कहीं आप भी तो नहीं डिप्रेशन का शिकार? बीते दस साल में आत्महत्या के 80 प्रतिशत मामले बढ़े

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Published : Apr 14, 2023, 1:44 PM IST

mental health awareness

डिप्रेशन यानी मानसिक तनाव एक बीमारी है, लेकिन आज भी लोग मेंटल हेल्थ पर ध्यान नहीं देते हैं. अफसोस की बात यह है कि इस बीमारी से ग्रसित 80 प्रतिशत लोगों को इसके इलाज की (mental health awareness) जानकारी तक नहीं है. यही कारण है कि डिप्रेशन का शिकार व्यक्ति कई बार आत्महत्या करने जैसा कदम भी उठा लेता है.

लोगों को डिप्रेशन के इलाज की सही जानकारी नहीं है.

चंडीगढ़: बीते दिनों चंडीगढ़ अस्टेट ऑफिस के कर्मचारी ने आत्महत्या कर ली थी. मृतक के साथ काम करने वाले कर्मचारियों ने दफ्तरी कामकाज को इसकी वजह बताया था कि उन पर भी ज्यादा काम करने का दबाव डाला जा रहा है. मनोवैज्ञानिकों की माने तो डिप्रेशन की वजह वर्क प्रेशर ही नहीं, अन्य चीजें भी हो सकती है और वह उम्र और पेशे के अनुसार अलग अलग होती हैं. जब व्यक्ति डिप्रेशन में होता है तो वह सही गलत का निर्णय नहीं कर पाता है और ऐसे में आत्महत्या जैसा कदम उठा लेता है. ऐसे में जब भी डिप्रेशन के लक्षण नजर आए तो मनोचिकित्सक को जरूर दिखाएं और इस बीमारी का पूरा इलाज कराएं.

नेशनल सर्वे के अनुसार बीते दस साल में आत्महत्या के मामले 80 प्रतिशत तक बढ़े हैं. वहीं विशेषज्ञों की माने तो अभी भी लोग मेंटल हेल्थ को लेकर जागरूक नहीं है और इसे एक बीमारी के तौर पर नहीं मानते हैं. यही कारण है कि आत्महत्या के बढ़ते मामलों के पीछे आर्थिक कारण ही नहीं बल्कि डिप्रेशन भी जिम्मेदार माना गया है. छात्र-छात्राओं के अलावा आम नौकरी पेशा लोग भी अब मानसिक तनाव के चलते आत्महत्या कर रहे हैं.

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मानसिक संतुलन अव्यवस्थित होने के कई कारण होते हैं.

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उदाहरण के तौर पर बीते दो महीने में चंडीगढ़ के सरकारी विभागों में काम करने वाले तीन व्यक्तियों ने खुदकुशी की है. जब इस संबंध में अन्य कर्मचारियों से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि वे अक्सर अपने बैग में सिर दर्द और बीपी की गोलियां लेकर चलते हैं. इसके सा‌थ ही कई ऐसे कर्मचारी भी हैं, जिन्होंने मनोवैज्ञानिक के पास जाना शुरू कर दिया है.

मनोचिकित्सा विभाग के एचओडी प्रोफेसर डॉ. संदीप ग्रोवर ने कहा कि आज लोगों के दिमाग पर बढ़ता प्रेशर आत्महत्या के कारणों की बड़ी वजह है. यह वर्क प्रेशर के साथ ही मानसिक दबाव, मानसिक रोग व पारिवारिक झगड़े भी हो सकते हैं. उन्होंने बताया कि आत्महत्या करने वाला रातों रात इसका इरादा नहीं करता है. इसके लिए पहले प्लानिंग भी करते हैं और यहां तक कि कुछ दिनों पहले वे अपने स्वभाव में भी बदलाव करते हैं.

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डिप्रेशन में व्यक्ति सही-गलत का निर्णय नहीं कर पाता है.

डिप्रेशन के कारण : मानसिक संतुलन अव्यवस्थित होने के कई कारण होते हैं. जैसे तनावपूर्ण जीवन, घरेलू समस्याएं, मानसिक रोग इत्यादि है. मनोचिकित्सकों की माने तो करियर, जॉब, रिश्ते, खुद की इच्छाएं, व्यक्तिगत समस्याएं जैसे लव अफेयर, मैरिज, सेटलमेंट, भविष्य की पढ़ाई आदि के कारण कोई व्यक्ति डिप्रेशन में जा सकता है. वहीं अर्थहीन प्रतिस्पर्धा और सामाजिक व नैतिक मूल्यों में गिरावट, परिवार का टूटना, अकेलापन धीरे-धीरे आत्महत्या की तरफ प्रेरित करता है.

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हर वर्ग में मानसिक तनाव का कारण अलग: प्रोफसर डॉ. संदीप ग्रोवर ने बताया कि जब एक व्यक्ति किसी दबाव को हैंडल नहीं कर पाता तो उसे मानसिक बीमारियां हो सकती हैं. यह देखा गया है जो लोग खुदकुशी जैसा कदम उठाते हैं. वह किसी ना किसी तरह से मानसिक तनाव में होते हैं या उन्हें कोई मानसिक बीमारी होती है. आमतौर पर इस तरह के कदम उठाने वाले व्यक्ति डिप्रेशन के शिकार होते हैं. हर वर्ग में अलग तरह का मानसिक तनाव होता है. बच्चों के लिए पढ़ाई का स्ट्रेस हो सकता है.

डिप्रेशन के इलाज की जानकारी नहीं : महिलाओं के लिए घर से संबंधित स्ट्रेस हो सकता है. वहीं काम कर रहे एक कर्मचारी के लिए दफ्तर से संबंधित स्ट्रेस हो सकता है. उन्होंने बताया कि आमतौर पर जिन व्यक्तियों को मानसिक तनाव हो रहा है और उनका कहीं काम करने में मन नहीं लग रहा. उन्हें डिप्रेशन का मरीज कह सकते हैं. ऐसे लक्षण वाले व्यक्तियों को जल्द से जल्द मनोचिकित्सक से इलाज कराना चाहिए. वहीं राष्ट्रीय स्तर पर करवाए गए एक सर्वे के अनुसार 25 से 35 साल के लोगों में डिप्रेशन की समस्या अधिक देखी जा रही है. वहीं दुखद बात यह है कि 80 प्रतिशत लोगों को इसके इलाज के बारे में भी कोई जानकारी नहीं है.

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