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Millet Year 2023: मोटे अनाज को लेकर तैयारी में जुटा करनाल का राष्ट्रीय गेहूं और जौ संस्थान, लोगों तक श्री अन्न पहुंचाने की तैयारी

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Published : Feb 7, 2023, 9:40 PM IST

Updated : Feb 8, 2023, 1:08 PM IST

Research on millets at ICAR Indian Institute of Wheat and Barley Research center Karnal
मोटे अनाज को लेकर तैयारी में जुटा करनाल का राष्ट्रीय गेहूं और जौ संस्थान

केंद्र सरकार ने साल 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स अनाज घोषित (International Millet Year 2023) किया है. इसी को लेकर साल 2023-24 के बजट में 1 फरवरो को वित्त मंत्री निर्मला सीतारण ने कई बड़े ऐलान किये हैं. इसी मोटे अनाज को लोकप्रिय बनाने में भारत सबसे आगे है.

मोटे अनाज को लेकर तैयारी में जुटा करनाल का राष्ट्रीय गेहूं और जौ संस्थान.

करनाल: 1 फरवरी 2023 को केंद्रीय वित्तमंत्री ने बजट पेश किया था. इस दौरान बजट भाषण में निर्मला सीतारमण ने मिलेट्स यानी मोटे अनाज को श्री अन्न नाम दिया है. श्री अन्न को लोकप्रिय बनाने के कार्यक्रमों में भारत सबसे आगे है. भारतीय मिलेट्स अनुसंधान केंद्र, हैदराबाद को उत्कृष्ता केंद्र के रूप में बढ़ावा भी देगा. जिससे वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी श्रेष्ठ कार्य कर सकें. यह संस्थान मोटे अनाज की हर फसल पर नई-नई रिसर्च करके नए बीज तैयार कर रही है. ताकि आने वाले समय में देश में मोटे अनाज के क्षेत्रफल का दायरा बढ़ाया जाए. किसानों तक बेहतर उत्पादन देने वाले बीज पहुंच सके. आपको बता दें कि UNA द्वारा इंटरनेशनल मिलेट्स ईयर साल 2023 घोषित किया गया है. मिलेट्स में ऐसा क्या है जिसके कारण इसको श्री अन्न या सुपर फूड कहा जाता है और ये सभी के लिए क्यों फायदेमंद है.

श्री अन्न या मिलेट्स क्या है: सिंधु घाटी सभ्यता के दौरान श्री अन्न की खपत को लेकर कई साक्ष्य बताते हैं, कि यह भारत में पैदा की जाने वाली पहली फसलों में से एक थी. इसका इतिहास पांच हजार वर्ष से भी पहले का है. इसे गरीबों का अनाज भी कहा जाता है. मिलेट्स सेहत के लिए भी काफी अच्छा होता है. मिलेट्स सिर्फ प्रोटीन और फाइबर ही नहीं देते बल्कि, शरीर में उत्पन्न हो रहे रोगों का निदान भी करते हैं.

श्री अन्न सुपर फूड क्यों है?: दरअसल, श्री अन्न में पोषक तत्व ज्यादा होते हैं. इसके साथ ही बीटा-कैरोटीन, नाइयासिन, विटामिन-बी6, फोलिक एसिड, पोटैशियम, मैग्नीशियम, जस्ता आदि से ये अनाज भरपूर होते हैं. इसमें फाइबर यानी रेशा मौजूद होता है, जिससे पाचन दुरुस्त होता है. इस तरह इसको खाने वाले को कब्ज की समस्या नहीं होती. इनका सेवन करने से हड्डियों को मजबूती मिलती है. श्री अन्न डायबिटीज और दिल के रोगियों के लिए भी उत्तम माना जाता है. इन्हीं सब कारणों से श्री अन्न को सुपरफूड भी कहा जाता है.

International Millet Year 2023
मोटे अनाज उगाने में जुटे हरियाणा के भी किसान.

श्री अन्न में क्या-क्या शामिल है?: आपको बता दें कि इसमें ज्वार शामिल है जो ग्लूटेन फ्री और प्रोटीन का अच्छा सोर्स है. साथ ही ये डायबिटीज के मरीजों के लिए बढ़िया भोजन है. इसमें बाजरा है, जिसमें विटामिन B6, फॉलिक एसिड भी मौजूद है जो खून की कमी को दूर करने में सहायक होता है. ऐसे ही रागी है जो नेचुरल कैल्शियम का सोर्स है और बढ़ते बच्चों तथा बुजुर्गों की बोर्नस को मजबूत करने में मदद करता है. सांवा या सामा जिसमें फाइबर और आयरन भरपूर मात्रा में होता है. एसिडिटी, कब्ज और खून की कमी को दूर करने में सक्षम होता है. वहीं, इसमें कंगनी भी शामिल है जो हमारे शरीर में अनावश्यक पदार्थ को जमने से रोकता है. साथ ही ब्लड प्रेशर और बेड कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने में सहायक होता है.

