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बीजेपी हाईकमान तक पहुंचा सीआईडी को लेकर सीएम और गृहमंत्री के बीच खींचतान का मामला

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Published : Jan 16, 2020, 12:40 PM IST

गृह मंत्री अनिल विज पिछली सरकार के कार्यकाल के दौरान भी सरकार के द्वारा किए फैसलों पर एतराज या कहें सवालिया निशान खड़े कर चुके हैं. यहां तक कि 2014 में जब भाजपा सत्ता में आई तो उस दौरान मंत्री पद का शपथ उन को पांचवें नंबर पर दिलाने पर भी वह कई बार सवाल खड़े कर चुके हैं.

anil vij
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चंडीगढ़ः कई दिनों से चल रहे सीआईडी विवाद अब और ज्यादा उलझ सकता है. इस पूरे प्रकरण की जानकारी भाजपा हाईकमान को दे दी गई है और फैसला भी हाईकमान के ऊपर छोड़ दिया गया है. प्रदेश के गृह मंत्री अनिल विज अपने पास से सीआईडी को ऐसे ही नहीं जाने देना चाहते, वह इस को अपने पास रखने के हर संभव प्रयास कर रहे हैं. जानकारी यहां तक भी है कि अगर सीआईडी उन के पास से जाती है तो वह गृह विभाग को छोड़ सकते हैं.

पिछली सरकार में भी दिखे थे विज के तेवर
आपको बता दें कि गृह मंत्री अनिल विज पिछली सरकार के कार्यकाल के दौरान भी सरकार के द्वारा किए फैसलों पर एतराज या कहें सवालिया निशान खड़े कर चुके हैं. यहां तक कि 2014 में जब भाजपा सत्ता में आई तो उस दौरान मंत्री पद का शपथ उन को पांचवें नंबर पर दिलाने पर भी वह कई बार सवाल खड़े कर चुके हैं. वहीं मंत्री पद के बाद मिले विभागों को लेकर भी विज ज्यादा खुश नहीं थे.

बीजेपी हाईकमान करेगी सीआईडी को लेकर फैसला.

इस सरकार में अनिल विज को मिली है पावर
अब बीजेपी और मनोहर सरकार का दूसरा कार्यकाल चल रहा है और इस कार्यकाल में विज को को फुल पावर मिली है. गृह विभाग उंनके पास है, लेकिन अब सीआईडी को लेकर खीचतान मची हुई है. जहां सीएमओ की ओर से सीआईडी को अलग विभाग बनाने के लिए तैयारी चल रही है तो वहीं अनिल विज ने भी सारा मामला हाईकमान के संज्ञान में ला दिया है और फैसला भी भाजपा हाईकमान पर छोड़ दिया है.

खींचतान पर टिकी प्रदेश की निगाहें
इस सब के बाद प्रदेश की जनता के साथ साथ अधिकारियों की भी निगाहें इस बात पर टिकी हुई हैं कि आखिर जीत किस की होती है . जीत से मतलब है आखिर सीआईडी अनिल विज के पास ही रहता है या फिर मुख्यमंत्री मनोहरलाल इसे अपने पास रख लेते हैं .

ये भी पढ़ेंः- चंडीगढ़ में अंत्योदय सरल प्रोजेक्ट पर समीक्षा बैठक, अधिकारियों को जरूरी दिशा-निर्देश

Intro:चंडीगढ़, कई दिनों से चल रहे सीआईडी विवाद अब और ज्यादा उलझ सकता है । इस पूरे प्रकरण की जानकारी भाजपा हाईकमान को दे दी गई है और फैसला भी हाईकमान के ऊपर छोड़ दिया गया है । प्रदेश के गृह मंत्री अनिल विज अपने पास से सीआईडी को ऐसे ही नही जाने देना चाहते, वह इस को अपने पास रखने के हर संभव प्रयास कर रहे हैं । जानकारी यहां तक भी है कि अगर सीआईडी उन के पास से जाती है तो वह गृह विभाग को छोड़ सकते हैं ।




Body:आपको बता दें कि गृह मंत्री अनिल विज पिछली सरकार के कार्यकाल के दौरान भी सरकार के द्वारा किए फैसलों पर एतराज या कहें सवालिया निशान खड़े कर चुके हैं । यहां तक कि 2014 में जब भाजपा सत्ता में आई तो उस दौरान मंत्री पद शपथ ग्रहण उन को पांचवें नंबर पर शपथ दिलाने पर भी वह कई बार सवाल खड़े कर चुके हैं । वहीं मंत्री पद के बाद मिले विभागों को लेकर भी विज ज्यादा खुश नहीं थे । अब बीजेपी और मनोहर सरकार का दूसरा कार्यकाल चल रहा है और इस कार्यकाल में विज को को फुल पावर मिली है गृह विभाग उंनके पास है लेकिन अब सीआईडी को लेकर खीचतान मची हुई है , जहां सीएमओ की ओर से सीआईडी को अलग विभाग बनाने के लिए तैयारी चल रही है तो वहीं अनिल विज ने भी सारा मामला हाईकमान के संज्ञान में ला दिया है और फैसला भी भाजपा हाईकमान पर छोड़ दिया है ।




Conclusion:इस सब के बाद प्रदेश की जनता के साथ साथ अधिकारियों की भी निगाहें इस बात पर टिकी हुई हैं कि आखिर जीत किस की होती है । जीत से मतलब है आखिर सीआईडी अनिल विज के पास ही रहता है या फिर मुख्यमंत्री मनोहरलाल इसे अपने पास रख लेते हैं ।

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