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Women’s Day Special: महिलाओं के लिए मिसाल पानीपत की किरण...

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Published : Mar 2, 2022, 3:16 PM IST

Updated : Mar 2, 2022, 4:54 PM IST

Women’s Day Special: विश्व महिला दिवस पर ईटीवी भारत लाया है, आपके लिए खास पेशकश 'अस्तित्व'. अस्तित्व के सेगमेंट में हम आपको मिलवाते हैं एक ऐसी महिला किरण से जिसने अपने भरे पूरे परिवार को बड़ी बहादुरी और लगन से संजो के रखा है और आसपास के क्षेत्रों में उनकी मिसाल भी दी जाती है.

womens day special
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पानीपत: भारतीय संस्कृति में नारी सम्मान को बहुत महत्व दिया गया है. यहां तक कि वेदों में भी लिखा है कि 'यत्र नार्यस्तु पूज्यंते तत्र रमंते देवता:', अर्थात जहां नारियों की पूजा होती है, वहां देवताओं का निवास माना जाता है. इतना ही नहीं नारी को बलिदान का रूप भी कहा जाता है. अगर भारतीय इतिहास को खंगाला जाए, तो महिलाओं द्वारा किए गए कई ऐसे कार्य है जिनकी बदौलत नारियों ने अपनी अलग पहचान बना ली है. चाहे उनमें रानी लक्ष्मीबाई हो, कल्पना चावला हो, सुष्मा स्वराज हो, लता मंगेशकर हो. इन सबने महिला शक्ति को एक अलग ही बल प्रदान करने का काम किया है. जिसकी बदौलत आज महिलाएं किसी की मोहताज नहीं रह गई है. आज हम आपको पानीपत की एक ऐसी ही महिला के बारे में बताने जा रहे है, जिन्होंने अपनी मेहनत और लगन से अपने आसपास के क्षेत्र में अलग ही मिसाल कायम कर दी है.

हम बात कर रहे हैं, पानीपत से लगभग 24 किलोमीटर दूर गोयला खुर्द की रहने वाली महिला किरण (Panipat Kiran inspirational story) की. किरण की शादी 1977 में गांव कोयला के रहने वाले हरि सिंह के साथ हुई थी. जिसके बाद किरण फतेहाबाद आ गई थी. किरण के पति हरि सिंह बीएसएफ में एक जवान के पद पर तैनात थे. जिसके चलते घर की जिम्मेदारी किरण पर आ गई और किरण ने उस जिम्मेदारी को बखूबी निभाया. बता दें कि किरण के पास 9 एकड़ जमीन है, जो कि यमुना के किनारे है. यमुना के किनारे हरियाणा और उत्तर प्रदेश का बॉर्डर लगता है, जहां अमूमन किसानों के आपसी झगड़े होते रहते हैं.

Women’s Day Special: महिलाओं के लिए मिसाल पानीपत की किरण...

गौरतलब है कि किरण के आठ बेटियां है. पति बीएसएफ में थे, तो ऐसे में घर और बेटियों की जिम्मेवारी किरण के कंधे पर ही थी. ऐसे में एकांत में घर होने के कारण किरण ने अपने गन का लाइसेंस बनवाया और लाइसेंस बनवाने के बाद खेतों में खुद ही सुरक्षा के लिए निकल पड़ी. धीरे-धीरे किरण ने ट्रैक्टर से खेतों की जुताई करना शुरू कर दिया. किरण ने बताया कि उनके अंदर एक जज्बा था, जिस तरह पति देश की सेवा करते हैं, वह भी यहां अपने गांव वासियों की सेवा करें. किरण के पति अब सेना से रिटायर हो चुके हैं, और अपने कुछ कामों के साथ-साथ थोड़ा बहुत किरण का भी हाथ बंटाते हैं.

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इसी के चलते किरण ने 2001 में पंचायती चुनाव में ताल ठोक कर जीत हासिल कर ली. जिसके बाद से किरण ने महिलाओं और लड़कियों के लिए कई विकास कार्य किए. इसके साथ ही किरण ने अपनी 8 बेटियों को पूरी मेहनत और लगन से पढ़ाया लिखाया. जिसके परिणामस्वरूप आज किरण की एक बेटी हरियाणा में पुलिस इंस्पेक्टर है, 7 बेटियों में कोई ग्रेजुएट, तो कोई पोस्ट ग्रेजुएट कर रही है. साथ ही एक बेटा हरियाणा पुलिस में कांस्टेबल के पद पर तैनात हैं. इस महिला के संघर्ष की कहानी आसपास के लोगों के लिए मिसाल बन चुकी है.

गौरतलब है कि ट्रैक्टर चलाना, खेत की जुताई करना, जानवरों के लिए झोटा बुग्गी लेकर घास लाना, ये सभी कार्य किरण लगभग 60 वर्ष की उम्र में भी बखूबी कर लेती है. किरण बताती है कि वह 10वीं पास है और घर में ही छोटे बच्चों को भी पढ़ा लेती हैं. वहीं किरण ने महिला दिवस पर लोगों के लिए संदेश देते हुए कहा कि 'बेटियों को बोझ समझना बंद करो और बेटियों को उच्च शिक्षा दें'. यही एक अनमोल वस्तु है जिसको कोई बांट नहीं सकता और कोई छीन नहीं सकता.

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Last Updated :Mar 2, 2022, 4:54 PM IST
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