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चाइनीज सामान पर प्रतिबंध के बाद बढ़ी दीयों की डिमांड, पर्यावरण को लेकर जागरुक हुए लोग

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Published : Oct 23, 2021, 12:47 PM IST

Demand for diyas increased on Diwali
Demand for diyas increased on Diwali

कोरोना महामारी के बाद से कुम्हारी का काम लगभग बंद हो गया था, लेकिन इस बार बढ़ती दीयों की डिमांड (Demand for diyas increased on Diwali) से फिर से कुम्हारों का रोजगार पटरी पर लौटने लगा है.

कैथल: चाइनीज सामान पर प्रतिबंध (Ban On Chinese Goods) के बाद इस बार की दिवाली कुम्हारों के लिए नई रोशनी लेकर आई है. लोगों का रुझान अब मिट्टी से बने दियों की तरफ बढ़ रहा है. जिससे कुम्हारों की चाक की रफ्तार तेज हो गई है. कोरोना महामारी के बाद से कुम्हारी का काम लगभग बंद हो गया था, लेकिन इस बार बढ़ती दीयों की डिमांड (Demand for diyas increased on Diwali) से फिर से कुम्हारों का रोजगार पटरी पर लौटने लगा है.

इन कुम्हारों को उम्मीद है कि अब उनका पुश्तैनी कारोबार फिर से लौट आएगा. इसकी एक वजह ये भी है कि कोरोना की दूसरी लहर के बाद से लोग पर्यावरण को लेकर सचेत भी हुए हैं. इसी वजह से लोग अब मिट्टी से बने दीयों की जमकर खरीदारी कर रहे हैं. कुम्हार विद्युत चाक से दिवाली के लिए मिट्टी के दीये और बच्चों के खिलौने बनाने में जुटे हैं. कुम्हार के मुताबिक अभी से ही उनके पास दीयों को लेकर ऑर्डर मिल रहे हैं. जिससे वो काफी खुश हैं.

चाइनीज सामान पर प्रतिबंध के बाद बढ़ी दीयों की डिमांड

कुम्हारों ने उम्मीद जताई कि इस बार उनकी दिवाली अंधेरे में नहीं मनेगी. चाइनीज झालरों और मोमबत्तियों की चकाचौंध ने दीयों के प्रकाश को गुमनामी के अंधेरे में धकेल दिया था. लेकिन अब दोबारा से लोगों में दीयों का क्रेज बढ़ रहा है. कोरोना की दूसरी लहर के बाद से लोगों में पर्यावरण को लेकर जागरुकता बढ़ी है. शायद यही वजह की बड़ी संख्या में लोग दीयों को खरीद रहे हैं.

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गांवों में तो सदियों से इस पारंपरिक कला का अलग ही महत्व रहा है. इस उद्योग से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में पूरा सहयोग मिलता रहा है. इन कलाकारों को गांवों में रोजगार के अवसर भी खूब मिल रहे हैं. पिछले कई वर्षों से लोगों की सोच में खासा बदलाव आया और एक बार फिर गांव की लुप्त होती इस कुम्हारी कला के पटरी पर लौटने के संकेत मिलने लगे. कुम्हारी कला से निर्मित खिलौने, दियाली, सुराही व अन्य मिट्टी के बर्तनों की मांग बढ़ी तो कुम्हारों के चेहरे खिल गए हैं.

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