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क्या हरियाणा के विकास में रोड़ा बन रहा है NCR? एक्सपर्ट से जानें क्यों सरकार कम करवाना चाहती है दायरा

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Published : Jan 29, 2022, 6:19 PM IST

Updated : Jan 29, 2022, 6:34 PM IST

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क्या हरियाणा के विकास में रोड़ा बन रहा है एनसीआर क्षेत्र?

प्रदेश सरकार कुछ दिनों से हरियाणा में एनसीआर का क्षेत्र (National Capital Region in Haryana) कम करने की मांग कर रही है. सरकार का दावा है कि एनसीआर क्षेत्र की सीमा घटने से प्रदेश के मौजूदा एनसीआर क्षेत्रों में विकास कार्य तेजी से होंगे, लेकिन सरकार के दावों में कितनी सच्चाई है, जानने के लिए पढ़ें ये रिपोर्ट

फरीदाबाद: राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) की सीमा को घटाने की तैयारी की जा रही है. एनसीआर की सीमा घटाने के पीछे मुख्य वजह है रीजनल प्लान-2041. हरियाणा का एक बड़ा हिस्सा रीजनल प्लान-2041 (Regional Plan-2041) के तहत एनसीआर से बाहर हो जाएगा. ऐसे में हरियाणा और एनसीआर क्षेत्र में आने वाले लोग असमंजस की स्थिति में हैं कि अगर वो एनसीआर से बाहर होते हैं तो इससे उनके इलाके और जिंदगी पर क्या फर्क पड़ेगा. ईटीवी भारत हरियाणा की टीम ने इसी मुद्दे को आसानी से समझने के लिए एक्सपर्ट के साथ-साथ आम लोगों के साथ विस्तार से चर्चा की.

NCR में है कितना क्षेत्र: एनसीआर में 4 करोड़ 70 लाख से ज्यादा आबादी रहती है. समूचे एनसीआर में दिल्ली का क्षेत्रफल 1,484 वर्ग किलोमीटर है. देश की राजधानी एनसीआर का 2.9 फीसदी भाग कवर करती है. रीजनल प्लान-2041 के तहत अब राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) की सीमा दिल्ली के राजघाट से 100 किलोमीटर के सर्कुलर दायरे तक तय की जाएगी. राजघाट से चारों ओर 100 किलोमीटर के दायरे में आने वाले शहर या गांव NCR योजना के दायरे में आएंगे. इससे पहले यह सीमा 150 से लेकर 175 किलोमीटर तक है.

क्या हरियाणा के विकास में रोड़ा बन रहा है एनसीआर क्षेत्र? देखिए वीडियो

क्यों कम होना चाहिए NCR का क्षेत्र: हरियाणा सरकार का दावा है कि अगर एनसीआर क्षेत्र कम हो जाता है तो वो अपनी प्लानिंग के अनुसार उस हिस्से की विकास योजनाएं बना पाएगी. हरियाणा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र एनसीआर को तीन तरफ से कवर करता है, ऐसे में हरियाणा का एक बड़ा हिस्सा एनसीआर में शामिल है. वर्तमान में हरियाणा के 14 जिले एनसीआर में शामिल हैं. एनसीआर में शामिल जिलों (Total NCR District in Haryana) में करनाल, जींद, महेंद्रगढ़, चरखी दादरी, भिवानी, पलवल, पानीपत, गुरुग्राम, झज्जर, रेवाड़ी, सोनीपत, रोहतक, नूंह और फरीदाबाद शामिल हैं.

हरियाणा सरकार पहले से ही एनसीआर का दायरा घटाकर सीमा तय करने की मांग करती आ रही थी. हरियाणा सरकार का दावा है कि हरियाणा में एनसीआर क्षेत्रों को नुकसान (Loss Of Ncr Area In Haryana) हो रहा है. सरकार का कहना है कि क्षेत्र में सुवधाएं बेहद खराब हैं. इन्हीं खराब सुविधाओं का हवाला देते हुए हरियाणा सरकार ने एनसीआर प्लानिंग बोर्ड और केंद्र सरकार के सामने यह मांग रखी थी. हरियाणा सरकार ने मांग की थी कि प्रदेश में 100 किलोमीटर से अधिक एनसीआर के क्षेत्र को मुक्त कर दिया जाए. हरियाणा सरकार के मुताबिक जब एनसीआर का गठन हुआ था तो लोगों को लगा था कि उनको सुविधाएं मिलेंगी, लेकिन एनसीआर के मुताबिक लोगों को सुविधाएं नहीं मिल पाई.

