झज्जर: हरियाणा के झज्जर में मंगलवार को सब्जी मंडी के आढ़ती माशाखोर मार्केट कमेटी के कार्यालय में अपनी समस्याओं (problem of jobbers in jhajjar) को लेकर पहुंचे. इनकी समस्याओं को सुनने के लिए सरकार की ओर से एक टीम पहुंची थी. टीम के सदस्य सौरभ चौधरी ने बताया कि दोनों पक्षों के वाद-विवाद को सुनने के बाद कहा गया कि उनकी जो भी बातें हैं उन पर अमल किया जाएगा और जो भी निष्पक्ष कार्रवाई होगी वह अमल में लाई जाएगी.
आढ़ती एसोसिएशन के पूर्व प्रधान सुनील यादव ने बताया कि करोना काल के समय सरकार द्वारा माशाखोरो को सब्जी बेचने के लिए प्लॉट आवंटित किए गए थे. जिसके लिए माशाखोरो को 50 रुपये प्रतिदिन मार्केट कमेटी को किराए के तौर पर देने थे. जिसके बाद माशाखोरो के लिए मार्केट कमेटी द्वारा करीब 350 प्लॉट काटे गए थे. उस प्लॉट के दायरे में ही माशाखोर अपनी सब्जी बेच सकता था. इसके बाद जब आढ़ती के पास किसान अपने माल को लेकर आते थे तो उनके लिए जगह कम पड़ने लगी. जिसके बाद मामला बिगड़ने लगा.
माशाखोरो के प्रधान सुंदर ने बताया कि वह सरकार की गाइडलाइन के हिसाब से अपनी जगह पर सही बैठे हैं. उन्होंने कहा कि वो अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं. सरकार ने उनको प्लॉट आवंटित किए हैं जिसके दायरे में बैठकर अपनी सब्जी बेच रहे हैं. अपने प्लॉट का किराया भी समय पर चुका रहे हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि आढ़तियों द्वारा गलत तरीके से प्लॉटों पर कब्जा किया हुआ है. जो मार्किट कमेटी द्वारा आढ़तियों को जगह दी गई है उस पर वह अपने चहेतों को भी बिठाकर सब्जी बेच रहे हैं जो कि नाजायज है.
ये भी पढ़ें- यमुनानगर के लोहगढ़ में बनेगा बाबा बंदा सिंह बहादुर संग्रहालय, पर्यटन के रूप में विकसित करेगी सरकार
आढ़ती एसोसिएशन के प्रधान नरेंद्र ने बताया कि उनके पास जब किसानों का माल आता है. तो उसके लिए जगह कम पड़ जाती है. उन्हें किसानों के माल के लिए उचित जगह और एक समय का दायरा दिया जाए जिससे कि वह किसानों की फसल आसानी से भेज सकें. इसी के लिए आज वह अधिकारियों से मिलने आए हैं साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि हम माशाखोरो के खिलाफ नहीं है. क्योंकि माशाखोरो के बिना हमारा माल बिक नहीं सकता.
ये भी पढ़ें- भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरनाम सिंह का खुला पत्र, एसकेएम नेताओं पर लगाए गंभीर आरोप
आपको बता दें कि किसान, माशा खोर, और आढ़ती एक ही कड़ी है. क्योंकि किसान अपना माल लेकर आढ़ती के पास आता है और आढ़ती अपना माल माशाखोर को बेचता है. माशाखोर उसी माल को आम आदमी तक पहुंचाता है. इसीलिए इन तीनों कड़ियों को अलग नहीं किया जा सकता. सरकार को इस बारे में सोचना होगा क्योंकि सभी अपने परिवार के पालन-पोषण के लिए यह कार्य कर रहे हैं.