ETV Bharat / state

कलयुग के सर्वोत्तम स्थानों में गिना जाता है पानीपत का चुलकाना धाम, जानें इसका इतिहास

author img

By

Published : Jul 1, 2023, 11:15 AM IST

पानीपत जिले के समालखा कस्बे से पांच किलोमीटर दूर चुलकाना गांव में बाबा श्याम का मंदिर है. इस मंदिर का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा है. इस मंदिर को चुलकाना धाम के नाम से जाना जाता है. इसे कलयुग के सर्वोत्तम स्थानों में गिना जाता है.

panipat chulkana dham
panipat chulkana dham

पानीपत: आज भी इतिहास के पन्नों में कई ऐसे किस्से और कहानियां मौजूद हैं. जिनके बारे में बहुत की कम लोग जानते हैं. ऐसी ही एक कहानी है पानीपत जिले के समालखा कस्बे से पांच किलोमीटर दूर चुलकाना गांव के बाबा श्याम के मंदिर की. इस मंदिर की वजह से गांव को लोग अब चुलकाना धाम के नाम से जानते हैं. चुलकाना धाम को कलयुग का सर्वोत्तम तीर्थ माना गया है. बताया जा रहा है कि चुलकाना धाम का संबंध महाभारत से जुड़ा है.

ये भी पढ़ें- हरियाणा का वो गांव जहां महाभारत काल में बकासुर राक्षस का आहार बने थे भीम, जानिए अक्षय वट तीर्थ की विशेषता

महाभारत काल में पांडव पुत्र भीम के पुत्र घटोत्कच का विवाह दैत्य की पुत्री कामकन्टकटा के साथ हुआ. उन्होंने अपने पुत्र का नाम बर्बरीक रखा. बर्बरीक को महादेव और विजया नामक देवी का आशीर्वाद प्राप्त था. उनकी आराधना से बर्बरीक को तीन बाण प्राप्त हुए, जिनसे वो सृष्टि तक का संहार कर सकते थे. बर्बरीक की माता को संदेह था कि पांडव महाभारत युद्ध में जीत नहीं पाएंगे. पुत्र की वीरता को देख माता ने बर्बरीक से वचन मांगा कि तुम युद्ध को देखने जाओ, लेकिन अगर युद्ध करना पड़ जाए, तो तुम्हें हारने वाले का साथ देना है.

panipat chulkana dham
चुलकाना गांव में बाबा श्याम का मंदिर

मातृभक्त पुत्र ने माता के वचन को स्वीकार किया, इसलिए उनको हारे का सहारा भी कहा जाता है. माता की आज्ञा लेकर बर्बरीक युद्ध देखने के लिए घोड़े पर सवार होकर चल पड़े. उनके घोड़े का नाम लीला था, जिससे लीला का असवार भी कहा जाता है. जब तक बर्बरीक युद्ध स्थल पर पहुंचता तब तक पांडवों का पलड़ा भारी हो चुका था. अपनी मां को दिए वचन के मुताबिक अब बर्बरीक को हारे का, यानी कौरवों का साथ देना था. अगर वो कौरवों का साथ देता तो शायद पांडव युद्ध का परिणाम प्रभावित हो सकता था. इसलिए श्री कृष्ण ने बर्बरीक को रोकने के लिए लीला रची.

ये भी पढ़ें- ये है हरियाणा का ताजमहल! जो महान विद्वान शेख चिल्ली की याद में बनवाया गया था

जब बर्बरीक चुलकाना गांव पहुंचे तो श्री कृष्ण ने एक ब्राह्मण का वेश धारण कर लिया और बर्बरीक के पास पहुंचे. बर्बरीक उस समय पूजा में लीन थे. पूजा खत्म होने के बर्बरीक ने ब्राह्मण रूप में श्री कृष्ण को कहा कि मैं आपकी क्या सेवा कर सकता हूं? इसपर श्री कृष्ण ने कहा कि मैं जो मांगूगा क्या आप उसे देंगे? बर्बरीक ने कहा कि मेरे पास देने के लिए कुछ नहीं है, फिर भी आपकी दृष्टि में कुछ है, तो मैं देने के लिए तैयार हूं. इसके बाद श्री कृष्ण ने बर्बरीक से उसके शीश का दान मांगा. बर्बरीक ने कहा कि मैं शीश दान दूंगा, लेकिन एक ब्राह्मण कभी शीश दान नहीं मांगता. आप सच बताएं कि आप कौन हो? इसके बाद श्री कृष्ण अपने वास्तविक रूप में प्रकट हुए.

panipat chulkana dham
मंदिर में अन्य देवी देवताओं की मूर्तियां भी स्थापित की गई हैं.

