ETV Bharat / state

कहानी जोरा सिंह कीः 15 साल किया नशा, अब संवार चुके हैं 40 नौजवानों की जिंदगी

author img

By

Published : Jan 4, 2020, 4:05 PM IST

फतेहाबहाद के जोरा सिंह नशा मुक्ति केंद्र के जरिए करीब 40 लोगों की जिंदगी बचा चुके हैं. वो फ्री में इनका इलाज करते हैं. उनका मानना है कि नशा करने वालों के पास पैसे नहीं होते.

zora singh save life of 40 drug addicted people
zora singh save life of 40 drug addicted people

फतेहाबाद: गलत संगत में आकर नशे की लत में फंसना दुखद पहलू है. इसमें मिसाल वहीं लोग बनते हैं जो हौसला और जज्बा नहीं छोड़ते. हौसला जीने का और जज्बा लड़ने का. ऐसी ही मिसाल पेश की है, जोरा सिंह ने जो कुछ साल पहले खुद नशे की दलदल में फंस गए थे.

जोरा सिंह की नशे के खिलाफ मुहिम

जोरा सिंह नशा मुक्ति केंद्र के जरिए करीब 40 लोगों की जिंदगी बचा चुके हैं. जोरा सिंह का कहना है कि वो फ्री में इनका इलाज करते हैं क्योंकि ज्यादातर नशा करने वालों के पास पैसे नहीं होते. इनके नशा मुक्ति केंद्र में इलाज करवा रहे पीड़ितों ने बताया कि किस तरीके से वो नॉर्मल जिंदगी की ओर कदम रख रहे हैं.

15 साल किया नशा, अब संवार चुके हैं 40 नौजवानों की जिंदगी, पीड़ितों ने भी कहा- नशे को ना

कर चुके हैं 40 लोगों का इलाज

कहानी शुरु होती है अधूरी जानकारी, गलत संगत और शौक से, जो बाद में जानलेवा बन जाती है, सिर्फ इंसान ही नहीं, नशा पूरे परिवार को बर्बाद कर देता है. जोरा सिंह के नशा केंद्र में इलाज करवाने वाले पीड़ितों का कहना है कि उनका यहां अच्छे से ख्याल रखा जाता है. अब वो पहले के मुकाबले ज्यादा अच्छा महसूस कर रहे हैं. पीडितों के मुताबिक वो चहाते ही नशे को ना कहकर सामान्य जिंदगी जिए.

हेरोइन का नशा करने वालों की संख्या ज्यादा
यहां काम करने वाले चिकित्सक बताते हैं कि नशे को छोड़ना इच्छाशक्ति पर निर्भर करता है. कुछ तो ऐसे भी केस आए हैं. जिन्होंने बहुत जल्द प्रगति करते हुए नशे को ना कहा है. चिकित्सक के मुताबिक ज्यादातर लोग हेरोइन का सेवन करते हैं. सिर्फ लड़के ही नहीं बल्कि लड़कियां भी नशे का शिकार हो रही हैं. वो भी शौकिया तौर पर नशे का सेवन कर रही हैं

सकारात्मक परिणाम ला रही है जोरा सिंह की मुहिम
जोरा सिंह भी 15 साल पहले शौक की वजह से नशे के आदी हो गए थे. जैसे-तैसे उन्होंने सामाजिक संस्थाओं की मदद से उन्होंने नशे को छोड़ा. जिसके बाद उन्होंने फैसला किया वो युवाओं को नशे से दूर रखने की कोशिश करेंगे. इसलिए उन्होंने नशा मुक्ति केंद्र की शुरुआत की और उनकी ये मुहिम सकारात्मक परिणाम ला रही है.

ये भी पढ़ें- नशे को रोकने के लिए अब सिरसा के गावों को गोद लेगी पुलिस, जगहों को चिन्हित कर लगाए शिकायत बॉक्स

सिर्फ पुरुष और युवा ही नहीं, बल्कि लड़कियां भी तेजी से ड्रग्स का शिकार हो रही हैं. जिसको रोकने के लिए जोरा सिंह ने मुहिम चलाई है. जोरा सिंह के मुताबिक वो 40 जिंदगियां बचा चुके हैं और उनकी ये मुहिम जारी रहेगी.

