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Akshima Bajad Welcome In Rohtak: गोल्ड मेडलिस्ट कबड्डी प्लेयर अक्षिमा बजाड़ का जोरदार स्वागत, खिलाड़ी ने पिता और कोच को दिया श्रेय

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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Oct 15, 2023, 10:14 PM IST

Updated : Oct 15, 2023, 10:26 PM IST

Akshima Bajad Welcome In Rohtak: रोहतक के मकड़ौली गांव में एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल विजेता भारतीय महिला कबड्डी टीम की सदस्य अक्षिमा बजाड़ का घर लौटने पर जोरदार स्वागत किया गया.

Rohtak Kabaddi Player Welcome
Rohtak Kabaddi Player Welcome

गोल्ड मेडलिस्ट कबड्डी प्लेयर अक्षिमा बजाड़ का जोरदार स्वागत, खिलाड़ी ने पिता और कोच को दिया श्रेय

रोहतक: एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल विजेता भारतीय महिला कबड्डी टीम की सदस्य अक्षिमा बजाड़ का घर लौटने पर जोरदार स्वागत किया गया. मकड़ौली गांव रोहतक में अक्षिमा बजाड़ का विजय जुलूस निकाला गया. ढोल नगाड़ों और फूलों की मालाओं से अक्षिमा बजाड़ का स्वागत किया गया. अक्षिमा ने बताया कि उनके पिता रणबीर सिंह ने उनका भविष्य संवारने के लिए नौकरी तक छोड़ दी थी.

उनके पिता ने वर्ष 2016 में बेटे हैप्पी को कबड्डी की प्रैक्टिस शुरू करवाई थी, जबकि बेटी अक्षिमा का वजन ज्यादा था. इस वजह से दौड़ लगाने के लिए प्रेरित किया. अक्षिमा की खेल मूवमेंट एक बेहतर कबड्डी खिलाड़ी की तरह थी. अक्षिमा के पिता ने खेल प्रतिभा को तरासने के लिए उसकी कबड्डी की प्रैक्टिस शुरू करवाई. दोनों बहन भाई सुबह शाम कबड्डी की प्रैक्टिस करते थे. अक्षिमा का भाई कई बार थक कर बैठ जाता था, लेकिन अक्षिमा प्रैक्टिस जारी रखती थी.

  • 19वें एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक विजेता भारतीय महिला कबड्डी टीम का हिस्सा रहीं बहन अक्षिमा के सम्मान में आज गाँव मकड़ौली कलां (किलोई) में आयोजित अभिनन्दन समारोह में शामिल होकर उनकी हौसला अफजाई की।

    हमें इस बात का गर्व है कि एक बार फिर 2% आबादी वाला प्रदेश 30% से अधिक पदक लेकर… pic.twitter.com/MzIdjdGUJo

    — Deepender S Hooda (@DeependerSHooda) October 15, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

प्रैक्टिस करने की शुरुआत के एक साल बाद ही अक्षिमा ने ऑल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी खेलों में भाग लेकर टीम के साथ गोल्ड मेडल भी हासिल किया. इस दौरान उनके पिता ने एशियन गेम्स के सपने के बारे में बताया. जिसके बाद अपने पिता का सपना पूरा करने के अक्षिमा ने दिन में चार-पांच घंटे सुबह और शाम प्रैक्टिस करना शुरू किया. जिसकी बदौलत में दो साल तक यूनिवर्सिटी की कैप्टन भी रही.

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अक्षिमा को पहली बार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलने का मौका मिला है और उसने अपने पिता का सपना पूरा कर दिया. अक्षिमा का कहना है कि साल 2026 में होने वाले एशियन गेम्स में भी वो भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए खेले और फिर से भारत को गोल्ड मेडल जीतने का काम करें.

Last Updated : Oct 15, 2023, 10:26 PM IST
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