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कोर्ट के आदेश की पालना न करना पड़ा भारी, जिला शिक्षा मौलिक अधिकारी की सरकारी गाड़ी जब्त करने के आदेश

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Published : May 18, 2023, 10:40 PM IST

Rohtak Civil Court seized official vehicle
मौलिक शिक्षा अधिकारी के खिलाफ बड़ी कार्रवाई

रोहतक सिविल कोर्ट ने जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है. आदेश को न मानने पर कोर्ट ने जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी की सरकारी गाड़ी जब्त कर ली है

रोहतक: जिला रोहतक में सरकारी स्कूल से रिटायर्ड शिक्षक सूरत सिंह मलिक को पेंशन और भत्ता समय पर नहीं दिया जा रहा था. जबकि सूरत सिंह साल 2011 में रिटायर हो चुके थे. शिक्षा विभाग के एक क्लर्क ने उनके खिलाफ झूठी शिकायत दी थी. जिसके बाद उनके पेंशन संबंधी लाभ रोक दिए गए थे. इसके बाद सूरत ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. हाईकोर्ट ने सूरत सिंह के पक्ष में फैसला सुनाते हुए मौलिक शिक्षा अधिकारी को पेंशन और भत्ता देने के आदेश दिए थे. लेकिन मौलिक अधिकारी ने पेंशन और भत्ता वक्त पर नहीं दिया. जिसके बाद कोर्ट ने अब बड़ा फैसला लिया है.

दरअसल, सिविल कोर्ट के आदेश की पालना नहीं करने के चलते कोर्ट ने जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी की सरकारी गाड़ी को जब्त करने के आदेश दिए हैं. जिसके बाद वीरवार को सरकारी गाड़ी को जब्त करके कोर्ट परिसर में खड़ा कर दिया गया. कोर्ट के आदेशों की पालना न करने के चलते कोर्ट ने ये कार्रवाई जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी के खिलाफ की है.

राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ हरियाणा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष एवं चाणक्यपुरी निवासी सूरत सिंह मलिक 31 मार्च 2011 को भैणी मातो स्कूल से शिक्षक के तौर पर रिटायर हुए थे. उसी समय शिक्षा विभाग के एक क्लर्क ने गबन संबंधी एक झूठी शिकायत कर दी. जिसके बाद विभाग ने पेंशन संबंधी लाभ रोक दिए. हालांकि जांच में यह शिकायत झूठी निकली. जिला शिक्षा अधिकारी ने भी स्वीकार किया कि पत्र पर उनके फर्जी हस्ताक्षर किए गए हैं.

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में यह मामला पहुंचा. 15 नवंबर 2013 के हाईकोर्ट के आदेश पर सूरत सिंह मलिक को पेंशन संबंधी आधे लाभ मिल गए. जबकि मलिक के खिलाफ कोई भी जांच लंबित नहीं थी. वर्ष 2017 में इस रिटायर्ड शिक्षक ने रोहतक की सिविल कोर्ट में केस किया. सिविल कोर्ट ने यह केस डिसमिस कर दिया. जिसके बाद सेशन कोर्ट में अपील की गई. सेशन कोर्ट ने सूरत सिंह मलिक की याचिका को स्वीकार कर उसके पक्ष में फैसला सुनाया. जिसके बाद यह मामला सिविल कोर्ट में चल रहा था.

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9 मार्च 2022 को सिविल कोर्ट ने रिटायर्ड शिक्षक के पक्ष में फैसला सुनाया और शिक्षा विभाग को पेंशन संबंधी सभी प्रकार के लाभ ब्याज समेत देने के आदेश दिए. सूरत सिंह मलिक के वकील देवव्रत दलाल व रजनीश सुंदरपुर ने बताया कि जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी को बकाया भुगतान के लिए नोटिस भेजे गए. लेकिन अधिकारी ने समय पर भुगतान नहीं किया और सही तरीके से जवाब नहीं दिया. बार-बार ग्रांट और बजट न होने का बहाना बनाया गया. जिसके चलते अब कोर्ट ने जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी की सरकारी गाड़ी नंबर एचआर 12 जीवी 2020 को जब्त करने के आदेश दे दिए. वीरवार को इस गाड़ी को जब्त कर कोर्ट परिसर में खड़ा कर दिया गया.

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