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एक वीडियो ने बदल दी 2 दोस्तों की जिंदगी, घर में मोती की खेती कर कमा रहे लाखों रुपये

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Published : Oct 31, 2021, 2:27 PM IST

Pearl Farming
Pearl Farming

धान, अनाज, फल, फूल और सब्जियों की खेती (Pearl Farming) के बारे में तो हर किसान जानता है. क्या आपको पता है कि मोती की खेती से भी किसान कम लागत में लाखों रुपये का मुनाफा कमा सकते हैं?

करनाल: एक वीडियो ने कुरुक्षेत्र में रहने वाले दो दोस्तों की जिंदगी बदल दी. उस वीडियो के बाद दोनों दोस्त सालाना लाखों रुपये कमा रहे हैं. दोनों दोस्त पेशे से इंजीनियर हैं, वो किसी कंपनी में काम कर गुजर बरस करते थे, एक दिन उन्होंने इंटरनेट पर एक वीडियो देखा. जिसने दोनों दोस्ती की जिंदगी बदलकर रख दी. दरअसल वीडियो में दोनों ने मोती की खेती (Pearl Farming) के बारे में देखा. जिसके बाद दोनों के मन में मोती की खेती को लेकर जिज्ञासा पैदा हुई. पहले दोनों भुवनेश्वर मोती की खेती की ट्रेनिंग लेने गए.

इसके बाद उन्होंने खुद मोती की खेती करनी शुरू (Pearl Farming Kurukshetra) कर दी. सुरेंद्र ने बताया कि पहले वो एक फैक्ट्री में मात्र 10 हजार रुपये की तनख्वाह पर काम करते थे. एक दिन सोशल मीडिया पर उन्होंने मोतियों की खेती से जुड़े वीडियो को देखा. जिसके बाद उन्होंने भी मोती की खेती करने की ठान ली. पहले वो भुनेश्वर गए जहां उन्होंने खेती करने के लिए प्रशिक्षण लिया. कुछ जानकारी इंटरनेट से जुटाने के बाद में उन्होंने अपने साथी के साथ मिलकर घर में ही छोटे स्तर पर मोती की खेती शुरू की.

एक वीडियो ने बदल दी 2 दोस्तों की जिंदगी

लगभग 12 महीने की खेती के बाद दोनों पार्टनर को लगभग चार लाख का मुनाफा हुआ. इसके बाद दोनों के घर में बने टैंकों की क्षमता को बढ़ा दिया. अब उन्होंने मोतियों के चार फार्म बना लिए हैं. साथ ही अंडमान निकोबार में भी इन्होंने दो फार्म बनाए हुए हैं. जहां से वो गोल मोती की खेती करते हैं.

Pearl Farming
मोती की खेती को आप घर में शुरू कर सकते हैं.

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उन्होंने बताया कि इस खेती के लिए उन्हें ज्यादा लेबर की जरूरत नहीं पड़ती. वो दोनों ही मिलकर 50000 की खेती कर लेते हैं. जब मोती तैयार हो जाता है तो उसे बेचने के लिए सूरत हैदराबाद जैसे शहरों में भेजना पड़ता है. राजेश ने बताया कि मोतियों के लिए सीप की देखभाल करनी पड़ती है. सीप की सर्जरी उस वक्त की जाती है जब वो मुंह खोलती है और उसके अंदर एक सांचा डाल दिया जाता है. जिसे मोती उस सांचे के आकार का निकलता है.

Pearl Farming
एक सीप की बनावट कुछ इस तरीके की होती है.

इसके लिए पानी में टीडीएस की मात्रा 400 से 500 के बीच होनी चाहिए, लगभग 2 से 3 महीने के बाद टैंक का पानी बदल दिया जाता है और 12 से 13 महीने के बाद इसे मोती तैयार हो जाता है. राजेश ने बताया कि जब सीप को लेकर आया था तो पहले 15 दिन बहुत ज्यादा ध्यान देना पड़ता है और उन्हें ट्रीटमेंट देना पड़ता है. 1000 सीप के साथ कोई भी किसान इस काम को शुरू कर सकता है. शुरुआती समय में किसान को थोड़े पैसों के साथ शुरू करना चाहिए और जैसे-जैसे काम सीख जाता है वैसे वैसे आगे काम बढ़ाना चाहिए. मौजूदा समय में खेतों की संख्या घटती जा रही है.

Pearl Farming
इस तरह से पानी के टैंक में सीप को रखा जाता है.

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ऐसे में छोटे किसानों के लिए ये एक अच्छा विकल्प है. जिसमें कम पैसे लगाकर अच्छा पैसा कोई भी व्यक्ति कमा सकता है. सबसे बड़ी बात ये है कि इसमें ज्यादा जगह की जरूरत नहीं होती. एक घर में भी कोई व्यक्ति ये काम शुरू कर सकता है. बाजार में मोती की कीमत अलग-अलग होती है. डिजाइन वाला मोती पर पीस बिकता है. जबकी दूसरे मोती मार्केट रेट के हिसाब से बिकते हैं. 1000 सीप को लगाने के लिए लगभग 50 हजार का खर्च आएगा. एक साल के अंदर किसान इससे ढाई लाख रुपये तक कमा सकता है.

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