भिवानी डाडम हादसा: एनजीटी ने बनाई 8 सदस्यीय निगरानी कमेटी, सैटेलाइट इमेज से होगी जांच

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Published : Jan 6, 2022, 4:50 PM IST

Updated : Jan 6, 2022, 8:57 PM IST

dadam mining accident in bhiwani

एनजीटी ने भिवानी में हुए डाडम हादसा (dadam mining accident in bhiwani) मामले में जांच के लिए 8 सदस्यीय निगरानी कमेटी बनाई है. इस कमेटी में अलग-अलग फील्ड के एक्सपर्ट को शामिल किया गया है.

चंडीगढ़: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने हरियाणा के भिवानी में हुए डाडम हादसे (dadam mining accident in bhiwani) में संज्ञान लिया है. एनजीटी ने मामले की जांच के लिए 8 सदस्यीय निगरानी कमेटी बनाई है. इस कमेटी में अलग-अलग फील्ड के एक्सपर्ट को शामिल किया गया है. वहीं हरियाणा एनजीटी के चेयरमैन प्रीतम पाल सिंह कमेटी के अध्यक्ष होंगे.

एनजीटी के निर्देश के अनुसार ये कमेटी करीब 2 महीने में रिपोर्ट सौंपेगी. वहीं भिवानी डाडम हादसा की जांच (Investigation In Dadam Mining Accident In Bhiwani) के लिए सैटेलाइट इमेजेस का भी सहारा लिया जायेगा. एनजीटी ने कमेटी को हर पहलू पर निष्पक्षता से जांच करने के निर्देश दिए हैं. इस मामले की अप्रैल में सुनवाई होगी.

एनजीटी निगरानी कमेटी के चेयरमैन प्रीतम पाल सिंह बताया कि एनजीटी में किसी ने शिकायत दर्ज की थी कि वहां पर अवैध खनन हो रहा है. इसके साथ ही शिकायतकर्ता ने कहा था कि वहां पर बहुत ही गहराई में खनन किया जा रहा है और जंगल वाले क्षेत्र में भी खनन हो रहा है. जिसके बाद एनजीटी की टीम ने वहां का दौरा भी किया. इस मामले में उन्होंने अपनी अंतरिम रिपोर्ट भी दी है। लेकिन फाइनल रिपोर्ट के लिए अभी इंतजार करना पड़ेगा.

उन्होंने कहा कि एनजीटी में दो रिपोर्ट आई है, एक खनन विभाग की और एक प्रशासन की लेकिन दोनों रिर्पोटों में अंतर है. जब दोनों रिपोर्ट में अंतर आया तो एनजीटी ने इस मामले की जांच के लिए मेरी अध्यक्षता में एक और कमेटी का गठन कर दिया है. इसमें कुछ एक्सपर्ट भी दिए गए हैं, जिसमें खनन विभाग के एक्सपर्ट, पर्यावरण की एक्सपर्ट, हरियाणा के हार्सेक विभाग जोकि ड्रोन से जमीन की निगरानी करता है उनकी और से एक्सपर्ट को भी शामिल किया गया है.

उन्होंने कहा कि उनकी ओर से अपनी अंतरिम रिपोर्ट दी गई है रिपोर्ट में पाया गया है कि वहां पर फॉरेस्ट एरिया में और गहराई तक माइनिंग तो हो हुई है, लेकिन अवैध खनन किसने किया और कब-कब किया, इसको जाने के लिए सेटेलाइट इमेजनरी मैप की जरूरत पड़ेगी. इसका रिकॉर्ड इसरो और हरियाणा में हार्सेक विभाग के पास होता है. यह इन विभागों की जिम्मेदारी है कि वह हमें डाटा उपलब्ध करवाएं

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उन्होंने कहा कि हमने इन विभागों को डाटा उपलब्ध करवाने के लिए लिखा है ताकि हम आगे की जांच कर सके. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि उन्होंने 2015 से 2021 तक का डाटा इन संस्थाओं से मांगा है. जिसे पता चल सके कि किस-किस वक्त अवैध खनन हुआ है. इसकी मुकम्मल जानकारी मिल पाए. जब हमें इस संबंध में पूरा डाटा मिल जाएगा तो हम इस मामले की पूरी रिपोर्ट एनजीटी को देंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि मामले के हर पहलू की जांच होगी.

गौरतलब है कि 2022 की 1 जनवरी को सुबह खनन कार्य के दौरान पहाड़ का एक बड़ा हिस्सा अचानक से दरक गया, जिसके चलते वहां खड़ी आधा दर्जन के करीब पोकलैंड मशीनें और डंफर दब गए. इसके साथ ही लगभग पांच से दस से लोगों के दबे होने की खबर थी. जिसके बाद प्रशासन राहत बचाव के कार्य में जुट गया. अभी तक पांच लोगों की मौत हो चुकी है, और तीन लोगों को निकालकर अस्पताल में भर्ती करवाया गया है. वहीं हादसे के तीन दिन बाद पुलिस ने लापरवाही का केस दर्ज किया था.

दूसरी तरफ प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि अभी तक हादसे की मुख्य एफआईआर दर्ज होना बकाया है. यह जांच कमेटी की रिपोर्ट के के आधार पर दर्ज की जाएगी. हादसे के बारे में DGMS गाजियाबाद की टीम पूरे तथ्यों पर जांच कर बताएगी कि किसकी कितनी बड़ी लापरवाही इस पूरे मामले में है.

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Last Updated :Jan 6, 2022, 8:57 PM IST
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