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कुरुक्षेत्र मंडी में कई-कई दिन से पड़े किसान फिर नहीं मिल रहे उचित दाम, देखें रिपोर्ट

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Published : Nov 12, 2019, 10:31 PM IST

kurukshetra grain market

मुसीबत से जूझ रही मंडियों के हाल की पड़ताल करने के लिए ईटीवी भारत की टीम कुरुक्षेत्र की अनाज मंडी पहुंची. किसानों ने मंडी को लेकर कई बड़े खुलासे किए. किसानों ने बताया कि उनको उनकी फसल का उचित दाम नहीं मिल रहा है. इसके अलावा किसान कई-कई दिन से मंडी में धान की फसल की बेचने के लिए पड़े हैं

कुरुक्षेत्र: हरियाणा के किसानों को धान की फसल को लेकर काफी जद्दोजहद करनी पड़ रही है. धान की खरीद को लेकर पिछले कई-कई दिनों से किसान मंडियों में पड़े हुए हैं लेकिन उनका धान नहीं बिक रहा है.
इसका जायजा लेने के ईटीवी भारत की टीम कुरुक्षेत्र की अनाज मंडी पहुंची और किसानों से जानने की कोशिश की कि क्या उनको मंडी में फसल का उचित दाम मिल रहा है और प्रशासन की ओर से उनको क्या-क्या सुविधाएं दी जा रही हैं.

MSP से कम में धान की खरीद
वहां मौजूद किसानों ने मंडी की बदहाली के बारे में बताया. किसानों का कहना है कि सरकार चुनाव के समय में बड़े-बड़े वायदे करती है और खुद किए हुए वादे को तोड़ देती है. किसानों ने कहा कि 1121 किस्म के धान की आवक मंडियों में है. पिछले कई सालों से इस धान की कीमत बाजार में 34 सौ रुपये से लेकर 35 सौ रुपये क्विंटल मिल रही थी लेकिन मंडियों में किसानों को इस बार मात्र 27 सौ रुपये से लेकर 28 सौ तक ही मिल रहे हैं. इस निराशाजनक रेट को लेकर भी किसानों को भारी समस्या का सामना करना पड़ रहा है.

कुरुक्षेत्र मंडी में परेशान किसान, देखें रिपोर्ट

धान गीला बता कर परेशान कर रहे आढ़ती
किसानों ने बताया कि आढ़ती और कंपनियां उनके धान की जो बोली लगाती है उसमें पहले कंपनिंया अक्सर धान को गीला बताकर रिजेक्ट कर देती हैं. जो रेट मंडी दे रही है उससे लागत भी नहीं निकल पा रही. ऊपर से मंडी में कई-कई दिन से किसान पड़े हैं. किसान के लिए मंडियों की ओर से कोई व्यवस्था नहीं की गई. पूरी-पूरी रात किसान खुले में पड़े रहते हैं.

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धान बेचने के लिए मजबूर किसान
किसानों का कहना है कि हमें अपने धान मजबूरी में बेचने पड़ रहे हैं, किसानों के पास इतने संसाधन नहीं हैं, जिससे कि वो अपनी अगली फसल तैयार कर सकें. मजबूरन उनको ओने पौने दामों पर धान की फसल बेचनी पड़ रही है.

कैसे होगी किसान की आय दो गुनी?
एक ओर सरकार दावा कर रही है कि 2022 तक किसानों की आय दोगुनी कर देगी, लेकिन इन हालातों को देखकर नहीं लगता कि किसानों की आय दो गुनी होगी. किसानों को न तो उनकी फसल का उचित दाम मिल पा रहा है और न ही सरकार उनकी कोई मदद कर रही है.

Intro:हरियाणा के किसानों को धान की फसल को लेकर काफी जद्दोजहद करनी पड़ रही है अपने धान की खरीद को लेकर पिछले कई कई दिनों से किसान मंडियों में बैठे हैं हरियाणा सरकार ने जो एमएसपी निर्धारित उस रेट पर भी किसानों की फसल को नहीं लिया जा रहा किसानों का कहना है कि सरकार चुनाव के समय में बड़े-बड़े वायदे करती है और खुद किए हुए वादे को तोड़ देती है किसानों ने कहा कि 1121 किस्म के धान की आवक मंडियों में आवक है और सरकार ने इसका एमएससी 34 सौ रुपये से लेकर 35 सो रुपए निर्धारित किया था और आज यह धान मंडियों में मात्र 27 सौ रुपये से लेकर 28 सौ तक ही खरीदी जा रही है इस निराश जनक रेट को लेकर भी किसानों को भाटी समस्या का सामना करना पड़ रहा है।
किसानों ने बताया कि आरती और कंपनियां उनके दान की जो बोली लगाती है उसमें सबसे बड़ा कारण नमी बता कर धान को कम रेट पर खरीद लिया जाता है और किसानों का कहना है कि ठीक-ठाक धान को भी नमी बताकर बहुत सस्ते रेट में खरीदा जाता है इस रेट पर लागत भी पूरी नहीं निकल पा रही।
और दूसरा किसानों की समस्या कंबाइन द्वारा कटवाई गई फसल जोकि गंदगी और नमी बता कर मंडियों में नहीं लिख पाती और किसानों का कहना है जानबूझकर गंदगी का बहाना बनाकर कम रेट में खरीदा जाता है और बासमती किस्म की धान को सरकार सीधा नहीं खरीदती निजी कंपनियां इस धान को मनमाने रेटों पर खरीदती है किसान इसको अपने फायदे के लिए लगाता है उल्टा मिले रेटों से उसकी लागत भी नहीं निकाल पाते


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