इसी तरह कोदो भी मिलेट्स में शामिल हे जो फाइबर से भरपूर है और घेंघा रोग, रुसी की समस्या पर से संबंधित और बवासीर में फायदेमंद है. कुकटी भी है जो एंटीऑक्सीडेंट का एक अच्छा स्रोत है, इसमें मौजूद मैग्नीशियम हेल्दी हार्ट और कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करता है. कट्टू भी शामिल है जो अस्थमा के रोगियों के लिये फायदेमंद है. इसमें मौजूद अमीनो एसिड बाल झड़ने से रोकता है. ये समस्या भी आज के दौर में काफी ज्यादा देखने को मिल रही है जिसके शिकार ज्यादार युवा हो रहे हैं.

मोटे अनाज की खेती करना भी आसान: पीएम मोदी भी चाहते हैं कि श्री अन्न या भारत मोटे अनाज का वैश्विक केंद्र बने और अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष 2023 को ‘जन आंदोलन’ का रूप दिया जाए. भारत दुनिया को मोटा अनाज के लाभ बताने-समझाने में अहम भूमिका निभा रहा है. हमारे देश में एशिया का लगभग 80 प्रतिशत और विश्व का 20 प्रतिशत मोटा अनाज पैदा होता है. विश्व में सबसे ज्यादा मोटा अनाज पैदा करने वाला एकमात्र देश भारत है. मोटे अनाज की खेती कम लागत और कम पानी में हो जाती है. इस फसल में रोग भी कम लगते हैं, जिससे कीटनाशकों का उपयोग भी ना के बराबर ही होता है. चूंकि, यह असिंचित भूमि पर आसानी से हो सकता है. यदि मांग बढ़ेगी तो भारत में इसकी पैदावार कई गुना बढ़ाई जा सकती है.

किसानों की आय में होगी बढ़ोतरी: श्री अन्न या मोटे अनाज की खेती में कम मेहनत लगती है और पानी की भी कम ही जरूरत होती है. यह ऐसा अन्न है जो बिना सिंचाई और बिना खाद के पैदा किया जा सकता है. भारत की कुल कृषि भूमि में मात्र 25-30 फीसद ही सिंचित या अर्धसिंचित है. जब श्री अन्न की मांग बढ़ेगी तो बाजार में इनका दाम बढ़ेगा, तभी असंचित भूमि वाले गरीब किसानों की आय भी बढ़ेगी. भारत श्री अन्न का सबसे बड़ा उत्पादक और दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है. वर्तमान में हमारे देश से सबसे ज्यादा बाजरा, रागी, कनेरी, ज्वार और कुट्‌टू एक्सपोर्ट किया जाता है. हम इन्हें अमेरिका, UAE, ब्रिटेन, नेपाल, सऊदी अरब, यमन, लीबिया, ट्यूनीशिया, ओमान और मिस्र सप्लाई करते हैं.

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वहीं, डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह भारतीय गेहूं व जौ अनुसंधान संस्थान के निदेशक ने बताया कि आने वाले समय में हरियाणा और भारत में मोटे अनाज का दायरा बढ़ाने जा रहा है. हमारे भारत के संस्थान मोटे अनाज की नई किस्मों को इजाद करके आने वाले समय में अच्छा उत्पादन देने वाली किस्में तैयार करेंगे. जिससे मोटे अनाज की फसल का दायरा बढ़ेगा व किसानों को अच्छा उत्पादन मिलेगा. वहीं, भारत सरकार की तरफ से अब किसानों को मोटे अनाज लगाने के प्रति जागरूक करने के लिए अभियान चलाया जाएगा. जिसे मोटे अनाज की खेती करने के लिए किसान आगे आए और मोटा अनाज पैदा करके अच्छा मुनाफा कमाएं.

उन्होंने कहा कि मोटे अनाज और गेहूं के आटे को मिलाकर रोटी बना सकते हैं, या फिर खिचड़ी, दलिया इत्यादि बना सकता है. भारतीय गेहूं व जौ अनुसंधान संस्थान करनाल ने भी कई मोटे अनाजों के बिस्किट बनाए हुए हैं. तो ऐसे में आम लोग भी अपने आप को हेल्थी रखने के लिए मोटे आनाज से कई प्रकार के व्यंजन बना सकते हैं और अपने आप को स्वस्थ रख सकते हैं.

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Last Updated :Feb 8, 2023, 1:08 PM IST
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