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World Blood Donor Day: पुरुषों के मुकाबले महिलाएं रक्तदान करने में पीछे, खून दान करने से नहीं होती है बीमारी

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Published : Jun 13, 2023, 2:27 PM IST

Updated : Jun 14, 2023, 10:19 AM IST

हर साल 14 जून को विश्व रक्तदान दिवस के रूप में मनाया जाता है. रक्तदान दिवस का मुख्य उद्देश्य रक्तदान को बढ़ावा देना है. ताकि खून की कमी से किसी की जान न जाए. साल 2004 में पहली बार विश्व रक्तदान दिवस मनाया गया था. (World Blood Donor Day)

World Blood Donor Day
पुरुषों के मुकाबले महिलाएं रक्तदान करने में पीछे

डॉ. रत्ती राम शर्मा से जानिए ब्लड डोनेट करने के फायदे.

चंडीगढ़: 14 जून को दुनिया भर में रक्तदान के लिए जागरूक करने के तौर पर मनाया जाता है. 2005 में डब्ल्यूएचओ द्वारा एक रेजोल्यूशन पास किया गया था जिसमें उन देशों को रक्तदान करने के लिए प्रेरित किया गया था जिन देशों में लोगों को रक्तदान करने को लेकर समस्या देखी गई थी. वहीं, अगर भारत की बात की जाए तो आज के समय में भारत की स्थिति और देशों के मुकाबले बहुत अच्छी है. भारत में 70 फीसदी के आसपास लोग वॉलिंटियर करते हुए ब्लड डोनेट करते हैं. अफ्रीका जैसे देशों की बात की जाए तो वहां पर आज भी रक्तदान को लेकर लोगों में जागरूकता की कमी है.

पुरुषों के मुकाबले महिलाएं रक्तदान करने में पीछे: वहीं, पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में रक्तदान को लेकर अधिक शंकाएं रहती हैं. उन्हें लगता है कि रक्तदान करते वक्त लगने वाली सुई से वे बीमार हो जाएंगी या उन्हें किसी तरह की गंभीर बीमारी हो सकती है. शायद यही वजह है कि पुरुषों के मुकाबले महिलाएं रक्तदान करने में पीछे हैं. वहीं, वैज्ञानिक दृष्टि से साबित हो चुका है खून दान करने से किसी भी तरह की बीमारी और शारीरिक समस्या नहीं आती है.

World Blood Donor Day
विश्व रक्तदान दिवस

चंडीगढ़ में 24 घंटे ब्लड बैंक सेवा: चंडीगढ़ में ब्लड बैंक सेवा 24 घंटे उपलब्ध है. पीजीआई ट्रॉमा सेंटर और प्रेग्नेंट महिलाओं को ब्लड की तुरंत आवश्यकता पड़ती है. ऐसे में साल के 365 दिन ब्लड बैंक ओपन रहता है. ब्लड के अलावा कॉम्पोनेंट्स भी की सुविधा भी 24 घंटे उपलब्ध करवाई जाती है. रोजाना ब्लड कंपोनेंट में 300 से 400 यूनिट ब्लड मरीजों को लगाया जाता है. वहीं, खून की जरूरत पीजीआई में रोजाना रहती है. इसके लिए रोजाना ब्लड कलेक्शन बहुत जरूरी रहता है. पीजीआई में मिनिमम स्टाफ को मेंटेन रखने के लिए रोजाना 200 से 300 यूनिट ब्लड बैंक में पहुंचाया जाता है.