बर्बरीक ने जब श्री कृष्ण से पूछा कि आपने ऐसा क्यों किया? तब श्री कृष्ण ने कहा कि इस युद्ध की सफलता के लिए किसी महाबली की बली चाहिए. धरती पर तीन वीर महाबली हैं. जिनमें एक मैं, दूसरा अर्जुन और तीसरे तुम हो, क्योंकि तुम पांडव कुल से हो. इसलिए उनकी रक्षा के लिए तुम्हारा बलिदान सदैव याद रखा जाएगा. इसके बाद बर्बरीक ने देवी देवताओं का वंदन किया और माता को नमन कर एक ही वार में शीश को धड़ से अलग कर श्री कृष्ण को शीश दान कर दिया. इसके बाद श्री कृष्ण ने बर्बरीक के शीश को अपने हाथ में लेकर अमृत से सींचा और उस शीश को अमर करते हुए एक टीले पर रखवा दिया और कहा कि तुम्हे मेरे नाम से जाना जाएगा. कलयुग में तुम ही लोगों को उधार करोगे. तब से यहां अब उनका मंदिर है. जिसे श्याम बाबा के नाम से जाना जाता है.

panipat chulkana dham
इस पीपल के पेड़ के सभी पत्तों मे छेद है.

इस मंदिर में एक पीपल का पेड़ भी है. जिसके सारे पत्तों में छेद है. माना जाता है कि शीश मांगने से पहले श्री कृष्ण ने बर्बरीक के बल की परीक्षा ली थी. इसके लिए श्री कृष्ण ने बर्बरीक को पीपल के पत्तों में छेद करने के लिए कहा. इस दौरान उन्होंने पीपल के एक पत्ते को अपने पैर तले दबा लिया. इसके बाद बर्बरीक ने एक ही बाण से पीपल के सभी पत्तों में छेद कर दिया. जिसके बाद श्रीकृष्ण ने कहा कि एक पत्ता रह गया है, तब बर्बरीक ने कहा कि आप अपना पैर हटाएं, क्योंकि बाण आपके पैर के नीचे पत्ते में छेद करके ही लौटेगा. माना जाता है कि तब से अब तक चुलकाना धाम पर मौजूद पीपल के पत्तों में आज भी छेद हैं.

ये भी पढ़ें- इस गांव में हुआ था श्रीराम की माता कौशल्या का जन्म, यहां से जुड़े हैं कई रहस्य

अपनी मनोकामना को पूरी करने के लिए लोग इस पीपल के पेड़ की परिक्रमा करते हैं. पेड़ पर धागा बांधकर लोग मन्नत भी मांगते हैं. माना जाता है कि मन्नत का धागा बांधने से लोगों की मनोकामना पूर्ण होती है. चुलकाना धाम के पुजारी ने बताया कि चुलकाना धाम दूर दूर तक प्रसिद्ध हो गया है. श्याम बाबा के दर्शन के लिए हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली समेत अन्य राज्यों से भक्त आते हैं. श्याम बाबा के मंदिर में राम भक्त हनुमान, श्री कृष्ण, बलराम, भगवान शिव के परिवार समेत अन्य देवी देवताओं की मूर्तियां भी स्थापित की गई हैं. यहां एकादशी और द्वादशी पर मेला भी लगता है. श्री श्याम मंदिर सेवा समिति के प्रधान रोशन लाल ने बताया कि हर रविवार, एकादशी व द्वादशी को श्याम बाबा के दर्शन करने लिए दूर दराज से लाखों यहां आते हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.