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आदमपुर उपचुनाव: हरियाणा विधानसभा चुनाव से करीब 6 प्रतिशत कम हुआ मतदान, क्या है इस टर्नआउट के मायने?

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Published : Nov 3, 2022, 10:36 PM IST

adampur by election turnout
adampur by election turnout

गुरुवार को आदमपुर उपचुनाव (adampur assembly by election) के लिए शांतिपूर्ण मतदान हुआ. चुनाव आयोग के टर्न आउट वोटिंग ऐप के मुताबिक आदमपुर में इस बार 75.25 प्रतिशत मतदान हुआ है, जो कि 2019 के चुनाव से करीब 6 फीसदी कम है. ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि इस इस टर्नआउट के क्या मायने हैं?

चंडीगढ़: आदमपुर विधानसभा उपचुनाव (adampur assembly by election) के लिए गुरुवार को मतदान शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुआ. मतदाताओं ने पूरे जोश के साथ लोकतंत्र के इस पर्व में अपने वोटों की आहूति डाली. इस बार आदमपुर विधानसभा उपचुनाव में 75.25 फीसदी मतदान हुआ, जबकि साल 2019 में हुए हरियाणा विधानसभा चुनाव के दौरान इस सीट पर करीब 82 फीसदी मतदान हुआ था. यानी पिछली बार के मुकाबले इस बार उपचुनाव में करीब 6 फीसदी कम वोटिंग (adampur by election turnout) हुई है.

अब सवाल ये कि मतदान प्रतिशत में ये गिरावट किस और इशारा कर रही है? क्या भव्य बिश्नोई पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल का गढ़ बचा पाएंगे? आदमपुर को पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के परिवार का गढ़ माना जाता है. ऐसे में जब उनकी तीसरी पीढ़ी यानी भव्य बिश्नोई यहां से चुनावी मैदान में हैं, तो उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती अपने दादा के इस गढ़ को बचाने की है. ऐसे में बड़ी संख्या में मतदाताओं का पोलिंग बूथ तक पहुंचना कभी खुशी, कभी गम वाली स्थिति को भी बना सकता है. राजनीतिक मामलों के जानकार प्रोफसर गुरमीत सिंह कहते हैं कि उपचुनाव में सामान्य तौर पर इतने बड़े स्तर पर वोटिंग नहीं होती है.

उनका कहना है कि अक्सर ये देखा जाता है कि जब लोग भारी संख्या में अपने मतों का इस्तेमाल करते हैं, तो वो वोट सरकार के खिलाफ देखा जाता है, लेकिन वो ये भी कहते हैं कि कुलदीप बिश्नोई विधायक रहते हुए कांग्रेस के साथ थे. यानी वो विपक्ष में थे. अब उनके बेटे भव्य बिश्नोई सत्तापक्ष की ओर से चुनावी मैदान में हैं, तो हो सकता है कि आदमपुर की जनता सरकार के साथ चलने के लिए तैयार हो और इतनी बड़ी संख्या में उन्होंने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया. वो कहते हैं कि असल वजह क्या है ये तो जनता ही जानती है, लेकिन भव्य बिश्नोई के लिए अपने परिवार की साख बचाना सबसे बड़ी चुनौती है.

कांग्रेस के लिए क्या है वोटिंग प्रतिशत के मायने? कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी जयप्रकाश ने भी जमकर आदमपुर में पसीना बहाया है. इसके साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके बेटे ने भी जयप्रकाश के प्रचार में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी. ऐसे में इतनी बड़ी संख्या में मतदाताओं का पोलिंग बूथ तक आना कांग्रेस के लिए शुभ संकेत हो सकता है, लेकिन जिस तरह का आदमपुर का मिजाज रहा है. उसे देखते हुए कांग्रेस के लिए इस सीट को जीतना इतना आसान दिखाई नहीं देता. राजनीतिक मामलों के जानकार गुरमीत सिंह कहते हैं कि इसमें कोई शक नहीं है कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने इस सीट पर अपनी पूरी ताकत लगाई है.

गुरमीत सिंह ने कहा कि ऐसे में वो अपनी जीत के प्रति आश्वस्त नजर आ रहे हैं. हालांकि उनका कहना है कि नतीजे क्या होंगे या तो मतगणना के बाद सबके सामने आ ही जाएगा. अगर इस सीट पर कांग्रेस पार्टी जीती है तो इसमें कोई संदेह नहीं कि हरियाणा कांग्रेस के अंदर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की मजबूती और ज्यादा हो जाएगी. वहीं पार्टी के अंदर उनके विरोधियों के लिए भी यो बहुत बड़ा सेट बैक हो सकता है.

इनेलो और आप के लिए भविष्य की राह: आदमपुर की जंग में प्रमुख तौर पर लड़ाई बीजेपी और कांग्रेस के बीच दिखाई दे रही है. ऐसे में इंडियन नेशनल लोकदल और आम आदमी पार्टी के लिए इस सीट के नतीजे किस तरह के रहेंगे ये देखना भी दिलचस्प होगा. प्रोफेसर गुरमीत सिंह कहते हैं कि इंडियन नेशनल लोकदल अभी विधानसभा में सिर्फ एक विधायक वाली पार्टी है. आदमपुर में पार्टी की जीत या हार से ज्यादा ये देखना दिलचस्प होगा कि उनका उम्मीदवार यहां कितने वोट हासिल करता है. जिससे इनेलो को प्रदेश में उसके भविष्य के संकेत के तौर पर भी देखा जा सकता है. उनकी नजर आम आदमी पार्टी के वोटों पर हैं.

ये भी पढ़ें- आदमपुर उपचुनाव में 75.25 प्रतिशत मतदान, 2019 में हुई ती 81.22 प्रतिशत वोटिंग

प्रोफेसर गुरमीत सिंह कहते हैं कि आम आदमी पार्टी आदमपुर में किस तरीके से परफॉर्म करेगी. ये देखना दिलचस्प होगा. नतीजों से उसके हरियाणा में राजनीतिक भविष्य की भी छाप भी देखने को मिल सकती है. जिससे आने वाले दिनों में हरियाणा की सियासत में क्या कोई बदलाव होगा. उसे एक संकेत के तौर पर भी देखा जायेगा. आदमपुर में जिस तरीके का मतदान हुआ है ज्यादातर राजनीतिक मामलों के जानकार इसे बीजेपी और कांग्रेस के बीच का मुकाबला देख रहे हैं. जिस तरीके का टर्नआउट मतदाताओं का इस सीट पर हुआ है. उसने इस मुकाबले को और भी रोचक जरूर बना दिया है. वहीं ये लग रहा है कि इस सीट पर जीत जिसकी भी हो मुकाबला कांटे का देखने को मिल सकता है.

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