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जींद की आबोहवा में घुल रहा जहर, क्या पराली प्रबंधन में विफल रही सरकार? देखिए ये रिपोर्ट

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Published : Oct 30, 2020, 10:35 AM IST

पराली जलने से जींद में प्रदूषण गंभीर स्तर पर पहुंचा है. जैसे-जैसे जिले में पराली जलाने के मामले बढ़ रहे हैं. वैसे-वैसे जींद की आबोहवा भी प्रदूषित होती जा रही है. साफ जाहिर है कि पराली प्रबंधन में हरियाणा सरकार विफल हो रही है.

pollution level reached to dangerous level in jind due to stubble burning
जींद की दूषित आबोहवा के लिए जिम्मेदार कौन?

जींद: भले ही हरियाणा सरकार ने पराली जलाने पर जुर्माने का प्रावधान किया है, लेकिन फिर भी प्रदेश के किसान धड़ल्ले से पराली जा रहे हैं. जिस वजह प्रदूषण लेवल खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है, और ये दर्शाता है कि सरकार कहीं ना कहीं पराली प्रबंधन में विफल हो रही है. पराली के इस सीजन में 25 सितंबर से लेकर 29 अक्टूबर तक पूरे प्रदेश में 4931 जगहों पर सक्रिय तरीके से आग लगाई गई है. जिसमें से अकेले जींद जिले में 329 जगहों पर आग लगी.

पराली जलाने में जींद का नरवाना क्षेत्र सबसे आगे है. इसके अलावा अब तक कृषि विभाग जींद के किसानों से 2.27 लाख रुपये की जुर्माना राशि वसूल चुका है. जब इस बारे में किसानों से बात की गई तो उन्होंने कहा कि सरकार कहती तो है कि पराली खरीद रहे हैं, लेकिन असल में सरकार कुछ नहीं कर रही है. कुछ गांव को छोड़ दें तो ज्यादातर गांव ऐसे हैं जहां के किसानों को सरकार की योजनाओं के बारे में पता ही नहीं है.

जींद की आबोहवा में घुल रहा जहर, क्या सिर्फ पराली और किसान हैं जिम्मेदार?

किसानों ने कहा कि उनकी फसलें तो बिक नहीं रही है, पराली कौन खरीदेगा? एक एकड़ में करीब 3 ट्रॉली पराली बनती है. पशु इसे खाते नहीं है. जलाने के अलावा कोई और विकल्प नहीं है.

पराली जलने से जींद में प्रदूषण भी गंभीर स्तर पर पहुंचा है. बुधवार को जिले का एयर क्वालिटी इंडेक्स 345 दर्ज किया गया. इसी तरह पीएम 2.5 भी बढ़कर 240 पर पहुंच गया. अगर पिछले कुछ दिनों के आंकड़ों पर गौर करें तो

pollution level reached to dangerous level in jind due to stubble burning
जींद में खतरनाक स्तर पर पहुंचा प्रदूषण

जब इस बारे में हरियाणा कृषि अनुसंधान विभाग के निदेशक से बात की गई तो उन्होंने कहा कि पराली प्रबंध के लिए कई की स्कीम चलाई गई हैं. बहुत भारी संख्या में सब्सिडी के साथ कृषि यंत्र दिए गए हैं, ताकि किसान पराली ना जलाए. किसानों को पराली प्रबंधन के लिए ट्रेनिंग दी गई है. पिछली बार जहां रेड जोन था, उन 332 गांवों में जा जाकर किसानों को समझाया गया है.

pollution level reached to dangerous level in jind due to stubble burning
AQI के मानक

ये भी पढ़िए: पराली जलाने के मामलों में किसान नहीं सरकारी पराली प्रबंधन जिम्मेदार!

कुल मिलाकर कहा ये जा सकता है कि सरकार पराली प्रबंधन में नाकाम रही है और सरकार की ओर से पराली प्रबंधन की जो योजनाएं शुरू की गई हैं. उन्हें हर गांव तक पहुंचाना जरूरी है, क्योंकि कृषि यंत्र कम हैं और पराली जलाने वाले किसान ज्यादा. ऐसे में सरकार को जरूरत है कि कम खर्च और हर किसान को ध्यान में रखकर फसल अवशेष प्रबंधन का विकल्प निकाला जाए. नहीं तो किसान इसी तरह पराली जलाते रहेंगे और हवा में जहर घुलता रहेगा.

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