ब्लड को 30 से 45 दिनों तक किया जा सकता है स्टोर: वहीं, एक ब्लड ग्रुप को 30 से 45 दिनों के बीच स्टोर किया जा सकता है. उसके बाद इसका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. वहीं, पीजीआई में प्रोफेसर एंड हेड डिपार्टमेंट ऑफ ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन ब्लड डॉ. रत्ती राम शर्मा ने बताया क्योंकि पीजीआई एक रेफरल सेंटर है. जहां, रोजाना इमरजेंसी में और ट्रॉमा सेंटर में गंभीर मरीज पहुंचते हैं. ऐसे में जिस किसी मरीज को खून की तुरंत जरूरत होती है, हम उसे डॉक्टर की सहमति के साथ मुफ्त ब्लड मुहैया करवाते हैं. लेकिन, जिन मरीजों के ऑपरेशन में 3 से 4 दिनों के बाद का समय है उन मरीजों के परिजनों को जागरूकता के तौर पर ब्लड डोनेट करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. जिसके तहत जितना ब्लड वे ब्लड बैंक से ले रहे हैं उन्हें उतना ही ब्लड डोनेट करना भी होता है. हम ब्लड लेने वाले लोगों को प्रोत्साहित करते हैं कि अगर वे अपने मरीज के लिए ब्लड नहीं दे सकते तो वे अपने मरीज की कैसे मदद कर पाएंगे.

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पीजीआई में मुफ्त में चढ़ाया जाता है 80% ब्लड: पीजीआई में 80 फीसदी खून लोगों को मुफ्त चढ़ाया जाता है. वहीं, 10 से 15 फीसदी मरीजों के परिजन ही लोग जो वॉलिंटियरिंग करते हुए खून दान करते हैं. ब्लड बैंक से जाने वाला अधिकतर खून ट्रॉमा सेंटर या इमरजेंसी या महिलाओं की इमरजेंसी में जाता है. इसके अलावा बच्चों के बोर्ड में और कैंसर पीड़ित लोगों के लिए ब्लड दिया जाता है. इसके अलावा अलग-अलग विभागों तक पहुंचाया जाता है.

पीजीआई में सालाना 60,00 यूनिट ब्लड जमा: 20 से 25 फीसदी सर्जिकल विभाग में ब्लड पहुंचाया जाता है. पीजीआई के ब्लड बैंक के बाद सेक्टर-32 के हॉस्पिटल और सेक्टर 16 के हॉस्पिटल में भी ब्लड बैंक की सुविधा है, लेकिन सबसे अधिक जो ब्लड बैंक चल रहा है वह पीजीआई का है. जहां सालाना 60,000 यूनिट यूनिट ब्लड को इकट्ठा किया जाता है.

PGI में 350 बच्चों को हर साल चढ़ाया जाता है 12,000 यूनिट ब्लड: वहीं, पीजीआई के 350 के करीब ऐसे बच्चे हैं, जिन्हें खून चढ़ाया जाता है. इन बच्चों को साल में 10,000 से 12,000 यूनिट ब्लड चढ़ाया जाता है. जोकि मुफ्त मुहैया करवाया जाता है. पीजीआई के पीछे का ब्लड डोनेशन सेंटर हमेशा ही खुला रहता है जिसमें पीछे में आने वाले वॉलिंटियर और शहर के कुछ ऐसे लोग अपनी इच्छा से ब्लड डोनेट करने के लिए पहुंचते हैं. इसके अलावा रोजाना दो से तीन कैंप पूरे ट्राइसिटी में लगाए जाते हैं.महीने में टोटल 30 से 40 कैंप लगते हैं.

'ब्लड डोनेट करने से नहीं होती बीमारी': डॉक्टर रत्ती राम शर्मा कहते हैं कि वैज्ञानिक दृष्टि से यह साबित हो चुका है खून दान करने से किसी भी तरह की बीमारी और शारीरिक समस्या नहीं आती है.जिन लोगों की उम्र 18 से 75 साल के बीच में है और उनका हिमोग्लोबिन 12 पॉइंट 5 ग्राम से ज्यादा है वे लोग खून दान कर सकते. खून दान करने वाले व्यक्ति का भार 50 से 55 किलोग्राम के बराबर होना आवश्यक है. रक्तदान के बाद हर एक व्यक्ति को कुछ सावधानी बरतनी होती है, जिसके बाद वे अपने रोजाना के सामान्य काम को कर सकते हैं.

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Last Updated : Jun 14, 2023, 10:19 AM IST
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