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Mahashivratri 2023: महाशिवरात्रि पर बना विशेष संयोग, शनि प्रदोष व्रत होने से भक्तों पर बरस रही विशेष कृपा, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधान

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Published : Feb 18, 2023, 7:51 AM IST

हमारे धर्म में व्रतों को बड़ी महत्ता दी गई है. माना जाता है कि व्रत रखने से सभी तरह के पापों से मुक्ति मिलती है और व्रतधारी रोग मुक्त रहता है. आज महाशिवरात्रि 2023 है और आज के दिन भक्तगढ़ भगवान शिव की पूजा उपासना पूरे श्रद्धा और भक्ति के साथ करते हैं.

Mahashivratri Special
महाशिवरात्रि 2023

करनाल: इस बार महाशिवरात्रि 2023 को विशेष संयोग बना है. आज शिवजी की उपासना के साथ ही शनि प्रदोष व्रत भी है. प्रदोष व्रत कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष यानि महीने में दो बार होता है. आज शनिवार है, भगवान शनि के दिन आज प्रदोष होने से व्रत का फल भी बड़ा मिलता है.हिंदू धर्म में त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखकर भगवान को प्रसन्न किया जाता है. संतान सुख की प्राप्ति के लिए इस व्रत को खास माना गया है.लंबे समय से की गई आपकी तपस्या शीघ्र फलीभूत होती है जब आप त्रयोदशी व्रत रखते हैं.

प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त: पंडित विश्वनाथ ने बताया कि हिंदू पंचांग के मुताबिक प्रदोष व्रत रखने के लिए शुभ मुहुर्त फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि है. इस व्रत के समापन की बात करें तो शनिवार शाम 8 बजकर 2 मिनट पर इसका समापन किया जाएागा.

प्रदोष व्रत का महत्व: हमारे शास्त्रों में प्रदोष व्रत की महिमा का बखान किया गया है. प्रदोष व्रत रखने से भगवान बाघाम्बर को अतिशीघ्र खुश किया जा सकता है. साथ ही आपके सारे कार्य बिना किसी विघ्न बाधा के संपन्न हो जाते हैं. माना जाता है कि अगर कोई भक्त प्रदोष व्रत रखता है तो इसका फल गाय माता को दान करने जितना ही माना जाता है. प्रदोष व्रत की महिमा के बारे में भगवान शिव ने माता सती को बताया था. इसके बाद महर्षि वेदव्यास ने सूत जी महाराज को प्रदोष व्रत के बारे में बताया था. इसके बाद सूत जी महाराज ने शौनकादि ऋषियों को व्रत के बारे में बताया. इसी तरह सभी जगह व्रत के महत्व का विस्तार हो गया. सूत जी महाराज कहते हैं कि इस व्रत का पूजन शाम के समय किया जाना शुभ माना जाता है. बहुत से मंदिरों में शाम के समय प्रदोष मंत्रों का जाप किया जाता है.

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प्रदोष व्रत की विधि: व्रतधारी त्रयोदशी तिथि के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठ जाएं. इसके बाद स्नान कर स्वच्छ कपड़े पहने. पूजन करते समय अक्षत. बेलपत्र, गंगाजल, धूप, दीप और मिष्ठान से भगवान शिव की पूजा करें.कहा जाता है कि प्रदोष व्रत में भोजन नहीं किया जाता है. सारा व्रत रखें और शाम को एक बार फिर स्नान करने के बाद श्वेत रंग के वस्त्र धारण करें. सारा दिन ऊँ नम: शिवाय का जाप करते रहें. शाम को ब्राम्हणों को भोजन अवश्य कराएं फिर आप अपना व्रत खोल दें. इस तरह से पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ भगवान शिव का व्रत रखने वाले की हर मनोकामना पूर्ण होती है और भगवान भोले की कृपा हमेशा बनी रहती है.

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