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बॉन्ड पॉलिसी के विरोध में रोहतक पीजीआई के रेजीडेंट डॉक्टर्स अनिश्चितकालीन हड़ताल पर, मरीज परेशान

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Published : Nov 24, 2022, 10:10 PM IST

रोहतक में रेजीडेंट डॉक्टर की अनिश्चितकालीन हड़ताल
रोहतक में रेजीडेंट डॉक्टर की अनिश्चितकालीन हड़ताल

पीजीआईएमएस रोहतक में रेजीडेंट डॉक्टर्स अनिश्चितकालीन हड़ताल (Resident doctor indefinite strike in Rohtak) पर चले गए हैं. इन रेजीडेंट डॉक्टर्स ने सभी ओपीडी का पूर्ण रूप से बहिष्कार कर दिया. हड़ताल की वजह से ओपीडी में इलाज के लिए आए मरीज परेशान नजर आए. 10 एमबीबीएस विद्यार्थियों ने अपनी मांगों के समर्थन में न्यू ओपीडी ब्लॉक के बाहर भूख हड़ताल शुरू कर दी है. इन छात्रों ने देर शाम को सर्किट हाउस आए डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला को बांड पॉलिसी वापस लेने के संबंध में ज्ञापन भी सौंपा.

रोहतक: हरियाणा सरकार की बॉन्ड पॉलिसी (Haryana Government Bond Policy) के खिलाफ एमबीबीएस छात्रों का विरोध जारी है. पीजीआई रोहतक के छात्रों ने पूरी तरह ओपीडी सेवा का बहिष्कार कर दिया है. पीजीआईएमएस में रोजाना रोहतक व आसपास के जिलों के करीब 7 हजार मरीज ओपीडी में इलाज के लिए पहुंचते हैं. ज्यादातर मरीजों का इलाज व सलाह मशविरा रेजीडेंट डॉक्टर्स ही करते हैं. हालांकि वार्ड में सीनियर डॉक्टर्स भी मौजूद रहते हैं लेकिन सबसे ज्यादा मरीज यही रेजीडेंट डॉक्टर्स देखते हैं. ऐसे में इन डॉक्टर्स के हड़ताल पर चले जाने से मरीज खूब परेशान हुए. कई मरीज तो ऐसे थे जो ओपीडी खुलने के समय सुबह 9 बजे से काफी पहले ही आ गए थे लेकिन दोपहर तक भी उन्हें सही ढंग से इलाज नहीं मिला.

इमरजेंसी सेवा बंद करने की चेतावनी- पीजीआईएमएस रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (PGIMS Resident Doctors Association) ने एमबीबीएस विद्यार्थियों की मांगों को जायज ठहराया है. रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के प्रधान डा. अंकित गुलिया ने कहा कि 24 घंटे बाद पीजीआईएमएस में इमरजेंसी सेवाएं भी बाधित हो सकती हैं. उधर, रेजीडेंट डॉक्टर्स की हड़ताल पर चले जाने के बाद सीनियर डॉक्टर्स की छुट्टी रद्द करने के आदेश जारी कर दिए गए हैं. साथ ही इलेक्टिव सर्जरी वाले मरीजों को भी आगामी तारीख दी जा रही हैं. पीजीआईएमएस में रेजीडेंट डॉक्टर्स बुधवार दोपहर 12 बजे के बाद से ही हड़ताल पर चले गए थे.

ये भी पढ़ें- बॉन्ड पॉलिसी के खिलाफ बड़े आंदोलन की तैयारी में एमबीबीएस छात्र, अस्पतालों में बढ़ सकती है मुश्किल

2 नवंबर से जारी है प्रदर्शन- गौरतलब है कि पीजीआई रोहतक में एक नवंबर से बांड पॉलिसी के खिलाफ आंदोलन की शुरूआत हुई थी. 2 नवंबर से विद्यार्थी डीन व डायरेक्टर ऑफिस के बाहर धरने पर बैठ गए थे. 5 नवंबर को रोहतक पहुंचे मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से भी विद्यार्थियों की मुलाकात कराई गई थी लेकिन मुख्यमंत्री ने पॉलिसी वापस लेने से इनकार कर दिया था. हालांकि ज्यादा विरोध बढ़ने पर 7 नवंबर को सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर पॉलिसी में कुछ संशोधन कर दिया. जिसके तहत बांड की शर्त एमबीबीएस के अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों पर लागू कर दी. लेकिन यह संशोधन भी आंदोलनकारी एमबीबीएस विद्यार्थियों को मंजूर नहीं है. वे तो यही चाहते हैं कि बांड की शर्त ही न लागू हो.

भूख हड़ताल पर बैठे छात्र- पीजीआई में एमबीबीएस विद्यार्थियों के आंदोलन को गुरूवार को 24 दिन हो गए हैं. इसी के साथ इन विद्यार्थियों ने भी न्यू ओपीडी ब्लॉक के बाहर भूख हड़ताल शुरू कर दी. पहले दिन 10 विद्यार्थी भूख हड़ताल पर बैठे. इन विद्यार्थियों ने अपनी मांगों के समर्थन में जमकर नारेबाजी की. एमबीबीएस विद्यार्थी पंकज बिट्टू व प्रिया कौशिक ने कहा कि उनकी मांग जायज है. यह बांड पॉलिसी मेडिकल शिक्षा को बर्बाद करने वाली है. लेकिन सरकार जिद पर अड़ी हुई है. सरकार को अपनी जिद छोड़कर आंदोलनकारी विद्यार्थियों की मांगों को मानना चाहिए.

रोहतक में रेजीडेंट डॉक्टर की अनिश्चितकालीन हड़ताल.
रोहतक में रेजीडेंट डॉक्टर की अनिश्चितकालीन हड़ताल

हरियाणा सरकार की बॉन्ड पॉलिसी क्या है- दरअसल एमबीबीएस में बॉन्ड पॉलिसी के तहत हरियाणा सरकार एडमिशन के समय छात्रों से 4 साल में 40 लाख रुपए का बॉन्ड भरवा रही है. छात्र को हर साल 10 लाख रुपये बॉन्ड के रूप में देने होंगे. इस पॉलिसी के तहत सरकारी मेडिकल कॉलेज में पढ़ने वाले हर छात्र को कम से कम 7 साल सरकारी अस्पताल में सेवाएं देनी होंगी. अगर वह ऐसा नहीं करता है तो बॉन्ड के रूप में दिये गये 40 लाख रुपये सरकार ले लेगी.

एमबीबीएस छात्र विरोध क्यों कर रहे हैं- MBBS छात्रों का कहना है कि हरियाणा सरकार की बॉन्ड पॉलिसी के चलते छात्र पढ़ाई से पहले कर्ज में डूब जायेंगे. उन पर बॉन्ड पॉलिसी के नाम पर आर्थिक बोझ डाल दिया गया है. छात्र हर साल 10 लाख रुपये कहां से लायेगा. हरियाणा के विपक्षी दल भी सरकार की इस पॉलिसी का विरोध कर रहे हैं.

एमबीबीएस छात्रों की मांग क्या है- एमबीबीएस छात्रों की मांग है कि बॉन्ड एग्रीमेंट में से बैंक की दखल अंदाजी पूरी तरह से खत्म की जाए. इसके अलावा बॉन्ड सेवा की अवधि 7 साल से घटाकर अधिकतम 1 साल की जाये. ग्रेजुएशन के अधिकतम 2 महीने के अंदर सरकार MBBS ग्रेजुएट को नौकरी की गारंटी दे. बॉन्ड की राशि 40 लाख से घटाकर 5 लाख की जाये.

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