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शहरी स्थानीय निकायों में पिछड़ा वर्ग- ए को मिलेगा आरक्षण, कैबिनेट ने आयोग की रिपोर्ट पर लगाई मुहर

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Published : May 8, 2023, 10:51 PM IST

haryana cm manohar lal
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल

हरियाणा कैबिनेट की बैठक में फैसला लिया है कि शहरी स्थानीय निकायों में पिछड़ा वर्ग-ए को आरक्षण मिलेगा. आज सीएम मनोहर लाल की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में हरियाणा पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा दी गई रिपोर्ट को स्वीकृति दे दी गई है. (Reservation for Backward Class-A in Urban Local Bodies)

चंडीगढ़: हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले मनोहर लाल की सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में आज हुई कैबिनेट बैठक में शहरी स्थानीय निकायों में पिछड़ा वर्ग-ए के राजनीतिक आरक्षण अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए गठित हरियाणा पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट को स्वीकृति मिल गई है.

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति दर्शन सिंह (सेवानिवृत्त) की अध्यक्षता में गठित आयोग ने पिछड़े वर्गों के नागरिकों के राजनीतिक पिछड़ेपन का आकलन करने के लिए गहन जांच की. आयोग ने पाया कि पिछड़ा वर्ग ब्लॉक-ए (बीसी-ए) के लोगों को राजनीतिक सेटअप में पर्याप्त प्रतिनिधित्व न होने के चलते उन्हें शहरी स्थानीय निकायों में राजनीतिक आरक्षण प्रदान करने की जरूरत है.

निकायों में अनुशंसित आरक्षण: बता दें कि हर नगर निगम, नगर परिषद और नगर पालिका में पार्षद का पद नागरिकों के ब्लॉक-ए के पिछड़े वर्गों के लिए रिजर्व होगा और इस प्रकार आरक्षित सीटों की संख्या उस क्षेत्र में सीटों की कुल संख्या के समान अनुपात में हो सकती है. शहरी स्थानीय क्षेत्र, उस शहरी स्थानीय क्षेत्र में कुल आबादी के नागरिकों के पिछड़े वर्ग ब्लॉक-ए की आबादी के आधे फीसदी के रूप में. यदि दशमलव मान 0.5 या अधिक है तो इसे अगले उच्च पूर्णांक तक पूर्णांकित किया जाएगा. बशर्ते कि यदि पिछड़े वर्ग-ए की आबादी सभा क्षेत्र की कुल आबादी का दो फीसदी या अधिक है तो प्रत्येक निकाय में पिछड़े वर्ग-ए से संबंधित कम से कम एक पार्षद होगा.

नगर निगमों, नगर परिषदों और नगर पालिकाओं में महापौरों-अध्यक्षों के पदों की संख्या का 8 फीसदी नागरिकों के पिछड़े वर्ग ब्लॉक-ए के लिए आरक्षित होगा. दशमलव मान 0.5 या अधिक होने की स्थिति में इसे अगले उच्च पूर्णांक तक पूर्णांक बनाया जाएगा.

आयोग ने कहा है कि शीर्ष न्यायालय के निर्देशानुसार आरक्षण किसी भी नगर निकायों में अनुसूचित जाति और बीसी (ए) के पक्ष में आरक्षित कुल सीटों के कुल 50 फीसदी से अधिक नहीं होगा. दरअसल अगर पिछड़े वर्ग-ए के लिए आरक्षित सीटों की संख्या को अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित सीटों की संख्या के साथ जोड़ने पर यदि उनकी कुल संख्या नगर निकायों की कुल सीटों के 50 फीसदी से अधिक हो जाती है. इसके बाद पिछड़े वर्ग-ए के लिए आरक्षित सीटों की संख्या को वहीं तक रखा जाएगा जिससे कि अनुसूचित जाति और बीसी (ए) का आरक्षण नगर पालिका, नगर परिषद और नगर निगम के सदस्य की कुल सीटों के 50 फीसदी से अधिक न हो.

उपरोक्त सिफारिशों की व्याख्या पर स्पष्टीकरण: गौर रहे कि शहरी स्थानीय क्षेत्र में, 'ए' नागरिकों के ब्लॉक ए के पिछड़े वर्ग की आबादी उस शहरी स्थानीय क्षेत्र की कुल आबादी का 25 फीसदी है, तो 12.5 फीसदी सीटें पिछड़े वर्ग के ब्लॉक-ए नागरिकों के लिए आरक्षित होंगी. जहां किसी दिए गए शहरी स्थानीय क्षेत्र में अनुसूचित जाति की आबादी 50 फीसदी या उससे अधिक है, वहां के नागरिकों के पिछड़े वर्ग ब्लॉक-ए को उनकी आबादी के फीसदी के बावजूद कोई आरक्षण नहीं मिलेगा.

रिपोर्ट के अनुसार, जहां अनुसूचित जाति की जनसंख्या शहरी स्थानीय निकाय की जनसंख्या का 40 फीसदी है और शहरी स्थानीय क्षेत्र में 10 सीटें हैं तो अनुसूचित जाति के लिए 4 सीटें आरक्षित होंगी. शेष एक सीट पिछड़ा वर्ग ब्लॉक के लिए उपलब्ध होगी. पिछड़ा वर्ग ब्लॉक-ए के नागरिकों को नगर पालिका में एक सीट मिलेगी, भले ही उनके लिए उपलब्ध आरक्षण के फीसदी के अनुसार कोई सीट उपलब्ध न हो, बशर्ते कि संबंधित शहरी स्थानीय क्षेत्र में उनकी आबादी 2 फीसदी से कम न हो.

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