Intro:विशेष - केन्द्र में ईलाज करवा रहे व्यक्तियों के चेहरे जो कैमरे के सामने है उन्हें ना दिखाए उन्हें धुंधला कर दिजिए ।

किसी गलत संगत में फंसना दुखद पहलू है पर इसमें हौसले की कहानी वही गढते है जो इससे न केवल खुद निकलते है बल्कि इसके बाद दूसरे लोगों के लिए भी मदद का कार्य करते है। कुछ ऐसा ही कार्य कर रहे है टोहाना के गांव म्म्मयोद में जोरा सिंह जो किसी समय में खुद को नशे की दलदल में फंसा हुआ था पर आज वो खुद एक सुधार गृह चलाकर नशे में फंसे लोगों को जिन्दगी जीने का हौसला दे रहा है। उसके द्वारा बनाए गए हेल्प नशा मुक्ति व पुर्नवास केन्द्र में मनोविज्ञान के साथ दवाओं की मदद से भयंकर से भयंकर नशे से युवाओं को छुटकारा दिलवाया जा रहा है। Body: पंजाब से सटे टोहाना उपमण्डल में पिछले कुछ वर्षो से नशे से पंाव पसारे तो नशा यहां के युवाओं की जवानी को खाने लगा। हरियाणा के जिला फतेहाबाद टोहाना उपमण्डल के गांव का युवा जोरा सिंह भी नशे की गिरफत में इसी दौरान आ गया बकौल जोरा ङ्क्षसह वो 15 साल तक इस नशे की दलदल में तडफे जिसके बाद किसी की मदद से इसे बाहर निकले। नशे से बाहर आकर उन्हे हौसला मिला तो उन्होंने सोचा अपने जैसे और नौजवानों के बारे में व अस्तितव में आया हेल्प नशा मुक्ति व पुर्नवास केन्द। जिसमें दर्जनों युवा आकर नशे को ना कह चुके है व दर्जनों अभी ईलाज ले रहे है। जोरा सिंह बताते है कि जहां उनके पास पहले बस की टिकट के लिए पैसे नहीं होते थे आज नशे को ना कहकर वो व्यापार में बस वाले हो गए है।

इस केन्द्र में ईलाज के लिए आए युवाओं को चिकित्सक की देखरेख्ख व मनोविज्ञान के तहत ईलाज दिया जाता है। उसकी शारिरिक व मानसिक स्थिती का समझा जाता है। ताकि उसका उचित ईलाज हो सके।

मुलाकात में यहां पर ईलाज ले रहे युवाओं ने बताया कि युवा सुबह से शाम तक एक सक्रिय गतिविधी से जुडे हुए नजर आते है। वो सुबह प्रार्थाना से दिन की शुरूवात करते है, इस बीच शारिरिक व्यायाम, आपसी परिचर्चा इत्यिादी का दौर चलता है।

यहां कार्यरत चिकित्सक बताते है असल में नशे को छोडना व्यक्ति-व्यक्ति की इच्छाशक्ति पर भी निर्भर करता है कुछ यहां पर ऐसे केस आए है जिन्होनें आश्र्चयजनक रूप से प्रगति करते हुए नशे को ना कहा है। वो बताते है कि नशे की दलदल में किसी भ्भी उम्र का व्यक्ति फंस सकता है। इसमें पुरूषों की तदाद ज्यादा है पर महिलाएं भी इसकी गिरफत में आ रही है खासतौर पर युवा लड़कियां
जो बुरी संगत का शिकार हो जाती है जिन्हें बाद में कोई रास्ता नजर नहीं आता वो लंबे समय तक इसका शिकार रहती है।

किस तरह का नशा बना रहा है शिकार -
वार्ता में आया सामने आया कि हिरोईन (जिसे चिटटा भी कहा जाता है)के नशे के ज्यादा मरीज आ रहे है। इसके बाद संखया शराब, मैडीकल या सुल्फा के केस आते है।

जोरा सिंह बताते है कि उनका मकसद ईलाज करना है उनकी कोई तय फिस नहीं है यह केन्द्र सभी के सहयोग से चल रहा है। अभी नशे की लत के शिकार स्थानिय तौर पर झिझक की वजह से ज्यादा नहीं आ रहे। आसपास के गांव में जाकर उनके द्वारा परार्पश शिविर भी लगाए जा रहे है।

Conclusion:बाईट 1- जोरा सिंह संचालक ।
बाईट2 - चिकित्सक।
बाईट3 - ईलाज करवा रहे व्यक्ति ।
vis 1_

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.