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NCR क्षेत्र कम करने की मुख्य मांग: वर्तमान में जब भी एनसीआर प्लानिंग बोर्ड के द्वारा एनसीआर को लेकर किसी भी तरह का कोई फैसला होता है, तो उसका सबसे ज्यादा प्रभाव हरियाणा पर ही पड़ता है क्योंकि हरियाणा के 14 जिलों का एक बड़ा हिस्सा एनसीआर में शामिल है. प्रदूषण को लेकर जब भी कोई आदेश जारी किया जाता है तो एनसीआर के इन 14 जिलों में भी लागू होता है. अब चाहे उस में पराली जलाने को लेकर हो या फिर अन्य किसी प्रकार से होने वाला प्रदूषण हो प्रदूषण के मामले को लेकर शुरू से ही दिल्ली सरकार और हरियाणा सरकार में मतभेद रहा है.

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एनसीआर में आने वाले जिले

एनसीआर में शामिल होने की दूसरी सबसे बड़ी परेशानी हरियाणा के लोगों को यह हो रही है कि जो नियम पुराने वाहनों को लेकर लागू किए गए हैं, हरियाणा में उनका खासा प्रभाव हो रहा है. पेट्रोल और डीजल से चलने वाले पुराने वाहनों की एनसीआर में समय सीमा तय करने और वाहनों के रजिस्ट्रेशन को खत्म करने को लेकर हरियाणा के सामने परेशानी बनी हुई थी. जिसको लेकर हरियाणा लगातार एनसीआर का दायरा कम करने की मांग कर रहा था.

एक्सपर्ट की राय: एनसीआर का दायरा घटाने को लेकर रिटायर्ड सीनियर टाउन कंट्री प्लानर रवि सिंगला ने बताया कि एनसीआर का दायरा कट जाने से हरियाणा के कई जिले एनसीआर से बाहर हो जाएंगे, जिसके बाद इसका सीधा फायदा हरियाणा को होगा. वर्तमान में एनसीआर का हिस्सा होने के कारण कई जिलों में हरियाणा सरकार को किसी भी प्रोजेक्ट को शुरू करने से पहले एनसीआर प्लानिंग बोर्ड और केंद्र सरकार से परमिशन लेने की आवश्यकता पड़ती है, जिसके चलते सरकार को कई सारे प्रोजेक्ट को पूरा करने में परेशानी होती है.

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ऐसे में जब हरियाणा का जो हिस्सा एनसीआर से बाहर हो जाएगा राज्य सरकार अपने अनुसार वहां पर विकास योजनाएं बना सकेगी. साथ ही उन्होंने कहा कि अगर दायरे को बढ़ाकर देखा जाए तो केंद्र सरकार ज्यादा फंड एक साथ रिलीज नहीं कर पाएगी, इसीलिए एनसीआर का दायरा बढ़ाना विकास के हिसाब से सम्भव नहीं हो पायेगा.

लोग दे रहे हैं मिलिजुली प्रतिक्रिया: एनसीआर के नए सीमाक्षेत्र को लेकर लोगों की अलग-अलग प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं. कुछ लोगों का कहना है कि वर्तमान में एनसीआर का हिस्सा बड़ा है, जिस वजह से एनसीआर के मुताबिक विकास नहीं हो पा रहा है. इसीलिए एनसीआर का हिस्सा घटना चाहिए. एनसीआर के हिस्से के कम हो जाने से हरियाणा को अपने इलाके में विकास करने में मदद मिलेगी. एनसीआर में शामिल होने के चलते जो फैसले किए जाते हैं. उनके प्रभाव से भी हरियाणा का एक बड़ा हिस्सा बचेगा.

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एनसीआर को लेकर होने वाले फैसलों का ज्यादा असर हरियाणा पर नहीं पड़ेगा और हरियाणा में उद्योग ज्यादा बिना दबाव के विकसित हो सकेंगे. वहीं कुछ लोगों ने कहा कि एनसीआर के हिस्से को घटाना नही चाहिए, जितना ज्यादा हिस्सा एनसीआर में शामिल होगा उतनी ही तरक्की आएगी. लोगों को एनसीआर का हिस्सा होने का काफी फायदा मिलेगा, जो हिस्सा एनसीआर में शामिल होगा. वहां पर सड़कों और एक्सप्रेस-वे का निर्माण कार्य होगा. उद्योग भी भारी मात्रा में लगाए जाएंगे, इसीलिए एनसीआर के हिस्से का विस्तार होना चाहिए. एनसीआर में लोगों को नौकरियों के ज्यादा मौके मिलेंगे.

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Last Updated :Jan 29, 2022, 6:34 PM IST
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