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जानिए हरियाणा मृत शरीर सम्मान विधेयक- 2023 के किस प्रावधान का हो रहा है विरोध, 15 दिसंबर से प्रारंभ होने वाले सत्र में बिल किया जा सकता है पेश

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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Dec 9, 2023, 11:09 AM IST

Updated : Dec 9, 2023, 4:34 PM IST

haryana dead body respect bill: हरियाणा विधानसभा के शीतकालीन सत्र में सरकार हरियाणा मृत शरीर सम्मान विधेयक- 2023 ला सकती हैं. इस विधेयक में जहां निजी अस्पतालों के मनमानी पर रोक लगाने का प्रावधान है वहीं शव को लेकर सड़क पर प्रदर्शन की मनाही है. समाजसेवियों ने सड़क पर शव को लेकर प्रदर्शन पर रोक लगाने के प्रावधान पर नाराजगी जाहिर की है.

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हरियाणा मृत शरीर सम्मान विधेयक- 2023

हरियाणा मृत शरीर सम्मान विधेयक- 2023

चंडीगढ़: 15 दिसंबर से प्रारंभ होने वाले शीतकालीन सत्र में कई विधेयक लाये जा सकते हैं. जिसमें हरियाणा मृत शरीर सम्मान विधेयक को लेकर समाजिक कार्यकर्ता अपनी राय रख रहे हैं.

शव के साथ प्रदर्शन की मनाही: हरियाणा मृत शरीर सम्मान विधेयक में इस बात का प्रावधान होगा कि अपनी मांगों को लेकर लोग शव के साथ प्रदर्शन नहीं कर सकते. जो लोग शव के साथ प्रदर्शन करेंगे, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी. अगर मृतक के परिजन 24 घंटे के अंदर खुद शव का अंतिम संस्कार नहीं करते हैं तो प्रशासन को इस बात का अधिकार होगा कि वह शव का दाह संस्कार कर दे.

विधेयक का मकसद क्या है?: सरकार इस विधेयक के जरिए ट्रैफिक जाम और कानून व्यवस्था की समस्या को दूर करना चाहती है. दरअसल जब हादसे या अन्य कारणों से किसी की मौत हो जाती है तब मृतक के परिजन अपनी मांग को लेकर शव के साथ प्रर्दशन कर सड़क जाम कर देते हैं. नतीजतन यातायात व्यवस्था चरमरा जाती है. साथ ही कई बार कानून व्यवस्था को बनाए रखने में भी दिक्कत हो जाती है. सरकार का मानना है कि इस कानून के लागू हो जाने से इन समस्यों पर काबू पाया जा सकेगा.

किस बात पर है समाजसेवियों की नाराजगी ?: शव के साथ प्रदर्शन पर रोक के प्रावधान का समाजसेवी विरोध कर रहे हैं. समाज सेवी संतोष दहिया का कहना है कि कोई भी व्यक्ति जानबूझ कर शव के साथ प्रदर्शन नहीं करता है. हर कोई चाहता है कि समय पर शव का दाह संस्कार कर दिया जाए. कोई न कोई वजह होती है जिससे लोग ऐसा करने के लिए मजबूर होते हैं. दहिया के अनुसार जब किसी को इंसाफ नहीं मिलता है, उसके साथ अन्याय होता है तो उस स्थिति में वह सोचता है कि जब तक शव है उसको न्याय मिल सकता है. शव न होने पर उन्हें न्याय मिलने की उम्मीद कम होती है. वे कहती हैं कि हमने कई बार देखा है कि जब शव होता है तो उस वक्त प्रशासन और सरकार भी लोगों की सुनते हैं, और कानूनी कार्रवाई करने के लिए मजबूर हो जाते हैं. दहिया बताती हैं कि ऐसे कई उदाहरण उनके पास हैं कि प्रशासन के आश्वासन के बाद लोग शव को हटा लेते हैं लेकिन बाद में उन्हें इंसाफ नहीं मिलता है. इसी प्रकार जीवन रक्षा दल से जुड़े समाजसेवी राजू डोहर का कहना है कि हम भी मानते हैं कि शव रखकर प्रदर्शन करने से दूसरे लोगों को परेशानी होती है. लेकिन जिसकी लापरवाही से किसी के परिवार का सदस्य चला गया, तो उसके खिलाफ क्या कार्रवाई हुई, उस पर भी तो कानून बनना चाहिए. अगर कोई हत्या कर चला गया, पुलिस प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं कर रही तो फिर घरवाले कहां रोएंगे ?

गृह मंत्री अनिल विज ने भी जतायी थी नाराजगी: शव के साथ प्रर्दशन पर रोक के प्रावधान पर स्वास्थ्य और गृह मंत्री अनिल विज ने भी आपत्ति जाहिर की थी. विज का कहना था कि ऐसे विधेयक लाने से पहले इसके सभी व्यावहारिक पहलूओं पर विचार करना जरूरी है. जिन राज्यों में ये विधेयक पहले से लागू है वहां का अध्ययन करना पहले आवश्यक है. विज ने सम्बन्धित अधिकारियों को और अधिक होमवर्क करने की सलाह दी थी. सूत्रों के मुताबिक स्वास्थ्य मंत्री ने विधेयक के जिन प्रावधनों पर नाराजगी जाहिर की थी, उसे दूर कर दिया गया है.

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Last Updated : Dec 9, 2023, 4:34 PM IST
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