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दीपावली पर खतरे में दुर्लभ उल्लू की जान, हैरान कर देगी तंत्र क्रिया में बलि देने की ये कहानी

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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Nov 11, 2023, 5:46 PM IST

Updated : Nov 12, 2023, 6:09 AM IST

OWL Sacrifice on Diwali
OWL Sacrifice on Diwali

OWL Smuggling in Haryana: दीपावली का त्योहार तांत्रिक क्रिया करने वालों के लिए बेहद खास होता है. हैरान करने वाली बात ये है कि इस दिन कुछ इलाकों में तांत्रिक उल्लू की बलि देते हैं. दुर्लभ प्रजाति प्रतिबंधित उल्लुओं की तस्करी इस दिन काफी बढ़ जाती है, जो कि गैरकानूनी है और इसके लिए 3 साल तक की सजा हो सकती है.

पानीपत: दीपावली के त्योहार पर जहां कई तरह की पूजा का रिवाज है तो वहीं इस दिन तांत्रिक क्रिया करने वाले लोग भी सक्रिय हो जाते हैं. तंत्र मंत्र के चलते वन्य जीवों के जीवन पर भी संकट मंडराने लग जाता है. एक ऐसा ही हैरान करने वाला मिथक ये है कि दीपावली पूजन पर उल्लू की बलि देने से धन संपदा की प्राप्ति होती है.

दीपावली के दिन अमावस की रात होती है और उल्लू की पूजा की जाती है. इस पूजा के दौरान कई लोग उल्लू की बलि भी दी जाती है. लोगों में मिथक शुरू से चला आ रहा है. दीपावली से पहले यानी छोटी दीपावली के दिन उल्लू की पूजा कर उसे मारण क्रिया में प्रयोग किया जाता है. क्रिया के बाद उल्लू को मार दिया जाता है. अगर तांत्रिक उसे नहीं मारता तो वह उल्लू तांत्रिक को मार देगा. वशीकरण, मारण क्रिया, धन संपदा की प्राप्ति और काले इलम के लिए उल्लू की बलि दी जाती है. हलांकि ये पूरी तरह गैरकानूनी है.

हजारों से लेकर करोड़ों तक कीमत- मिथकों और रिवाजों के चलते इन दिनों उल्लू की की तस्करी अधिक बढ़ जाती है. मार्केट में साइज और वजन के हिसाब से उल्लू की कीमत तय होती है. 15 हजार से लेकर कुछ दुर्लभ प्रजाति के उल्लू की कीमत करोड़ों में बताई जाती है. इसी के चलते जंगल के आसपास इन दिनों उल्लू को पकड़ने वाले तस्करों का गिरोह सक्रिय हो जाता है.

भारत में उल्लू की 36 प्रजातियां- उल्लू की तस्करी को देखते हुए वन विभाग भी इन दिनों अलर्ट मोड पर आ जाता है. एक्स्ट्रा रेंजर्स जंगलों में तैनात किए जाते हैं. विश्व वन्य जीव कोष भारत में जागरूकता फैलाने और शिकार और तस्करी बंद करने पर जोर देता है. विश्व वन्य जीव कोष भारत की ताजा रिपोर्ट के अनुसार देश में उल्लू की 36 प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें से 16 का शिकार और तस्करी की जाती है.

उल्लू की तस्करी पर 3 साल की सजा- प्रमुख वन्य जीव संरक्षक पंकज गोयल ने बताया कि हरियाणा के चार जिलों में इस प्रकार की घटनाएं ज्यादा होती हैं. इनमें फरीदाबाद, झज्जर, पंचकूला और यमुनानगर शामिल हैं. भारतीय वन्य जीव अधिनियम 1972 के अनुसूची एक के तहत उल्लू सरंक्षित प्राणी है. ये विलुप्त होते जीवों की श्रेणी में आता है. उल्लू के शिकार और तस्करी पर 3 साल या उससे अधिक की सजा का प्रवधान है. इसलिए ये गैरकानूनी काम करने की कोशिश किसी को नहीं करनी चाहिए. इन घटनाओं को देखते हुए वन विभाग ने अपने एक्स्ट्रा रेंजर को जंगलों में तैनात किया है.

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Last Updated :Nov 12, 2023, 6:09 AM IST
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