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रोहतक पीजीआईएमएस में को-वैक्सीन ट्रायल का पहला फेज रहा सफल

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Published : Jul 31, 2020, 7:46 PM IST

रोहतक के पंडित बीडी शर्मा पीजीआईएमएस में को-वैक्सीन ट्रायल का पहला फेज सफलतापूर्वक संपन्न हो गया है. अभी तक जितने भी वॉलंटियर्स को को-वैक्सीन का डोज दिया गया है. उनमें किसी भी प्रकार का साइड इफेक्ट नहीं दिखा है. अब वैक्सीन ट्रायल टीम दूसरे फेज की तैयारी कर रही है.

first phase of co vaccine trial successfully completed in rohtak pgims
रोहतक पीजीआईएमएस में को वैक्सीन ट्रायल का पहला फेज सफलतापूर्वक संपन्न

रोहतक: कोरोना संक्रमण को खत्म करने के लिए देश में बन रही वैक्सीन के ट्रायल का प्रथम चरण शुक्रवार को सफलतापूर्वक पूरा हो गया है. इस फेज में कुल 375 वॉलंटियर को वैक्सीन देनी थी. ये आंकड़ा राष्ट्रीय स्तर पर डॉक्टरों की टीम ने हासिल कर लिया है. डॉक्टर इस उपलब्धि से खुश हैं कि अभी तक किसी भी वॉलिंटियर में कोई भी साइड इफेक्ट देखने को नहीं मिला है. इस सफलता के बाद को वैक्सीन ट्रायल टीम दूसरे फेज के तैयारी में जुट गई है.

पंडित बीडी शर्मा पीजीआईएमएस के कम्युनिटी मेडिसिन विभाग की प्रोफेसर और को वैक्सीन ट्रायल टीम की प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर डॉक्टर सविता वर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि को-वैक्सीन ट्रायल के लिए राष्ट्रीय स्तर पर 13 संस्थानों में 375 वॉलिंटियर को वैक्सीन देने का लक्ष्य रखा गया था. जो पूरा हो गया है. इसमें अकेले पंडित बीडी शर्मा पीजीआईएमएस में 79 वालंटियर को वैक्सीन दी गई. जिस में खुशी की बात यह रही कि किसी भी वॉलिंटियर को वैक्सीन का कोई भी साइड इफेक्ट दिखाई नहीं दिया है.

रोहतक पीजीआईएमएस में को वैक्सीन ट्रायल का पहला फेज सफलतापूर्वक संपन्न

उन्होंने बताया कि अब तक के मिले परिणामों से उनका हौसला बुलंद हुआ है कि यह वैक्सीन कोरोना के निवारण के लिए कारगर साबित होगी. उन्होंने कहा कि ये भी खुशी की बात है कि पंडित बीडी शर्मा पीजीआईएमएस के एंट्रो गैस्ट्रोलॉजी विभाग के सीनियर प्रोफेसर डॉ. प्रवीण मल्होत्रा भी संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए काले पीलिया की दवा पर अनुसंधान कर रहे हैं. अगर दोनों अनुसंधान सफल हो जाते हैं तो निश्चित तौर पर वह कह सकती हैं कि भारत से ही नहीं, पूरे विश्व में कोरोना का नामो निशान मिट जाएगा.

वहीं को वैक्सीन ट्रायल टीम के को इन्वेस्टिगेटर डॉ. रमेश वर्मा ने को वैक्सीन ट्रायल टीम की सहायता करने वाले सभी सहयोगियों और वॉलिंटियर का धन्यवाद किया है. जिन्होंने इस अनुसंधान में डॉक्टरों की टीम का सहयोग किया है. उन्होंने कहा कि अब तक के मिले परिणामों से उनका हौसला बढ़ा है. अब वो है सेकेंड फेज के लिए वॉलिंटियर से अपना रजिस्ट्रेशन करवाने की अपील कर रहे हैं. अब तक 18 से 55 वर्ष की आयु के लोगों को जो स्वस्थ हैं को शामिल किया गया था, लेकिन अब दूसरे दौर के ट्रायल में 16 वर्ष से लेकर और 65 वर्ष के लोगों को शामिल किया जाएगा. जो किसी भी बीमारी से पीड़ित नहीं हैं.

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