्गों के साथ साथ आमजनो को भारी परेशानियों का
सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि स्मॉग के कारण बाजार में जाना मुश्किल हो जाता है और अगर वे जाते भी है तो हेलमेट और चश्मा पहनकर जाते है।

बाइट - सिरसा निवासी।

वीओ 3 वही कृषि विभाग के उपनिदेशक बाबू लाल ने कहा कि अब तक सिरसा जिले में पराली जलाने के 166 मामले सामने आए है जिनमे से पराली जलाने वाले किसानो की पहचान की जा रही है और उसके बाद विभाग के नियमों के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।

बाइट बाबू लाल , उप निदेशक , कृषि विभाग।

वीओ 4 सिरसा के नेत्र विशेषज्ञ डॉक्टर विवेक गगनेजा का कहना है कि स्मॉग के कारण आँखों में खुजली बढ़ती है और ज्यादा खुजली होने से आँखों की रौशनी भी प्रभावित हो सकती है। वाहन चालकों को चश्मा या हेलमेट पहन कर ही बाइक इत्यादि चलाने चाहिए। उन्होंने कहा कि लोग पठाखे और किसान पराली न जलाए।

बाइट - डॉक्टर विवेक गगनेजा , नेत्र विशेषज्ञ।Conclusion:
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