चंडीगढ़: कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार और किसानों के बीच गतिरोध जारी है. ना तो किसान आंदोलन से पीछे हटने को तैयार हैं और सरकार भी कृषि कानूनों को रद्द करने के मूड में नहीं लग रही. इसी बीच किसानों को अब अलग-अलग संगठनों का साथ भी मिलने लगा है. बुधवार को फेरूमल अकाली दल इंडिया ने किसानों का समर्थन करने का फैसला लिया.
संगठन के महंत जसबीर दास ने ईटीवी भारते से बातचीत में बताया कि सरकार किसानों को बर्बाद करने में लगी हुई है. किसान सिर्फ ये चाहते हैं कि कृषि कानूनों को रद्द कर दिया जाए इसी में उनका हित है, लेकिन सरकार किसानों के हित और उनकी मांगों को दरकिनार करते हुए कृषि कानूनों पर ही अड़ी हुई है.
उन्होंने कहा कि सरकार और किसान नेताओं के बीच बातचीत भी हुई, लेकिन सरकार किसी भी हालत में पीछे हटने को तैयार नहीं है, क्योंकि सरकार के लिए पूंजीपति ज्यादा महत्व रखते हैं और सरकार को किसानों से कोई मतलब नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार संशोधन के नाम पर किसानों को अपने जाल में फंसाना चाहती है. इस कानून के अंदर किसी भी तरह का संशोधन नहीं किया जा सकता. इस कानून को पूरी तरह से रद्द करना ही एकमात्र समाधान है.
ये भी पढे़ं- सोनीपत: दिल्ली जाने वाले भारी वाहनों को केएमपी और केजीपी पर किया गया डायवर्ट
उन्होंने कहा कि सरकार ने देश में ऐसा माहौल बना दिया है कि अगर कोई भी सरकार की किसी नीति के खिलाफ बोलता है तो उसे देशद्रोही घोषित कर दिया जाता है. जब जेएनयू में सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया गया तो उन लोगों को भी देशद्रोही घोषित कर दिया गया. इसी तरह सरकार प्रदर्शन कर रहे किसानों को खालिस्तानी बताकर बदनाम करने की कोशिश कर रही है.
जसबीर दास ने कहा कि अब हमारा संगठन भी किसानों की इस मांग के साथ जुड़ने जा रहा है. जिसके तहत हमारे संगठन की ओर से सरकार को 7 दिनों का अल्टीमेटम दिया जाएगा. अगर सरकार ने 7 दिनों के भीतर इन कानूनों को वापस नहीं लिया तो हमारे संगठन के लोग दिल्ली कूच करेंगे. जिसमें करीब 10 हजार लोग हिस्सा लेंगे और अगर इसके बाद भी सरकार पीछे नहीं हटती है तो वो आमरण अनशन शुरू कर देंगे.