Makar Sankranti 2023: जानिए इस साल कब है मकर सक्रांति का त्योहार, शुभ मुहूर्त व पूजा का विधि विधान

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Published : Jan 13, 2023, 4:15 PM IST

Makar Sankranti 2023

मकर संक्रांति 2023 को लेकर इस साल लोगों में खासा उत्साह है. मकर संक्रांति पर भगवान सूर्य की पूजा की पूजा की जाती है. उनके लिए व्रत रखा जाता है और दिनभर श्रद्धा के मुताबिक दान दिया जाता है. इस दिन सूर्य के उत्तरायण होता है इसलिए इन सब चीजों का महत्व और बढ़ जाता है. मकर संक्रांति पर गंगा में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है (importance on makar sankranti festival)

पंडित विश्वनाथ

करनाल: मकर संक्रांति हिंदू धर्म का प्रमुख त्योहार माना जाता है. भारत के अलग-अलग राज्यों में मकर संक्रांति को विभिन्न नामों से जाना जाता है. इस त्योहार को गुजरात में उत्तरायण, उत्तर भारत में खिचड़ी और दक्षिण भारत में इस दिन को पोंगल के रूप में मनाया जाता है. मकर संक्रांति का पर्व सूर्य के राशि परिवर्तन के मौके पर मनाया जाता है. इस दिन सूर्यदेव धनु राशि से निकलकर मकर में प्रवेश कर जाते हैं. सूर्य का मकर राशि में प्रवेश करना मकर संक्रांति कहलाता है. वैसे तो मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाती है, लेकिन साल 2023 में मकर संक्रांति की सही तिथि को लेकर थोड़ा संशय है. ऐसे में चलिए जानते हैं कि आने वाले साल में मकर संक्रांति कब मनाई जाएगी. (Makar Sankranti 2023)

मकर संक्रांति 2023 शुभ मुहूर्त: हिंदू पंचांग के अनुसार, ग्रहों के राजा सूर्य 14 जनवरी 2023 की रात 8 बजकर 21 मिनट पर मकर राशि में गोचर करेंगे. उदया तिथि 15 जनवरी को प्राप्त हो रही है. ऐसे में मकर संक्रांति नए साल में 15 जनवरी 2023 को मनाई जाएगी. (importance of makar sankranti)

मकर संक्रांति 2023 पूजा विधि: पंडित विश्वनाथ ने बताया कि मकर संक्रांति के दिन सुबह जल्दी उठकर किसी पवित्र नदी में जाकर स्नान करें. फिर इसके बाद साफ वस्त्र पहनकर तांबे के लोटे में पानी भर लें और उसमें काला तिल, गुड़ का छोटा सा टुकड़ा और गंगाजल लेकर सूर्यदेव के मंत्रों का जाप करते हुए अर्घ्य दें. इस दिन सूर्यदेव को अर्घ्य देने के साथ ही शनिदेव को भी जल अर्पित करें. इसके बाद गरीबों को तिल और खिचड़ी का दान करें. (makar sankranti puja vidhi)

मकर संक्रांति के दिन करें ये उपाय: मकर संक्रांति के दिन पानी में काली तिल और गंगाजल मिला कर स्नान करें. इससे सूर्य की कृपा होती है और कुंडली के ग्रह दोष दूर होते हैं. ऐसा करने से सूर्य और शनि दोनों की कृपा मिलती है, क्योंकि इस दिन सूर्य अपने पुत्र शनि के घर मकर में प्रवेश करते हैं.

भीष्म पितामाह ने मकर संक्रांति के दिन त्यागा था देह: मकर संक्रांति के दिन शुद्ध घी एवं कंबल का दान मोक्ष की प्राप्ति करवाता है. महाभारत काल में भीष्म पितामह ने अपनी देह त्यागने के लिए मकर संक्रांति का ही चयन किया था. गीता में बताया गया है कि जो व्यक्ति उत्तरायण में शुक्ल पक्ष में देह का त्याग करता है उसे मुक्ति मिल जाती है.

सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उनके घर जाते हैं: सनातन मान्यताओं के मुताबिक मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उनके घर जाते हैं. चूंकि शनि देव मकर राशि के स्वामी हैं, उनके घर में सूर्य के प्रवेश मात्र से शनि का प्रभाव क्षीण हो जाता है. क्योंकि सूर्य के प्रकाश के सामने कोई नकारात्मकता नहीं टिक सकती है. मान्यता है कि मकर संक्रांति पर सूर्य की साधना और इनसे संबंधित दान करने से सारे शनि जनित दोष दूर हो जाते हैं.

Makar Sankranti 2023
मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने की भी है महत्ता.

मकर संक्रांति से जुड़ा है सूर्य शनि का वरदान: पिता सूर्यदेव को कुष्ठ रोग से पीड़ित देखकर यमराज काफी दुखी हुए. यमराज ने सूर्यदेव को कुष्ठ रोग से मुक्त करवाने के लिए तपस्या की लेकिन सूर्य ने क्रोधित होकर शनि महाराज के घर कुंभ जिसे शनि की राशि कहा जाता है उसे जला दिया. इससे शनि और उनकी माता छाया को कष्ठ भोगना पड़ रहा था. यमराज ने अपनी सौतेली माता और भाई शनि को कष्ट में देखकर उनके कल्याण के लिए पिता सूर्य को काफी समझाया. तब जाकर सूर्य देव ने कहा कि जब भी वह शनि के दूसरे घर मकर में आएंगे तब शनि के घर को धन-धान्य से भर देंगे. प्रसन्न होकर शनि महाराज ने कहा कि मकर संक्रांति को जो भी सूर्यदेव की पूजा करेगा उसे शनि की दशा में कष्ट नहीं भोगना पड़ेगा.

मकर संक्रांति से जुड़ी पौराणिक मान्यताएं: शास्त्रों के अनुसार मकर संक्रान्ति के दिन ही भगवान विष्णु के अंगूठे से निकली देवी गंगाजी भागीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा मिली थीं. भगीरथ के पूर्वज महाराज सगर के पुत्रों को मुक्ति प्रदान हुआ था. इसीलिए इस दिन बंगाल के गंगासागर में कपिल मुनि के आश्रम पर एक विशाल मेला लगता है. (Importance on makar sankranti festival)

Makar Sankranti 2023
मकर संक्रांति पर तिल खाने का है विशेष महत्व.

वैज्ञानिक कारण: मकर संक्रांति का वैज्ञानिक कारण यह है कि इस दिन से सूर्य के उत्तरायण हो जाने से प्रकृति में बदलाव शुरू हो जाता है. लोगों को सूर्य के उत्तरायण होने से शीत ऋतु से राहत मिलना आरंभ होता है. पूरा वर्ष उत्तरायण एवं दक्षिणायन दो भागों में बराबर-बराबर बंटा होता है. जिस राशि में सूर्य की कक्षा का परिवर्तन होता है, उसे संक्रमण काल कहा जाता है. हमारी पृथ्वी का अधिकांश भाग भूमध्य रेखा के उत्तर में यानी उत्तरी गोलार्द्ध में ही आता है. इसलिए मकर संक्रांति को ही विशेष महत्व दिया गया है. (scientific reason for makar sankranti)

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