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Haryana Nuh Violence: नूंह हिंसा पर हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला के बयानों के क्या हैं मायने?

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Published : Aug 8, 2023, 8:36 AM IST

Dushyant Chautala on Nuh Violence
नूंह हिंसा पर हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला के बयान

नूंह में ब्रज मंडल यात्रा के दौरान 2 समुदायों के बीच हुई हिंसक घटना के बाद प्रदेश में राजनीति तेज हो गई है. हिंसा को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. इसी बीच नूंह हिंसा को लेकर हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटला आए दिन अलग-अलग बयान दे रहे हैं. दुष्यंत चौटाला खुद गठबंधन सरकार का हिस्सा हैं, इसलिए इस बयान का बड़ा सियासी मतलब निकाला जा रहा है. आखिर इस बयान के क्या मायने हैं, आइए जानते हैं. (Dushyant Chautala on Nuh Violence)

चंडीगढ़: नूंह में हिंसा के बाद से प्रदेश सरकार लगातार विपक्ष के निशाने पर है. विपक्ष जहां इस मामले की उच्च स्तरीय जांच करवाने की मांग कर रहा है और साथ में मुख्यमंत्री मनोहर लाल के इस्तीफे की भी बात कह रहा है. इन सबके बीच प्रदेश सरकार में सहयोगी जननायक जनता पार्टी के नेता और हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला जिस तरह के बयान दे रहे हैं, वह भी आग में घी डालने का काम कर रहा है.

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नूंह मामले पर सरकार से अलग दुष्यंत चौटाला के बयान!: डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने इस मामले में सबसे पहली मीडिया को यह जानकारी दी थी कि नूंह के एसपी उस दौरान छुट्टी पर थे. इसके साथ ही दुष्यंत चौटाला ने बयान दिया था कि ब्रज मंडल यात्रा के आयोजकों ने इस बारे में प्रशासन को जानकारी नहीं दी थी. इतना ही नहीं इससे आगे बढ़ते हुए मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने गौ रक्षकों पर ही सवाल खड़े करते हुए रोहतक में कहा था कि सबसे बड़ा सवाल है कि जो लोग अपने आप को गौ रक्षक कहते हैं. क्या वे अपने घरों में गाय को रक्षा करते हैं. मूवमेंट चलाकर माहौल खराब करना सामाजिक तौर पर आसान है.

Nuh Violence
नूंह में हिंसा के बाद फौरन शांति बहाली में जुटे पुलिस जवान.

हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला के इस तरह के बयानों के बयान के सियासी मायने क्या हैं? उनके इस तरह के बयान क्या सरकार के लिए मुश्किल खड़ी कर सकते हैं? या फिर अपनी पार्टी की लाइन की वजह वे इस तरह के बयान से दे रहे हैं?

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दुष्यंत चौटाला के बयानों पर क्या कहती है बीजेपी: इस मामले में सीएम के मीडिया सचिव प्रवीण अत्रे ने दुष्यंत दुष्यंत चौटाला के बयान पर सीधा तो नहीं कहा, लेकिन उन्होंने कहा कि ऐसे मुद्दों पर में किसी भी तरह की राजनीति नहीं करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि, हरियाणा सरकार ने जिस तरह से तत्परता और प्रशासनिक कुशलता दिखाते हुए दंगों को चार घंटे में कंट्रोल किया. समाज में सद्भाव और भाईचारा बना रहे इसके मद्देनजर सरकार ने रोशन के विरुद्ध कार्रवाई करनी शुरू की. इन परिस्थितियों में वोट बैंक की राजनीति करना विरोध की राजनीति करना किसी के लिए भी उचित नहीं है.

Nuh Violence
नूंह में हिंसा के दौरान कई गाड़ियों में लगाई गई थी आग.

राजनीति में वोट का महत्व है, लेकिन पहले प्रदेश की शांति व्यवस्था और भाईचारा जरूरी है. जिसको समझना सबके लिए जरूरी है. सारी बातों को प्रदेश के मुख्यमंत्री और डीजीपी क्लियर कर चुके हैं. स्थानीय स्तर पर पीस कमेटी बनी थी, 3 साल से यात्रा चल रही थी. लेकिन, इस बार शरारती तत्वों ने अपने मंसूबों को पूरा करने का प्रयास किया, लेकिन सरकार ने उसे विफल कर दिया. - प्रवीण अत्रे, सीएम के मीडिया सचिव

राजनीतिक जमीन बचाने की हो रही है कोशिश- कांग्रेस: इस मामले में कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता केवल ढींगरा कहते हैं कि जब से हरियाणा बना है तब से प्रदेश में कभी भी इस तरह की कट्टरवादी हिंसा नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि 2014 से शासन में हरियाणा में हिंसा लगातार हो रही है. फिर चाहे हरियाणा में जाट वर्सेस जॉन जाट की लड़ाई करवाने की हो या फिर रामपाल मामले की हिंसा, या गुरमीत राम रहीम मामले में हिंसा, फिर कैथल में मिहिर भोज मामले में राजपूत और गुर्जर को लड़ने की कोशिश की और अब नूंह हिंसा.

जहां तक दुष्यंत चौटाला के बयान की बात है तो बीजेपी, जेजेपी से और जेजेपी, बीजेपी से विमुख हो चुकी है. यही वजह है कि दुष्यंत चौटाला अपना-अलग राग अलाप रहे हैं और बीजेपी अलग. अपनी राजनीतिक जमीन बचाने के लिए दुष्यंत चौटाला इस तरह के बयान दे रहे हैं. अपनी अपनी राजनीतिक जमीन को बचाने की खातिर ही बीजेपी और जेजेपी अपनी डफली, अपना राग अलाप रहे हैं. - केवल ढींगरा, कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता

नूंह हिंसा को लेकर दुष्यंत चौटाला के बयानों को कैसे देखते हैं राजनीतिक विश्लेषक: दुष्यंत चौटाला के नूंह हिंसा मामले में आए बयानों को लेकर राजनीतिक मामलों के जानकार प्रोफेसर गुरमीत सिंह कहते हैं कि, पहले तो यह समझना होगा की बीजेपी और जननायक जनता पार्टी का प्री पोल अलाइंस नहीं है. वहीं, बीजेपी के साथ गठबंधन के बाद जननायक जनता पार्टी को लेकर लोगों में भी कहीं ना कहीं रुझान कम हुआ है. वे कहते हैं कि, नूंह हिंसा का ठीकरा जननायक जनता पार्टी पर न फूटे और वे खुद को इसमें अलग दिखाकर उससे बचने की कोशिश कर रहे हैं.

प्रोफेसर गुरमीत सिंह ने कहा कि, बीजेपी और जननायक जनता पार्टी की विचारधारा भी बिल्कुल अलग-अलग है. ऐसे में खुद को अलग खड़ा साबित करना जेजेपी के लिए बड़ी चुनौती है. ऐसे में खुद को बीजेपी की विचारधारा से अलग दिखाना जननायक जनता पार्टी की मजबूरी भी है. साथ ही राजनीतिक तौर पर पार्टी को आगे बढ़ाने के लिए उनके इस तरह के बयानों को भी देखा जा सकता है.

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