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सर छोटूराम राम की जयंती पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल और किसान नेता राकेश टिकट ने याद किया

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Published : Feb 5, 2022, 3:14 PM IST

हरियाणा में छोटूराम जयंती
Chootu Ram Jayanti In Haryana

16 फरवरी को बसंत पंचमी के दिन गढ़ी सांपला में दीनबंधु सर चौधरी (Chootu Ram Jayanti In Haryana) छोटूराम की जयंती देश और प्रदेश में मनाई जा रही है. इस अवसर पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल, उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला, अभय सिंह चौटाला और किसान नेता राकेश टिकैत ने उन्हें याद किया.

चंडीगढ़: 16 फरवरी को बसंत पंचमी के दिन गढ़ी सांपला सर छोटूराम धाम में दीनबंधु सर चौधरी छोटूराम की जयंती देश और प्रदेश में धूमधाम (Chootu Ram Jayanti In Haryana) से मनाया जा रहा है. इसी सिलसिले में आज मुख्यमंत्री मनोहर लाल, उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला, अभय सिंह चौटाला और किसान नेता राकेश टिकैत ने उन्हें याद किया.

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने ट्वीट करते कहा कि किसानों के मसीहा, रहबर-ए-आजम, दीनबन्धु सर छोटूराम जी की जयंती पर उनको सादर नमन। युगपरिवर्तनकारी व क्रांतिकारी नेता के रूप में किसानों, मजदूरों, वंचितों के लिए अपनी आवाज़ बुलंद करने वाले #ChhotuRam जी का समर्पित जीवन हमारे लिए सदैव प्रेरणादायक रहेगा.

Chootu Ram Jayanti In Haryana
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने ट्वीट कर सर छोटूराम को याद किया

उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने ट्वीट करते कहा कि किसान, कमेरे, गरीबों के मसीहा, महान समाज सुधारक, रहबर-ए-आजम दीनबंधु सर चौधरी छोटूराम जी की जयंती पर उन्हें कोटि-कोटि नमन.

Chootu Ram Jayanti In Haryana
दुष्यंत चौटाला ने ट्वीट कर सर छोटूराम को याद किया.

किसान नेता राकेश टिकैत ने ट्वीट करते कहा कि दीनबंधु सर छोटू राम जी की जयंती पर उन्हें कोटि-कोटि नमन

Chootu Ram Jayanti In Haryana
किसान नेता राकेश टिकैत ने ट्विट कर सर छोटूराम को याद किया.

सर छोटूराम का जन्म 24 नवंबर, 1881 में झज्जर के गांव गढ़ी सांपला (अब रोहतक) में बहुत ही साधारण परिवार में हुआ था. उनके पिता का नाम सुखीराम था. वह अपने भाइयो में सबसे छोटे थे. चौधरी छोटूराम का वास्तविक नाम राय रिछपाल था. इसलिए उन्हे परिवार के लोग छोटू कहकर पुकारते थे. जिस कारण से उनका नाम छोटू पड़ा. उन्हें अंग्रेज हुकुमत में किसानों के अधिकारों के लिए आवाज बुलंद करने के लिए जाना जाता था.छोटूराम बहुत ही साधारण जीवन जीते थे और वे अपनी सैलरी का एक बड़ा हिस्सा रोहतक के एक स्कूल को दान कर दिया करते थे. छोटू राम जी की प्रारंभिक शिक्षा मिडिल स्कूल झज्जर में प्राइमरी शिक्षा ग्रहण से रही थी. उसके बाद छोटू राम ने क्रिशचन मिशन स्कूल दिल्ली में प्रवेश लिया परन्तु शिक्षा का खर्चा उठाना बहुत बड़ी मुश्किल था. सन् 1903 में छोटू राम इंटर की परीक्षा पास करने के बाद दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज में ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त की. छोटूराम ने अपने जीवन के आरम्भिक समय में ही सर्वोत्तम आदर्श और चरित्रवान छात्र के रूप में वैदिक धर्म और आर्यसमाज में अपनी स्थापना बना ली.

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सन् 1905 में छोटूराम जी ने रामपाल राजा के यह निजी सचिव के रूप में कार्य किया और सन् 1907 तक अंग्रेजी अख़बार हिंदुस्तान का सम्पादन किया फिर यहां से छोटूराम जी वकालत की डिग्री करने आगरा आ गए. छोटू राम ने साहूकार पजीकरण एक्ट 1934 , गिरवी जमीनों का मुख्य 1938 , कृषि उतपादन मंडी 1938, क़र्ज़ माफी अधिनियम 1934, मोर के शिकार में पाबन्दी जैसे मुख्य कानून ब्रिटिश शासन में पास करने का योगदान है. उन्हें अंग्रेज हुकुमत में किसानों के अधिकारों के लिए आवाज बुलंद करने के लिए जाना जाता था.

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सर छोटूराम जी ने वकालत करने के साथ 1912 में जाट सभा का गठन किया और प्रथम विश्व युद्ध में उन्होंने रोहतक के 22 हजार से ज्यादा सैनिकों को सेना में भर्ती करवाया.1905 में सर छोटूराम ने कालाकांकर के राजा रामपाल सिंह के सह-निजी सचिव के रूप में कार्य किया और यहीं साल 1907 तक अंग्रेजी के एक समाचार पत्र का संपादन किया. यहां से छोटूराम आगरा में वकालत की डिग्री करने आ गए. 1911 में उन्होंने लॉ की डिग्री हासिल की.1915 में छोटूराम ने एक बार फिर से पत्रकारिता शुरू की. इस बार छोटूराम ने खुद का अखबार निकाला जिसका नाम रखा जाट गजट. ये अखबार अब भी निकलता है और इसे हरियाणा का सबसे पुराना अखबार माना जाता है. इस अखबार के जरिए छोटूराम ने अंग्रेजों की मुखालफत शुरू कर दी. इसकी वजह से अंग्रेजी सरकार ने छोटूराम को देश निकाले का फरमान दे दिया. हालांकि पंजाब सरकार ने अंग्रेजी सरकार से फैसला वापस लेने को कहा, क्योंकि अगर छोटूराम को देश निकाला दिया जाता तो पंजाब में आंदोलन हो जाता. बाद में अंग्रेजी सरकार ने फैसला वापस ले लिया.

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