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अब पशुओं में भी हो सकेगा आईवीएफ तकनीक से गर्भधारण, NDRI के वैज्ञानिकों ने तैयार की तकनीक

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Published : Jul 25, 2022, 6:56 PM IST

national dairy research institute karnal
national dairy research institute karnal

नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट करनाल (national dairy research institute karnal) ने ओवम पिकअप इन विट्रो फर्टिलाइजेशन नाम की तकनीक विकसित की है. इस तकनीक के जरिए अब गायों का गर्भधारण किया जाएगा.

करनाल: आईवीएफ तकनीक (In vitro fertilization) से अब तक केवल महिलाएं ही गर्भधारण कर सकती थीं, अब इस तकनीक का इस्तेमाल गायों भी पर किया जाएगा. इसके लिए नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट करनाल (national dairy research institute karnal) ने ओवम पिकअप इन विट्रो फर्टिलाइजेशन नाम की तकनीक विकसित की है. इस तकनीक का उद्देश्य देश में कम पशुओं से अधिक दूध उत्पादन करना है.

इस तकनीक से अब ना केवल किसानों के गोधन से बल्कि गोशाला में भेजी गई आवारा व बेसहारा गायों से भी दुधारू गोवंश पैदा किया जाएगा. आईसीएसआर (Indian Council of Medical Research) के तहत देशभर में 30 बड़े संस्थानों में ये कार्यक्रम चलेगा. एनडीआरआई के निदेशक डॉक्टर एमएस चौहान ने बताया कि इससे आने वाले एक दशक में दुधारू पशुओं की नस्ल सुधार में उल्लेखनीय परिणाम सामने आएंगे.

अब पशुओं में भी हो सकेगा आईवीएफ तकनीक से गर्भधारण, NDRI के वैज्ञानिकों ने तैयार की नई तकनीक

उन्होंने कहा कि देश में अच्छे गोवंश की नस्ल को बढ़ाने के लिए 50 प्रतिशत अच्छे नस्ल के सांडों की कमी है. उत्तम नस्ल की गायों से कम समय से हजारों की संख्या में उत्तम नस्ल के गोवंश को पैदा नहीं किए जा सकते, क्योंकि एक गाय गर्भादान करने के बाद 9 महीने 9 दिन में ब्यांत (अंडा) देती है, लेकिन ओवम पिकअप इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (ovum pickup in vitro fertilization) से एक गाय से अंडे लेकर एक महीने में 10 बच्चे लिए जा सकते हैं.

national dairy research institute karnal
अब पशुओं में भी हो सकेगा आईवीएफ से गर्भधारण

इस तरह से एक गाय से सेरोगेट तकनीक के तहत एक साल में 10 बछड़े-बछड़ी तक पैदा किए जा सकते हैं. बछड़े पैदा करने के लिए जीनोमिक्स सिलेक्शन का प्रयोग किया जाएगा, क्योंकि दुधारू नस्ल की गायों को बढ़ाने के लिए अच्छे नस्ल के सांडों के सीमन की जरूरत है. ओवम पिकअप इन विट्रो फर्टिलाइजेशन तकनीक से पहले दुधारू नस्ल की गाय से अल्ट्रासाउंड मशीन से देखकर ओवरी से अंडा लिया जाता है. फिर इसे उत्तम नस्ल के सांड के सीमन के साथ फर्टाइल कर 24 घंटे टेस्ट ट्यूब में रखा जाता है. भ्रूण विकसित होने पर उसे सात दिनों तक लैब में इन्क्यूबेटर में रखा जाता है.

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