हरियाणा: किसानों ने ओपी चौटाला को नहीं दिया माइक, तिलमिलाकर किसान को मारी छड़ी!

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Published : Jul 25, 2021, 4:55 PM IST

farmers protest khadka toll plaza

किसान आंदोलन का समर्थन करने खटकड़ टोल प्लाजा पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री ओपी चौटाला को किसानों ने बोलने के लिए माइक नहीं दिया. जिसके बाद ओपी चौटाला को बिना जनसभा किए ही बेरंग लौटना पड़ा. घरनास्थल से लौटते वक्त ओपी चौटाला के चेहरे पर गुस्सा साफ तौर पर देखा जा सकता था.

जींद: जेबीटी भर्ती घोटाले (JBT Recruitment Scam) में सजा पूरी करने के बाद हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री एक बार फिर एक्टिव मोड में नजर आ रहे हैं. वो बीते कई दिनों से किसानों के धरने पर जाकर किसान आंदोलन को अपना समर्थन दे रहे हैं. इसी कड़ी में ओपी चौटाला जींद (Om Prakash Chautala Farmers Protest) पहुंचे. जहां किसानों ने उन्हें बोलने के लिए माइक तक नहीं दिया.

दरअसल, कृषि कानूनों के खिलाफ जींद के खटकड़ टोल प्लाजा पर किसानों का धरना लगातार जारी है. इसी धरने में शामिल होने रविवार को ओपी चौटाला को आना था, लेकिन किसानों की ओर से पहले ही ऐलान कर दिया गया था कि वो ओपी चौटाला को ना तो मंच साझा करने देंगे और ना ही उन्हें बोलने के लिए माइक देंगे.

किसानों ने ओपी चौटाला को बोलने के लिए नहीं दिया माइक, लौटे बेरंग

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किसानों के मना करने के बाद भी ओपी चौटाला रविवार को खटकड़ टोल प्लाजा पर पहुंचे, जहां किसानों ने उन्हें बोलने का मौका तक नहीं दिया. ओपी चौटाला माइक मांगते रह गए, लेकिन किसानों ने उन्हें माइक नहीं दिया. ओपी चौटाला ने यहां तक कहा कि एक बार जनता से पूछ लो कि माइक देना है कि नहीं, लेकिन इसके बाद भी किसान अपनी फैसले पर अड़े रहे.

इस दौरान ओपी चौटाला ने किसान नेताओं से कई बार माइक मांगा, लेकिन किसानों ने माइक नहीं दिया. एक वक्त तो ऐसा आया कि चौटाला ने कहा कि एक सेकेंड के लिए ही माइक दे दो, लेकिन भी किसान नहीं माने. इसके बाद गुस्से में आकर ओपी चौटाला किसानों के धरने से बैंरग लौटने पर मजबूर हुए.

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जब इस बारे में ओपी चौटाला से बात की तो उन्होंने अपना गुस्सा मीडिया कर्मियों पर दिखाया. उन्होंने कहा कि अब यहां क्या करने आए हो, तब वहां तुम लोगों ने क्यों नहीं कुछ कहा.

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उधर, आंदोलन की अगुवाई कर रहे किसान नेता सतबीर पहलवान ने आरोप लगाया कि जाते-जाते चौटाला गुस्से में उसके पांव पर डोगा (छड़ी) भी मार गए. किसान नेता ने कहा कि आंदोलन के शुरू होने पर ही ये फैसला लिया गया था कि किसी भी राजनेता को मंच पर नहीं आने दिया जाएगा और ना ही किसी को माइक दिया जाएगा. अगर हम राजनेताओं को माइक देंगे तो हजारों राजनीति मेंढ़क यहां कूद जाएंगे और उनका आंदोलन फेल हो जाएगा.

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