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Kidney Transplant: चंडीगढ़ पीजीआई में किडनी ट्रांसप्लांट के लिए अब नहीं करना होगा लंबा इंतजार

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Published : Mar 25, 2023, 8:44 PM IST

चंडीगढ़ पीजीआई में किडनी ट्रांसप्लांट कराने आने वाले मरीजों (kidney transplant in chandigarh PGI) को अब इसके लिए लंबा इंतजार नहीं करना होगा. पीजीआई के यूरोलॉजी विभाग को भी किडनी ट्रांसप्लांट करने की इजाजत मिल गई है, जिसके कारण अब किडनी ट्रांसप्लांट अधिक संख्या में किए जा सकेंगे.

kidney transplant in chandigarh PGI
Kidney Transplant: चंडीगढ़ पीजीआई में किडनी ट्रांसप्लांट के लिए अब नहीं करना होगा लंबा इंतजार

चंडीगढ़: किडनी ट्रांसप्लांट के लिए अब लोगों को लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा. चंडीगढ़ पीजीआईएमईआर के यूरोलॉजी विभाग को भी चंडीगढ़ और पीजीआई में आए मृत व्यक्ति की किडनी ट्रांसप्लांट करने की इजाजत मिल गई है. पहले किडनी विभाग को ही इस तरह के ट्रांसप्लांट करने की अनुमति थी. इससे उत्तर भारत के राज्यों के लोगों को बड़ी राहत मिलेगी. क्योंकि इन राज्यों के लोग गंभीर बीमारियों का इलाज करवाने चंडीगढ़ पीजीआईएमईआर पहुंचते हैं.

जिन्हें किडनी खराब हो जाने के बाद किडनी ट्रांसप्लांट की सख्त जरूरत पड़ती थी. पीजीआई यूरोलॉजी विभाग में किडनी इलाज करवा रहे 4 हजार से अधिक मरीजों में से 3 हजार 250 मरीज किडनी ट्रांसप्लांट करवाने का इंतजार कर रहे हैं. इससे पहले किडनी ट्रांसप्लांट सिर्फ रीनल ट्रांसप्लांट विभाग द्वारा ही किया जाता था. फरवरी महीने से ही यहां किडनी ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया शुरू की गई थी. इससे पहले जो भी किडनी ट्रांसप्लांट किए जाते थे, उसकी प्रक्रिया कठिन होती थी क्योंकि वह एक वालंटियर के तौर पर ही संभव ‌था.

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जहां मृतक व्यक्ति के परिवार की अनुमति के बाद ही किसी मरीज की किडनी का ट्रांसप्लांट किया जाता था लेकिन अब यूरोलॉजी विभाग को भी परिवार की अनुमति के बाद मृतक की किडनी ट्रांसप्लांट करने की मंजूरी मिलने से मरीजों को लंबा इंतजार नहीं करना होगा. यूरोलॉजी विभाग द्वारा मृत व्यक्ति की किडनी निकालने डॉक्टरों के लिए आसान है, लेकिन जिंदा व्यक्ति (डोनर) की किडनी निकालना आसान नहीं होता है, यह सर्जरी जटिल प्रक्रिया वाली होती है.

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जिसके तहत स्वस्थ किडनी को डोनर के शरीर से निकाला जाता है और बीमार जरूरतमंद के शरीर में ट्रांसप्लांट किया जाता है. वहीं उस उस मृत व्यक्ति के शरीर से किडनी निकालकर ट्रांसप्लांट किया जाता है जिसकी ब्रेन डेथ हुई हो या सर्कुलेटरी डेथ हुई हो. पीजीआई प्रशासन ने बताया कि एक साल में 200 के करीब ही किडनी ट्रांसप्लांट किए जाते थे. वहीं 800 से 900 मरीजों को अपने ऑपरेशन का इंतजार करना पड़ता था. इससे पहले किडनी विभाग को ही इस तरह के ट्रांसप्लांट करने की अनुमति थी लेकिन अब यूरोलॉजी विभाग को किडनी ट्रांसप्लांट करने की अनुमति मिल गई है. जिससे पीजीआई में किडनी ट्रांसप्लांट के ऑपरेशन अधिक संख्या में हो सकेंगे और इसका फायदा अधिक लोगों को होगा.

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